Wednesday, June 7, 2023

theater

बलराज साहनी: अवाम को समर्पित रही जिंदगी

बलराज साहनी होना या बनना सबके बूते की बात नहीं और शायद इसीलिए उन सरीखी शख्सियत को जिन्हें दुनिया हमेशा याद रखेगी। इनका जन्म 1 मई 1913 को हुआ। यानी समूची दुनिया में मनाए जाते मजदूर दिवस के...

जन्मदिन विशेष: अमृत काल के नागरिक के लिए उत्पल दत्त के पॉलिटिकल थियेटर को समझना क्यों है जरूरी?

हिंदी पट्टी की बहुधा आबादी उत्पल दत्त को एक हास्य कलाकार के तौर पर जानती है। उन्होंने ‘गोलमाल’, ‘चुपके चुपके’, ‘रंग बिरंगी’, ‘शौक़ीन’ और ‘अंगूर’ जैसी फ़िल्मों में ज़बर्दस्त कॉमेडी की। एक इंक़लाबी रंगकर्मी के तौर पर वे उनसे...

स्मृति दिवस पर विशेष: दिनेश ठाकुर, थिएटर जिनकी सांसों में बसता था

हिन्दी रंगमंच की दुनिया में दिनेश ठाकुर की पहचान रंगकर्मी, अभिनेता और नाट्य ग्रुप ‘अंक’ के संस्थापक और निर्देशक के तौर पर है। ‘अंक’ का सफ़र साल 1976 में शुरू हुआ, जो उनके इस दुनिया से जाने के बाद...

हबीब तनवीर जन्म शताब्दीः आम जन और जनसरोकार के लिए प्रतिबद्ध रंगकर्मी 

प्रख्यात नाट्यकार, निर्देशक, अभिनेता हबीब तनवीर का यह जन्म शताब्दी वर्ष है। उनका जन्म 1 सितंबर, 1923 को रायपुर, छत्तीसगढ़ में हुआ था। हबीब तनवीर के पिता हफीज अहमद खान पेशावर (पाकिस्तान) के रहने वाले थे। हबीब तनवीर ने...

रणवीर सिंह के निधन पर विशेष: अस्त हो गया आधुनिक रंगमंच का एक चमकता नक्षत्र

आधुनिक रंगमंच के गहन अध्येता, अभिनेता-निर्देशक, नाट्य आलोचक और नाटककार रणवीर सिंह दुनिया के इस विशाल रंगमंच पर अपनी भूमिका निभाकर, हमेशा के लिए नेपथ्य में चले गए हैं। 23 अगस्त की सुबह जयपुर में उन्होंने अपनी आखिरी सांस ली।...

शंभु मित्र के जन्मदिन पर विशेष: जिन्होंने टैगोर के नाटकों का मंचन करके बतलाया

आधुनिक बांग्ला नाट्य मंच में शंभु मित्र की पहचान शीर्षस्थ नाटककार, अभिनेता और निर्देशक के रूप में है। उनकी पूरी जिंदगी नाटक के लिए समर्पित रही। उन्होंने न सिर्फ़ नाटकों में अभिनय-निर्देशन किया, बल्कि फ़िल्मों में भी अपने आप...

गांव में अब शुरू होगी ह्वाट्एएप यूनिवर्सिटी बनाम लाइब्रेरी की जंग

बंगाल या फिर केरल के गांवों में आप घूमेंगे तो आपको वहां पब्लिक लाइब्रेरी आसानी से दिख जाएंगी। बंगाल ने उस धरोहर को पीढ़ी दर पीढ़ी न केवल आगे बढ़ाया है, बल्कि निखारा भी है। कोरोना काल में जब...

हिंदी रंग आलोचना के शिखर पुरुष नेमिचन्द्र जैन की रचनावली का प्रकाशन एक ऐतिहासिक घटना

नेमि जी बहुआयामी व्यक्तित्व के धनी थे। कम्युनिस्ट पार्टी से लेकर इप्टा आंदोलन में सक्रिय रहे नेमि जी कवि, आलोचक  रंग चिंतक  संपादक  नाटक कार और अनुवादक  भी। साहित्य की हर विधा में योगदान दिया। 8 खण्डों में छपी...

‘कोरस’ की नाट्य प्रस्तुति: ‘नीच’ में दिखा समानता के लिए स्त्री का संघर्ष

पटना। कोरोना महामारी के दौर में जहां सामाजिक-सांस्कृतिक गतिविधियां लगभग ठप हैं, वैसे में 'कोरस' ने सामाजिक उत्पीड़न की बढ़ती घटनाओं के ख़िलाफ़ पटना के छज्जू बाग स्थित 13 नं. विधायक आवास के प्रांगण में कोरोना गाइडलाइन का पालन...

भारतीय संविधान के मूल तत्वों को बचाने का संकल्प है धनंजय कुमार का शाहकार नाटक ‘सम्राट अशोक’

26 जनवरी, 1950 में संविधान को अपनाकर भारत एक सार्वभौम राष्ट्र के रूप में अवतरित हुआ। विश्व ने भारत के इक़बाल को सलाम किया। भारत में पहली बार जनता को देश का मालिक होने का संवैधानिक अधिकार मिला। संविधान का मतलब...

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पहलवान अभी भी डटे हैं, बृजभूषण मामले में अब भाजपा भी बंटी

नई दिल्ली। भारतीय कुश्ती संघ के अध्यक्ष एवं भाजपा सांसद पर यौन उत्पीड़न की शिकायत करने वाली नाबालिग पहलवान...