उत्तर-प्रदेश में दलित राजनीति और डॉ. अंबेडकर का राजनीतिक दर्शन

क्रिस्टोफर जैफरलो की एक प्रसिद्ध पुस्तक है ‘India’s Silent Revolution’। यह उस दौर के राजनीतिक उभार को चिह्नित करती है…

‘महाकुंभ’ में डुबकी न लगाने का साहस कर, राहुल गांधी ने वह काम कर दिखाया, जिसकी हिम्मत नेहरू-गांधी भी नहीं जुटा पाए थे 

मानव जाति के इतिहास में दो तरह के नेता हुए हैं, एक तरह के वे जो जनता की पिछड़ी भावनाओं,…

अंबेडकर के विचारों को मिटाने की हो रही है साजिश

लखनऊ। बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर की 133वीं जयंती के उपलक्ष्य में इंसाफ मंच लखनऊ द्वारा सरोजनी नगर के दरोगा खेड़ा,…

ग्राउंड रिपोर्ट: कांशीराम आवास, सियासत के खेल में दरकने लगीं गरीबों की दीवारें

देवरिया। गरीबों के लिए पक्का मकान किसी बड़े सपने के सच होने जैसा ही होता है। अगर यह सपना साकार…

विचारहीनता, अवसरवाद, परिवारवाद और व्यक्तिवाद ने बहुजन राजनीति को भोथरा बना दिया

महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और बिहार की जमीन पर, सदियों से सताए दलित और पिछड़ों की राजनैतिक ऊर्जा को दक्षिणपंथी विचारधारा…

कांशीराम के राजनीतिक प्रयोग के मायने

पहचान व्यक्तित्व का एक ऐसा जरूरी हिस्सा है जो न सिर्फ हमारी लोकेशन को निर्धारित करता है बल्कि हमारे लिए…

मायावती की बहुजन वैचारिकी: उत्थान से अवसान तक

मायावती ने अपनी चिरपरिचित शैली में बसपा के दो कद्दावर नेताओं को एक बार फिर बाहर का रास्ता दिखा दिया…

क्या मौजूदा दौर दलित राजनीति का स्वर्णिम युग है?

हाल में एक साक्षात्कार में चंद्रशेखर आजाद उर्फ रावण ने कहा है कि वर्तमान दलित राजनीति का स्वर्णिम काल है।…

कांशीराम स्मरणः खवासपुर के फकीर का राजनीतिक सफर और आज की बहुजन राजनीति!

हिंदी-भाषी क्षेत्र में बहुजन-राजनीति के नायक और बेमिसाल संगठक कांशीराम जी का आज परिनिर्वाण दिवस है। सन् 2006 में आज…

जन्मदिन पर विशेष: कहां है कांशीराम का बहुजनवाद?

आज 15 मार्च है यानि उत्तर भारत और देश की राजनीति को बदल देने वाले बहुजन आंदोलन के नेता कांशीराम…