भारत में चुनाव परिणामों के विश्लेषण में धर्म-जाति का समीकरण इस कदर हावी हो जाता है कि लगने लगता है कि बेरोजगारी और गरीबी जैसे बुनियादी मुद्दों से वोटरों का कोई मतलब ही नहीं रह गया है। जबकि अक्सर...
एक ही समय में कई कई जुबानों से बोलने में सिद्धहस्त आरएसएस की तरफ से अब एक और शिगूफा उछाला गया है। इसे अचानक देश की गरीबी और बढ़ती असमानता और बेरोजगारी पर फ़िक्र होने लगी है। संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले...
5 दिन पहले फाइनेंशियल टाइम्स में प्रकाशित बाथ विश्वविद्यालय के संतोष मेहरोत्रा का यह लेख, अंग्रेजी हलकों में चर्चा का विषय बना हुआ है। सभी प्रमुख टेलीविजन चैनलों ने कहीं न कहीं इस विषय पर प्रोफेसर मेहरोत्रा के गहन...
7 दिसम्बर, 21 को ज़ारी वर्ल्ड इनइक्वलिटी रिपोर्ट (World Inequality Report*) 2022 रिपोर्ट ने पिछली सदी के आखरी दशक से ज़ारी नवउदारवादी दौर के सबसे बड़े झूठ का पर्दाफाश करते हुए तथ्यों के आधार पर यह स्थापित किया है...
दलितों की सामाजिक-आर्थिक स्थिति में सुधार के लिए भारत की जाति व्यवस्था सबसे बड़ी बाधा है। जाति पदानुक्रम के पायदान में सबसे नीचे, जाति उत्पीड़न के शिकार लोगों को दलित या अनुसूचित जाति (एससी) के रूप में संबोधित किया जाता...
और दिनों की तरह विश्व शांति दिवस भी गुजर गया। शांति के लिए तरह-तरह के विचार और सिद्धांत कहे गए लिखे गए, लेकिन इन सब के बीच सबसे बड़ा सवाल बिना सुलझे रहा कि किसी समाज, देश और पूरी...
(कल एक संघी-साथी ने ‘135 करोड़ लोगों के फ्री टीकाकरण और 80 करोड़ लोगों को मुफ्त राशन’ देने की PM की महान घोषणा पर पूरे विश्व के पगलाये होने' का जिक्र किया था। किसी असली/फर्जी वर्ल्ड फोरम पर तारीफों...
भारत ने अब नाइजीरिया को पछाड़ दिया है। यह वाक्य आप को हैरान कर देगा कि नाइजीरिया और भारत का क्या मुकाबला कि उसे पछाड़ने का उल्लेख किया जा रहा है। लेकिन हमने जिस संदर्भ में नाइजीरिया को पछाड़ा...
गंगा किनारे एक करोड़ दीयों में इतना प्रकाश नहीं कि भटके पथिक को रास्ता दिखा दें परंतु गांव की झोपड़ी का दीया भटकों को रात गुजारने की आस देता है।
भारत की जीडीपी का दीया एमएसएमई है। कुल चार करोड़...
'जन मामलों का सूचकांक 2020' जारी हो गया है। इस सूचकांक के अनुसार बड़े राज्यों में से सबसे सुशासित राज्य केरल और सबसे कुशासित राज्य उत्तर प्रदेश है। इस सूची के बड़े राज्यों की श्रेणी में पहले स्थान पर...