‘‘यह एक छोटा-सा मंत्र मैं आपको देता हूं। आप इसे हृदय पटल पर अंकित कर लीजिए और हर श्वास के साथ उसका जाप कीजिए। वह मंत्र है- ‘करो या मरो’। या तो हम भारत को आजाद करेंगे या आजादी...
1942 के पहले जब 1938–39 में इस बात की संभावना बन गयी थी कि द्वितीय विश्वयुद्ध होगा ही, तब नेताजी सुभाष का विचार था कि युद्ध के समय पर ही अंग्रेजों के खिलाफ आज़ादी की एक निर्णायक जंग छेड़ी...
आज अंतरराष्ट्रीय आदिवासी दिवस के अवसर पर हजारों की संख्या में, कोठागुडेम, तेलंगाना में एआईकेएमएस के नेतृत्व में, आदिवासियों ने वन अधिकार कानून 2006 के अमल, खेती के तीन काले कानून रद्द कराने और वन उत्पादों व सभी फसलों...
आज नौ अगस्त है। आज के दिन ही 1942 में मुबई के गोवालिया टैंक मैदान में अरूणा आसफ अली ने तिरंगा फहरा कर आजादी की घोषणा की थी तथा अंग्रेजों को भारत छोड़ने का अल्टीमेटम दिया था। आठ अगस्त,...
1920 से 1948 तक का कालखंड, भारतीय इतिहास में गांधी युग के नाम से जाना जाता है। अगर कोई एक वाक्य में गांधी की स्वाधीनता संग्राम में योगदान के बारे में पूछे तो, उसका उत्तर होगा,
एक तो, गांधी ने...