Wednesday, April 24, 2024

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आज के अमीरों के पुरखों ने ही 1857 में की थी देश के साथ ग़द्दारी!

आज 10 मई 2020, प्रथम भारतीय सवतंत्रता संग्राम 1857 की 163वी जयंती है। सरकार की नीतियों की वजह से, भारत में कोरोना संकट अमीर बनाम गरीब, गांव बनाम शहर आधारित सत्ता के संघर्ष मे बदल गया है। अमीरों को...

प्रेस स्वतंत्रता दिवस पर विशेष: नागरिक समाज की पक्षधरता ही मीडिया के निष्पक्षता की है कसौटी

दुनिया के दूसरे समुदायों की तरह हिन्दू और मुसलमान समुदायों के बीच यूं तो ऐसे कई शैलीगत फ़र्क़ है, जिनसे उनकी पहचान बनती है और जिन्हें उनकी ख़ासियत की तरह देखा जाना चाहिए। लेकिन, दोनों के बीच सतह पर...

प्रेस स्वतंत्रता दिवस: कोरोना काल में मीडिया की स्वतंत्रता को खतरा

रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स द्वारा तैयार 2020 का विश्व प्रेस स्वतंत्रता सूचकांक कोरोना काल में प्रेस की स्वतंत्रता को मिल रही चुनौतियों को रेखांकित करता है। रिपोर्टर्स विदाउट बॉर्डर्स के विशेषज्ञों के अनुसार आने वाला दशक पत्रकारिता के भविष्य के...

जन्मदिन पर विशेष: अंग्रेजों से लोहा लेने वाली माखनलाल की कलम ने आज़ादी के बाद दिखाया समाज को रास्ता

बीसवीं सदी के पूर्वार्ध में अनेक महापुरुषों ने राष्ट्रीय परिदृश्य पर अपने बहुआयामी व्यक्तित्व और कालजयी कृतित्व की छाप छोड़ी। ऐसे ही महापुरुषों में दादा माखनलाल चतुर्वेदी का नाम बड़े ही सम्मान और गौरव के साथ लिया जाता है।...

शहादत सप्ताह: भगत सिंह के विचार हर सत्ता के लिए खतरनाक हैं

धर्म और सांप्रदायिकता का सवाल भगत सिंह की शहादत की इस नवासीवीं सालगिरह पर क्या हम सबको इस विषय पर गंभीर चिंतन की जरूरत आ पड़ी है कि आधुनिकता के मूल्यों से लैस जागरूक नागरिकों वाले वैज्ञानिक समाजवादी भारत के...

शहादत सप्ताह: सांप्रदायिकता को राष्ट्र का सबसे बड़ा दुश्मन मानते थे गणेश शंकर विद्यार्थी

अमर शहीद गणेश शंकर विद्यार्थी सिर्फ महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी ही नहीं थे, बल्कि हिन्दी पत्रकारिता के शिखर पुरुष भी माने जाते हैं। लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक के विचारों से प्रेरित विद्यार्थी ‘जंग-ए-आजादी’ के एक निष्ठावान सिपाही थे। गणेश...

शहादत सप्ताह: भगत सिंह की फांसी पर लिखा गया डॉ. आंबेडकर का लेख ‘तीन बलिदानी’

(भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव की फाँसी के बाद बाबा साहेब भीम राव आंबेडकर ने एक लेख लिखा था जो 'जनता' में संपादकीय के तौर पर प्रकाशित हुआ था। शहादत सप्ताह के तहत आज उनके इस लेख को यहाँ...

साप्ताहिकी: बुलेट के बजाय जब बुलेटिन को दी भगत सिंह ने तरजीह

(हासिल करने के सत्तर साल बाद आज जब आज़ादी ख़तरे में है और देश की सत्ता में बैठी एक हुकूमत उसके सभी मूल्यों को ही ख़त्म करने पर आमादा है। ऐसे में आज़ादी की लड़ाई में हिस्सा लेने वाली...

भगवा आतंकियों ने शिव विहार की मदीना गली को तबाह कर दिया, नाजी मीडिया ने जानबूझकर नहीं दिखाई खबर

उत्तर पूर्वी दिल्ली के हिंदू बाहुल्य शिव विहार में सबसे ज़्यादा कहर ढाया गया है। इसके बावजूद मीडिया लगातार शिव विहार में हुई बर्बरता की रिपर्टिंग से परहेज कर रही है। इसकी सबसे बड़ी वजह ये है कि शिव...

माहेश्वरी का मत: सत्ता विमर्श की एक प्रस्तावना है नंदकिशोर आचार्य का नाटक ‘बापू’

नटरंग पत्रिका के मार्च 2006 के अंक में प्रकाशित नंदकिशोर आचार्य जी के ‘बापू’ नाटक को पढ़ कर कोई यदि उस पर आरएसएस की सांप्रदायिक और कपटपूर्ण विचारधारा की लेश मात्र छाया भी देखता है तो वह सचमुच तरस खाने के योग्य...

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स्मृति शेष: सत्यजीत राय- वह जीनियस फ़िल्मकार जिसने पहली फिल्म से इतिहास रचा

सत्यजित राय देश के ऐसे फ़िल्मकार हैं, जिनकी पहली ही फ़िल्म से उन्हें एक दुनियावी शिनाख़्त और बेशुमार शोहरत...