पत्रकारिता की मूंछ और सत्ता की पूंछ

करीब पच्चीस-तीस साल की पत्रकारिता से गुजरने के बाद मैंने पाया कि सन् 2014 यानी भाजपा नीत राजग के सत्तारोहण…

सत्ता और संपत्ति के भार से डगमग पत्रकारिता

हिन्दुस्तानियों के हित हेतु तथा उन्हें परावलंबन से मुक्ति दिलाकर स्वतंत्र दृष्टि प्रदान करने के निमित्त 30 मई 1826 को…

पत्रकारिता का ‘मूत्र-काल’ और चिंताएं

एक माफिया अतीक अहमद के टीवी कवरेज के बारे में सुना तो आज कुछ पोस्ट्स बहुत तकलीफ के साथ लिखा…