Saturday, April 20, 2024

nature

मौसम की अनदेखी से घुटने लगी है मुंबई की सांस

आमतौर पर अक्टूबर-नवम्बर के महीने शहरों में बढ़ते प्रदूषण का महीने होते हैं। खासकर, दिल्ली और एनसीआर की सांस घुटने लगती है। आसमान धूल और धुंध से भर जाता है। दिन में ही अंधेरे जैसी स्थिति हो जाती है।...

पंजाब में बाढ़: जगह-जगह कुदरत लिख रही है तबाही की इबारतें

आधे से ज्यादा पंजाब इस वक्त बाढ़ में डूबा हुआ है और बेशुमार इंसानी जिंदगियां बेहाल हैं। हजारों की तादाद में पशु मर चुके हैं। भगवंत मान सरकार और आम आदमी पार्टी के तमाम विधायकों समेत पूरा सरकारी अमला...

विश्व मच्छर दिवस: कम नहीं है मच्छर की औकात!

आज विश्व मच्छर दिवस है। आम भाषा में मच्छर की औकात ज्यादा नहीं समझी जाती, पर इस अति सूक्ष्म, पंखधारी, विषैले प्राणी की ताकत को भूल कर भी कम नहीं आंकना चाहिए। सर रॉनल्ड रॉस ने 1897 में 20 अगस्त को मलेरिया और मच्छर के बीच...

लड़कर नहीं, प्रकृति के संरक्षण से होगा मानवता का भला

मानव-केंद्रिकता। बहुत बड़ा शब्द है। इसका मतलब क्या है? यह विश्वास का द्योतक है कि मनुष्य दुनिया के केंद्र में है और हमारे ग्रह पर मौजूद किसी भी अन्य प्रजाति से ज्यादा महत्वपूर्ण है। इस विश्वास ने हम में...

उत्तराखंड: पेड़ों पर आरियां और हरेला की बधाइयां

पूरा उत्तराखंड आज अपना लोकपर्व हरेला मना रहा है। प्रकृति के संरक्षण से जुड़ा यह पर्व मुख्यरूप से कुमाऊं क्षेत्र का पर्व है। इस पर्व के एक सप्ताह पहले एक टोकरी में मिट्टी भरकर उसमें सात तरह के अनाज...

कुदरत के साथ दोस्ती

मित्रता के भाव में लिए बुद्ध ने ‘मेत्ता’ शब्द का प्रयोग किया। उन्होंने हमेशा अपने शिष्यों से कहा कि वे सभी जीवधारियों के प्रति मेत्ता का भाव रखें। बुद्ध को मैत्रेय भी कहा जाता है, जिसका अर्थ है मित्र,...

प्रलय को दावत देने सरीखा है प्रकृति से छेड़छाड़

उत्तराखंड के चमोली जिले में 7 फरवरी 2021 को कुदरत ने 10.30 से 11 बजे के बीच सिर्फ आधे घंटे में ही आधुनिक विज्ञान युग के वैज्ञानिक उपकरणों से लैस कथित आधुनिक मानव के कथित शक्ति के दंभ को...

नया खानीः बस्तर के आदिवासियों का कुपोषण से लड़ाई का महापर्व

जगदलपुर। बस्तर के आदिवासियों का ‘नया खानी’ कुपोषण, टीवी और मलेरिया जैसी बीमारियों से लड़ने का परंपरागत पर्व है। इस दिन एक विशेष धान को ईष्ट देवता और पुरखों को भेंट किया जाता है। उसके बाद आदिवासी इसका भोग...

पर्यावरण दिवस पर विशेष: प्रकृति को नष्ट कर हमने अपने ही खिलाफ युद्ध छेड़ दिया है

5 जून यानी विश्व पर्यावरण दिवस, जिसकी शुरूआत 1972 से संयुक्त राष्ट्र संघ द्वारा की गयी थी – आज के समय और ज़्यादा प्रासंगिक हो जाना चाहिए था। आज पर्यावरण पर संकट एक वैश्विक मुद्दा बन चुका है और कई...

पर्यावरण दिवस पर विशेष: जैव विविधता के निरादर का नतीजा तो नहीं कोविड-19

इस वर्ष विश्व पर्यावरण दिवस की थीम है- सेलिब्रेट बायोडायवर्सिटी। आज जब लगभग 10 लाख प्रजातियां विलुप्त होने की ओर अग्रसर हैं तब विश्व समुदाय को जैव विविधता के संरक्षण के लिए प्रेरित करने की महती आवश्यकता है। 1974...

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अपरेंटिसशिप गारंटी योजना भारतीय युवाओं के लिए वाकई गेम-चेंजर साबित होने जा रही है

भारत में पिछले चार दशकों से उठाए जा रहे मुद्दों में बेरोजगारी 2024 में प्रमुख समस्या के रूप में सबकी नजरों में है। विपक्षी दल कांग्रेस युवाओं के रोजगार पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं, वहीं भाजपा के संकल्प पत्र में ठोस नीतिगत घोषणाएँ नहीं हैं। कांग्रेस हर शिक्षित बेरोजगार युवा को एक वर्ष की अपरेंटिसशिप और 1 लाख रूपये प्रदान करने का प्रस्ताव रख रही है।