बजट का थीम है बेचो भारत!

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केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने वर्ष 2021-2022 के लिए देश का बजट पेश किया। इस बजट में टैक्स स्लैब में मध्य वर्ग को कोई राहत नहीं देने से लेकर गरीब वर्ग तक के हाथ में पैसा पहुंचाने की किसी योजना का ऐलान नहीं हुआ। उल्टा सरकार ने इस बजट में देश के कई सार्वजनिक उपक्रमों, बीमा, रेलवे और बैंक में विनिवेश करने का ऐलान कर दिया है।

नतीजतन मोदी सरकार विपक्ष के साथ सोशल मीडिया पर बुरी तरह घिर गयी है और गली मुहल्लों तक में सार्वजानिक सम्पत्ति बेचने की कड़ी आलोचना हो रही है। वित्त मंत्री सीतारमण ने कहा कि बेकार एसेट्स आत्मनिर्भर भारत के निर्माण में योगदान नहीं करते हैं और घाटे के सार्वजनिक उपक्रम का विनिवेश जरुरी है।इस पर आम लोगों की प्रतिक्रिया है कि सरकार का घाटे का बजट हर साल पेश होता है तो क्यों न सरकार का ही विनिवेश कर दिया जाए।

राहुल गांधी ने मोदी सरकार पर निशाना साधते हुए ट्वीट कर कहा है कि गरीबों के हाथों में नगद देने की बात तो दूर, मोदी सरकार अपने पूंजीपति दोस्तों के हाथ में देश की संपत्ति सौंपने की योजना बना रही है।

टीएमसी ने कहा कि बजट का थीम है बेचो भारत को! टीएमसी सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने 100 फीसद दृष्टिहीन बजट बताया! उन्होंने कहा कि रेलवे बेची गई, हवाई अड्डे बेचा, बंदरगाह बेचा, बीमा बेचा, 23 पीएसयू बेचे! आम लोगों की अनदेखी की! किसानों की अनदेखी की! अमीर, और अमीर हो रहे हैं, मध्यम वर्ग के लिए कुछ नहीं, गरीब, और गरीब होता जा रहा है!

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को संसद में बजट पेश करते हुए कहा कि इस साल विनिवेश का लक्ष्य 1.75 लाख करोड़ रुपए का है। उन्होंने कहा कि वित्तीय वर्ष 2020-21 में सरकार ने अपनी हिस्सेदारी बेचकर 2.1 लाख करोड़ रुपए हासिल करने का लक्ष्य रखा था, लेकिन यह पूरा नहीं हो पाया। वित्र मंत्री ने कहा कि पिछले साल बड़े विनिवेश की योजना तैयार की गई थी, जिसमें एलआईसी के शेयर बेचे जाने की बात भी शामिल थी। इस योजना को इस साल पूरा किया जा सकता है।

सरकार ने वित्तीय वर्ष 2019-20 के लिए 1.05 लाख करोड़ और वित्तीय वर्ष 2018-19 के लिए 80 हज़ार करोड़ रुपए के विनिवेश का लक्ष्य रखा था। अब सरकार इस विनिवेश के लक्ष्य को पूरा करने के लिए दो सरकारी बैंकों और एक इंश्योरेंस कंपनी समेत कई पब्लिक सेक्टर की कंपनियों की हिस्सेदारी बेचने जा रही है।

सरकार आईडीबीआई बैंक, बीपीसीएल, शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया, कंटेनर कॉर्पोरेशन, नीलांचल इस्पात निगम लिमिटेड समेत कई अन्य कंपनियों में हिस्सेदारी बेचकर रकम जुटाने का प्रयास करेगी।

वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने अपने बजट भाषण में कहा कि बीमा कंपनियों में एफ़डीआई यानी प्रत्यक्ष विदेशी निवेश को 49% से बढ़ाकर 74% करने का प्रावधान किया गया है। इसके अलावा वित्त मंत्री ने भारतीय जीवन बीमा निगम (एलआईसी) के शेयर बाज़ार में उतारे जाने की घोषणा की। उन्होंने कहा, “हम साल 2021-22 में जीवन बीमा निगम का आईपीओ लेकर आएंगे, जिसके लिए इसी सत्र में ज़रूरी संशोधन किए जा रहे हैं।

इतना ही नहीं, इस बजट में ये भी बताया गया कि राज्य सरकारों के उपक्रम के विनिवेश की अनुमति दी जाएगी। इससे पीएसयू (पब्लिक सेक्टर यूनिट्स) में विनिवेश का मार्ग प्रशस्त हो सकेगा। इस दिशा में लागू की जाने वाली नीति इस बजट में दी गई है। राज्य सरकारों को भी उनके उपक्रम में विनिवेश की अनुमति दी जाएगी।

निर्मला सीतारमण ने लंबे समय से घाटे में चल रही कई सरकारी कंपनियों के निजीकरण की बात की है। इनमें बीपीसीएल (भारत पेट्रोलियम कॉर्पोरेशन लिमिटेड), एयर इंडिया, आईडीबीआई, एससीआई (शिपिंग कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया), सीसीआई (कॉटन कॉर्पोरेशन ऑफ़ इंडिया), बीईएमएल और पवन हंस के निजीकरण का ऐलान किया गया है। अगले दो वर्षों में पब्लिक सेक्टर के दो बैंकों के निजीकरण की बात भी कही गई है ताकि राजस्व  बढ़ाया जा सके। वित्त मंत्री ने कहा है कि इन सभी कंपनियों के विनिवेश की प्रक्रिया साल 2022 तक पूरी कर ली जाएगी।

पूर्व वित्त मंत्री चिदंबरम ने कहा कि उपकर लगाने से व्यापक प्रभाव पड़ेगा। यह संघीय ढांचे के खिलाफ है, क्योंकि राज्यों को उपकर का हिस्सा नहीं मिलता है। सरकार ने गरीबों, प्रवासी कामगारों और मजदूरों की अनदेखी की है। बजट ने इतना निराश पहले कभी नहीं किया था। औद्योगिक इकाइयों को स्थायी रूप से बंद कर दिया है और जो लोग अपनी नौकरी खो चुके हैं और अभी भी नौकरियों की तलाश में हैं, उन्हें और ज्यादा निराशा हुई है।

कांग्रेस नेता ने आरोप लगाया कि सांसदों को भी इस बारे में कुछ नहीं पता था कि वह पेट्रोलियम और डीजल सहित कई उत्पादों पर उपकर लगाएगी। पेट्रोल पर प्रति लीटर 2.50 रुपये और डीजल पर 4.00 रुपये प्रति लीटर उपकर किसानों सहित औसत नागरिकों के लिए एक बड़ा झटका है। पेट्रोल-डीजल पर उपकर उन हजारों किसानों के खिलाफ एक प्रतिशोधी कृत्य है, जिन्होंने इतिहास की सबसे लंबी ट्रैक्टर रैली निकाली। यह संघवाद के लिए भी एक झटका है, क्योंकि राज्यों को उपकरों से राजस्व का हिस्सा नहीं मिलता।

कांग्रेस महासचिव रणदीप सुरजेवाला ने कहा, “मोदी सरकार के बजट का एक शब्द में सार है धोखा। इस बजट का नाम है धोखेबाज़ बजट! ये धोखे पर आधारित है। उन्होंने कहा कि बजट में विनिवेश के बारे में कहा जा सकता है “बेच खाएंगे सब कुछ, छोड़ेंगे नहीं अब कुछ!”

कांग्रेस नेता शशि थरूर ने कटाक्ष किया कि यह बीजेपी सरकार मुझे उस गैराज मैकेनिक की याद दिलाती है, जिसने अपने कस्टमर से कहा, “मैं तुम्हारे ब्रेक ठीक नहीं कर सकता था, इसलिए मैंने तुम्हारा हॉर्न की आवाज बढ़ा दी है!”

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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