महिलाओं के सम्मान में हर साल आठ मार्च को अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस मनाया जाता है। आधुनिकता और पूंजीवाद की बढ़ती ताकतों के बीच महिलाओं के असली मुद्दे और जरूरी आवाज कहीं दबती जा रही है। लगभग एक सदी से...
उच्चतम न्यायालय के जस्टिस डी.वाई. चंद्रचूड़ ने सोमवार को कहा कि आजादी के बाद आज भी आदिवासी उत्पीड़न और क्रूरता के शिकार हैं। जांच अधिकारी अब भी अपनी घटिया जांच को छुपाने के लिए उन्हें हिरासत में ले लेते...
महापुरूषों की स्मृति और मूल्यांकन से ही कोई समाज ऊर्जा ग्रहण कर निखर सकता है। गांधी जी के बाद डॉक्टर राममनोहर लोहिया ही सबसे प्रखर विचारक-चिंतक रहे हैं। अपनी धरती-मिट्टी, उसकी सुगंध से जुड़े हुए हैं। छिटपुट लेखन-भाषण, सभा-गोष्ठियों...
पटना। कोरोना महामारी के दौर में जहां सामाजिक-सांस्कृतिक गतिविधियां लगभग ठप हैं, वैसे में 'कोरस' ने सामाजिक उत्पीड़न की बढ़ती घटनाओं के ख़िलाफ़ पटना के छज्जू बाग स्थित 13 नं. विधायक आवास के प्रांगण में कोरोना गाइडलाइन का पालन...
तालिबान दुनिया के सबसे निकृष्ट लोगों में से एक हैं। जो न दूसरों की सुनना जानते हैं और न समझना। स्वतंत्रता-समता, लोकतंत्र इनके बंदूक के आगे है ये दुनिया को वापस ज़हालत, धार्मिक कट्टरता की अंधी सुरंग में ले...
शहीद-ए-आजम भगत सिंह ने स्वतंत्रता से पूर्व कांग्रेस की पूंजीवादी व सामंतवादी नीतियों के खिलाफ जमकर लिखा था। एक लेख में उन्होंने लिखा था कि समाज के प्रमुख अंग होते हुए भी आज मजदूरों और किसानों को उनके प्राथमिक...
भारत को एक लंबे संघर्ष के बाद 15 अगस्त 1947 को ब्रिटिश राज से मुक्ति मिली। यह संघर्ष समावेशी और बहुवादी था। जिस संविधान को आजादी के बाद हमने अपनाया, उसका आधार थे स्वतंत्रता, समानता, बंधुत्व और न्याय के...
26 नवंबर 1949 को डॉ. भीमाराव आंबेडकर ने भारतीय संविधान को राष्ट्र को समर्पित किया था। संविधान सभा के निर्मात्री समिति के अध्यक्ष डॉ. आंबेडकर की 125वें जयंती वर्ष 2015 में भारत सरकार ने 26 नवंबर को संविधान दिवस...
(स्वतंत्रता, समता और भाईचारे पर आधारित आधुनिक भारत का सपना देखने वाले तीन महापुरुषों के जन्मदिन का समय है। 9 अप्रैल 1893 राहुल सांकृत्यायन, 11 अप्रैल 1827 जोतिबा फुले और 14 अप्रैल 1891 बाबा साहब भीमराव आंबेडकर। इन तीनों...
पिछली गलती से सबक
लेते हुए सीलमपुर जाफरबाद की महिलाओं ने अनिश्चितकालीन धरने की शुरुआत की है। शनिवार को धरने का चौथा दिन था। धरने में हजारों महिलाएं दिन-रात बैठी हैं। पुरुष और बच्चे भी उनके समर्थन में डटे हुए
हैं।...