Saturday, April 27, 2024

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लोकतंत्र के आईने में बिगड़ गई है हमारी सूरत

बात भारत के मौजूदा सूरत-ए-हाल से शुरू करते हैं। इसी हफ्ते सुप्रीम कोर्ट की दो टिप्पणियों ने इसकी एक झलक दिखाई। वैसे तो वो टिप्पणियां बेहद साधारण किस्म की ही मानी जाएंगी। फिर भी वो अखबारों में प्रमुख सुर्खियां...

नव-उदारवाद ने भारत को बनाया या बिगाड़ा?

नव उदारवादी आर्थिक नीतियों के जो परिणाम आज हम देख रहे हैं, उसके लिए सिर्फ मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराना इंसाफ नहीं होगा। बल्कि इसकी जिम्मेदारी उन तमाम सरकारों पर आएगी, जिन्होंने पिछले तीन दशक में इन नीतियों पर...

भारत की तर्ज़ पर अमेरिका के कई राज्यों में उठी हाशिये के समाज के लेखकों की किताबों को जलाने और बैन करने की मांग

दक्षिणपंथ ऐसी गंदगी है जो भारत जैसे पिछड़े देश और संयुक्त राज्य अमेरिका जैसे उन्नत देशों के बीच वैचारिक और वैज्ञानिक सोच के फर्क़ को खत्म कर देता है। भले ही संयुक्त राज्य अमेरिका में फासीवादी डोनाल्ड ट्रंप का बोरिया...

अमेरिका में राजनीतिक-सामाजिक संकट और भारत के लिए सबक

अमेरिका में जो कुछ भी हो रहा है, उसे सिर्फ डोनाल्ड ट्रंप की सत्ता की हवस और बदमाशी के रूप में देखना इस संकट का सतहीकरण और सरलीकरण करना होगा। ट्रंप चुनाव प्रचार के दौरान भी कहते रहे कि...

सियासत की मंडी में बजरंग बली को उतारने के लिए शुक्रिया! पढ़िए एक पत्रकार का केजरीवाल को लिखा गया खत

प्रिय केजरीवाल, आपको इस बात की बधाई कि जिस गंदगी को साफ करने का दावा करते हुए आप राजनीति में आए थे, उसी गंदगी में उतर कर आपने ऐतिहासिक जीत हासिल कर ली है। मुझे नहीं मालूम कि कट्टर हिंदुत्व बनाम...

धूमिल के साहित्य के केंद्र में है लोकतंत्र की आलोचनाः प्रो. आशीष त्रिपाठी

वाराणसी। उदय प्रताप कॉलेज के हिंदी विभाग और धूमिल शोध संस्थान के संयुक्त तत्वावधान में शिक्षा संकाय के सभागार में जनकवि धूमिल की पुण्यतिथि पर ‘भारतीय लोकतंत्र और विपक्ष का कवि धूमिल’ विषय पर संगोष्ठी का आयोजन किया गया।  इस...

हिंदुत्व के एजेंडे को आगे बढ़ाने का कानून है नागरिकता अधिनियम

धर्मनिरपेक्ष भारत गणराज्य का निषेध नागरिकता कानून और नागरिकता रजिस्टर का मूल भाव है। यह हिंदुत्व की दीर्घकालीन राजनीति का हिस्सा है, इसका भी हिंदू धर्म की मूल भावना से विरोध है। स्वामी विवेकानंद ने कहा था कि पूरी...

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ग्राउंड रिपोर्ट: किसानों की जरूरत और पराली संकट का समाधान

मुजफ्फरपुर। “हम लोग बहुत मजबूर हैं, समयानुसार खेतों की जुताई-बुआई करनी पड़ती है। खेतों में सिंचाई तो स्वयं कर...