फ़ासिस्ट राजनीति और धर्म का अनैतिक सर्वसत्तावादी गठजोड़
इतिहास में यह देखा गया है कि फासीवादी धाराएं, चाहे वे किसी भी देश या धर्म में रही हों, पारंपरिक धार्मिक विश्वासों का सहारा लेती [more…]
इतिहास में यह देखा गया है कि फासीवादी धाराएं, चाहे वे किसी भी देश या धर्म में रही हों, पारंपरिक धार्मिक विश्वासों का सहारा लेती [more…]
वर्साय की संधि की अपमानजनक शर्तों ने जर्मन लोगों की गरिमा छीन ली थी। इस संधि ने देश की संप्रभुता और आर्थिक स्वतंत्रता को समाप्त [more…]
सिनेमा की शुरुआत के दौर से ही इस बात को पहचान लिया गया था कि सिनेमा प्रचार का बहुत सशक्त माध्यम हो सकता है। सिनेमा [more…]
संसदीय शासन में व्याप्त दुर्गुणों के चलते जनता में असंतोष फैल जाता है। लोग इस व्यवस्था को समाप्त करना चाहते हैं। राजनीतिक व्यवस्था में लोगों [more…]
नई दिल्ली। भारत में बढ़ती सांप्रदायिकता को देखते हुए, अब उसके खिलाफ आवाज भी उठनी शुरू हो गई है। सबसे पहले किरण मजूमदार शॉ [more…]
दुनिया का क्रूरतम् तानाशाह एडोल्फ हिटलर 20 अप्रैल, 1889 को यूरोप के एक छोटे से देश ऑस्ट्रिया के एक छोटे से शहर वॉन में पैदा [more…]
महात्मा गांधी ने एक बार कहा था, “सत्य ही ईश्वर है”। सत्य शब्द का प्रयोग कई अर्थों में किया जाता है। एक अर्थ में वह [more…]
राज्यसभा में विपक्षी महिला सांसदों पर पुरुष मॉर्शल से करवाए गये हमले पर प्रतिक्रिया देते हुये राष्ट्रीय जनता दल के आधिकारिक ट्विटर हैंडल से कहा गया [more…]
2014 के बाद देश में अनेक बदलाव देखने को मिले जिसमें से सबसे बड़ा और घातक बदलाव है संचार माध्यमों में झूठी खबरों और ऐतिहासिक [more…]
जो अपने विषाद के क्षण में कहते पाए जाते हैं कि ‘भारत बदल गया है’, वे हमारे जीवन के यथार्थ के विश्लेषण में बड़ी चूक [more…]