Thursday, April 25, 2024

virus

आख़िर मुसलमानों के साथ यह दोहरापन क्यों?

परसों इंदौर में कोरोना जांच के लिए स्वास्थ्य विभाग की सर्वे टीम जिसमें डॉक्टर, टीचर, पैरामेडिकल और आशा कार्यकर्ता शामिल थे, पर पलासिया क्षेत्र में चाक़ू से हमला किया गया। लेकिन मुरादाबाद और टाटपट्टी बाखल की तरह इस घटना...

महामारी का मायका कहां है?

दुनिया भर के राजनेता और वैज्ञानिक नोबल कोरोना वायरस का मायका ढूंढने में लगे हैं। यह जानते हुए कि वायरस कोई स्त्री नहीं है जिसे जब चाहो तलाक देकर बिना गुजारा और मेहर दिए खदेड़ दो। वह ऐसी व्याहता...

दूसरे लॉकडाउन के बाद भी हालात नहीं बदले तब फिर क्या?

देश में दूसरा लॉकडाउन 15 अप्रैल से शुरू हो चुका है जो 20 अप्रैल से कतिपय चुनिंदा छूट के साथ 3 मई तक चलेगा। लेकिन जिस तरह देश में स्वास्थ्य और चिकित्सा सुविधाएँ इस महामारी से निपटने में स्वयं...

जब तक सच जूता पहनता है, झूठ पूरी दुनिया का चक्कर लगा आता है

कोरोना अपने साथ अंधविश्वासों का भी पैकेज लेकर आया है। भारत के लगभग सभी हिस्सों में इन दिनों इन्हीं का बोलबाला है। फर्रुखाबाद से लेकर बालोद तक में महिलाएं सिल पर चावल या आटा डालकर बेलन या बट्टा खड़ा...

एक बार फिर प्रधानमंत्री बोले तो बहुत, लेकिन कहा कुछ नहीं

कोरोना काल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी एक बार फिर देश से मुखातिब हुए। पिछले एक महीने के दौरान राष्ट्र के नाम उनका यह चौथा औपचारिक संबोधन था, जिसमें कोरोना संक्रमण के खौफ और लॉक डाउन के चलते तमाम तरह...

पहले की गलती दुरुस्त किए बग़ैर दूसरा लॉक डाउन शुरू

लॉकडाउन टू यानी पहला फेल, दूसरा शुरू। पहला लॉक डाउन बगैर सोचे-समझे था, विपक्ष और राज्यों के मुख्यमंत्रियों से बातचीत किए बगैर था। मगर, दूसरा लॉकडाउन ऐसा नहीं है। सबकी सहमति है। मगर, यह बाल के 400वें हिस्से से...

मध्य प्रदेश शासन ही बना कोरोना संक्रमण का केंद्र!

`इंडिया टुडे` की वेबसाइट पर 12 अप्रैल को प्रकाशित एक रिपोर्ट का शीर्षक है - `एमपी: 235 पॉजिटिव इन इंदौर, नो मरकज़ लिंक`। इस रिपोर्ट पर व दूसरी कई रिपोर्ट्स में आए तथ्यों पर नज़र डालें तो लगता है...

कोरोना: मनुष्य से अधिक मनुष्यता पर है संकट

कोविड-19 से बचने की युक्तियों और हमारे सामाजिक ढांचे की कुरीतियों की पारस्परिक संगति दुःखद भी है और चौंकाने वाली भी। पता नहीं यह सोशल डिस्टेन्सिंग और हैंड हाइजिन जैसी युक्तियों का सहज गुण धर्म था या हमारे अंदर...

कोरोना काल में पाताल लोक में पहुँच गयी है मानवता

वास्तव में यह व्यवस्था सड़ चुकी है, जिसमें इंसानियत व मानवता के लिए कोई जगह नहीं है। जिंदा आदमी तो दूर, यहाँ लाश को भी लोग अपनी गंदी राजनीति चमकाने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं। आज जब पूरे...

कोरोना महामारी : अमीर इंडिया बनाम गरीब भारत

भारत में बीसवीं सदी का अंतिम दशक ख़त्म होते-होते समस्त मुख्यधारा की राजनीतिक पार्टियों, मंचों और माध्यमों से गरीबी की चर्चा समाप्त हो गई। देश की शासक जमात के बीच यह तय माना गया कि अब देश में गरीबी...

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प्रधानमंत्री की भाषा: सोच और मानसिकता का स्तर

धरती पर भाषा और लिपियां सभ्यता के प्राचीन आविष्कारों में से एक है। भाषा का विकास दरअसल सभ्यता का...