मशहूर तरक्कीपसंद अदीब और नगमाकार जावेद अख्तर को इस बात पर गहरा अफसोस है कि उर्दू को सिर्फ मुसलमानों की जुबान मान लिया गया है। पाकिस्तान दौरे के बाद चंडीगढ़ आए जावेद अख्तर ने कहा कि अगर उर्दू महज...
हिंदी, साहित्य और पत्रकारिता में अमूल्य योगदान करने वाले 19 जून 1942 को जन्मे जनपक्षीय कवि, लेखक सुरेश सलिल अपने लेखन, संपादन, पत्रकारिता तथा अनुवाद से आजीवन मानवता की सेवा करने के बाद 22 फरवरी को दुनिया को अलविदा...
देवेंद्र सत्यार्थी एक विलक्षण इंसान थे। पूरे हिंद उपमहाद्वीप में उनकी जैसी शख़्सियत शायद ही कोई हो। वे उर्दू-हिंदी-पंजाबी जुबान के अज़ीम अदीब थे। मगर इन सबसे अव्वल उनकी एक और शिनाख़्त थी, लोकगीत संकलनकर्ता की। अविभाजित भारत में...
दलित साहित्यकारों और एक्टिविस्टों ने आधुनिकता के मुहावरे और ढांचे में अपने संघर्ष को स्थापित किया है। मूल्यों के असमान हिंदू सिस्टम के खिलाफ उन्होंने तार्किकता और सार्वभौमिकता के विचार निबद्ध किए हैं। वे दलित चेतना में बाहरी घुसपैठ...
वाराणसी। प्रेमचंद जी कहते हैं कि समाज में ज़िन्दा रहने में जितनी कठिनाइयों का सामना लोग करेंगे उतना ही वहां गुनाह होगा। अगर समाज में लोग खुशहाल होंगे तो समाज में अच्छाई ज़्यादा होगी और समाज में गुनाह नहीं के...
डॉ.परमानंद सिंह यानी पीएन सिंह अब हमारे बीच नहीं रहे। उनके जाने से सचमुच शदीद रंज-ओ-मलाल है। वे आला मार्क्सवादी नक़्क़ाद और बेहद ज़हीन दानिशवर थे। समूचे हिंदी साहित्यिक एवं एकेडमिक जगत में उनकी आर्गेनिक जनबुद्धिजीवी के तौर पर...
देश के हिन्दी के जाने-माने आलोचकों में से एक विजय बहादुर सिंह को आमतौर पर उनकी देशज प्रतिमानों की सुगंध वाली आलोचना दृष्टि, भवानीप्रसाद मिश्र व दुष्यंत कुमार जैसे कवियों और आचार्य नन्द दुलारे वाजपेयी की रचनावलियों के श्रमसाध्य...
निर्विवाद रूप से यह यह स्वीकार्य है कि गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर एक विलक्षण प्रतिभा के धनी व्यक्ति थे। उनका व्यक्तित्व बहुआयामी था। वे एक ही साथ साहित्यकार, संगीतज्ञ, समाज सुधारक, अध्यापक, कलाकार एवं संस्थाओं के निर्माता थे। वे एक...
(कल कवि और पत्रकार अजय सिंह की कविताओं के नये संकलन ‘यह स्मृति को बचाने का वक्त है’ का विमोचन था। इस मौके पर कवि और साहित्यकार असद जैदी नहीं पहुंच पाए थे। लेकिन उन्होंने इस मौके पर अपना...
कमलेश्वर एक बहुआयामी प्रतिभा से संपन्न साहित्यकार थे। कमलेश्वर ने उपन्यास, कहानी, नाटक, संस्मरण, पटकथा विधाओं में लेखन किया। वे हिन्दी के बीसवीं शती के सबसे सशक्त लेखकों में से एक समझे जाते हैं। कमलेश्वर का नाम नई कहानी...