लखनऊ। महिला दिवस के अवसर पर गोमती नगर विस्तार सेक्टर 5 के RWA महिला ग्रुप द्वारा आयोजित कार्यक्रम में महिलाओं की मुक्ति के ऐतिहासिक संघर्ष पर लखनऊ विश्वविद्यालय की पूर्व कुलपति प्रो. रूपरेखा वर्मा ने अपनी बात रखते हुए कहा कि यह कहना सच नहीं है कि प्राचीन भारत में महिलाओं को बराबरी का और पुरुषों की ही तरह शिक्षा प्राप्त करने का अधिकार था। क्योंकि वैदिक काल में जो हो रहा था, वही तो मनुस्मृति में लिखा गया है। उन्होंने कहा कि गार्गी और मैत्रेयी जैसी विदुशी महिलाओं का जो उदाहरण दिया जाता है, सच्चाई यह है कि उन्होंने भी छिप-छिप कर पढ़ा और ज्ञान अर्जित किया।
रूपरेखा वर्मा ने कहा कि लीलावती भी इसी तरह छिप-छिप कर पढ़कर इतनी बड़ी गणितज्ञ बन गईं कि उनके पिता ने उनके नाम पर लीलावती पुस्तक ही लिख दी। उन्होंने कहा कि 19वीं सदी में बंगाल में कलम पकड़ना औरतों के लिए पाप माना जाता था और उसके लिए उन्हें पाप-शुद्धि करनी पड़ती थी। उन्होंने कहा कि इसी माहौल में सावित्री बाई फुले और फातिमा शेख ने शिक्षा पाई और फिर इन लोगों ने लड़कियों की शिक्षा के लिए स्कूल खोला। लेकिन समाज में इसका विरोध हुआ। उनके ऊपर गोबर और कूड़ा फेंका गया।

उन्होंने कहा कि यह कोई बड़ी स्वतंत्रता नहीं है कि आपको अपनी मन मर्जी की साड़ी खरीदने का अधिकार मिल गया। असली सवाल यह है कि आपको आर्थिक स्वतंत्रता, स्वतंत्र निर्णय लेने का अधिकार, जीवन साथी चुनने का अधिकार मिला है कि नहीं। आप आगे पढ़ेंगी या नहीं, जॉब करेंगी या नहीं, बच्चों के बारे में फैसले में आपकी भागेदारी है या नही-असल सवाल इस आज़ादी का है। उन्होंने बताया कि मेरे पास महिला हिंसा की जो शिकायतें आती रही हैं, उसमें मजदूर से लेकर आईएएस अधिकारी और अधिवक्ता जैसे समाज के आगे बढ़े तबके के लोग भी शामिल रहे हैं, जिनके बारे में समाज में यह भी धारणा थी कि उनकी बहुत अच्छी जोड़ी है।

पूर्व कुलपति ने कहा कि मैं 80 साल से ऊपर की हूं और बेहतरी की ओर मैंने बहुत से बदलाव देखे हैं। लेकिन अभी भी वे नाकाफी हैं। नारी मुक्ति, समानता और सम्मान के लिए हमें अनवरत लड़ाई जारी रखनी होगी।

कार्यक्रम का संचालन मीना सिंह ने किया। दीप्ति मौर्या ने स्मृति चिन्ह देकर रेजिडेंट्स वेलफेयर सोसायटी की ओर से रूपरेखा वर्मा को सम्मानित किया। पुष्प यादव ने गुलाब तथा RWA महिला ग्रुप की ओर से कविता विजय ने सभी महिलाओं की ओर से गुलदस्ता देकर रूपरेखा वर्मा का स्वागत किया। रश्मि अग्रवाल ने उनके स्वागत में एक स्वरचित कविता का पाठ किया।
(जनचौक की रिपोर्ट)
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