मैं जब इंजीनियरिंग प्रथम वर्ष का छात्र था तब मेरे मित्र कृष्णानंद के पड़ोसी छोटे उर्फ राम दुलारे ने मुझे राहुल सांकृत्यायन की लिखी एक पुस्तिका दी 'भागो नहीं दुनिया को बदलो'। मुझे लगा कि मेरे व्यक्तित्व में जो...
“अंत में मनुष्य अवश्य अपने ध्येय पर पहुंचेगा। वह ध्येय है-समस्त मानवों की समता, परस्पर प्रेम और सार्वत्रिक सुख-समृद्धि।”
—राहुल सांकृत्यायन
लोकहित में सच की खोज की अनवरत जिज्ञासा और कोई भी कीमत चुका कर सच के पक्ष में खड़ा होने...
राहुल सांकृत्यायन एक, अत्यंत प्रतिभाशाली व्यक्तित्व थे। उन्होंने, भरपूर यात्रायें की। चार खंडों में उनकी आत्मकथा मेरी जीवन यात्रा बेहद रोचक और ज्ञानवर्धक संकलन है। विशेषकर उनकी तिब्बत से जुड़ी यात्राएं। उनकी आत्मकथा पढ़ना एक बेहद रोचक अनुभव है।...