नव-उदारवाद ने भारत को बनाया या बिगाड़ा?
नव उदारवादी आर्थिक नीतियों के जो परिणाम आज हम देख रहे हैं, उसके लिए सिर्फ मोदी सरकार को जिम्मेदार ठहराना इंसाफ नहीं होगा। बल्कि इसकी [more…]
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कल के टेलिग्राफ में प्रभात पटनायक का एक लेख है — A Promethian moment ( The farmer’s agitation challenges theoretical wisdom)। बंधन से मुक्ति का [more…]
क्या झारखंड में ‘प्रभात खबर’ और ‘हिन्दुस्तान’ अखबार सीआरपीएफ से डरते हैं? सवाल थोड़ा अटपटा जरूर है, लेकिन जब आप इस खबर को पढ़ेंगे, तब [more…]
(मॉब लिंचिंग के मसले पर 49 बुद्धिजीवियों, फिल्मकारों और समाज शास्त्रियों के लिखे खत के जवाब में 60 दूसरे लोगों ने पत्र लिखा है। इसमें [more…]