वरुण गांधी ने पीएम मोदी को पत्र लिखकर लखीमपुर खीरी मामले में अजय मिश्रा के ख़िलाफ़ कार्रवाई की मांग की

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कृषि कानून की वापसी के ऐलान के बाद भाजपा सांसद वरुण गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी को पत्र लिखकर लखीमपुर खीरी हिंसा मामले में केंद्रीय गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र के ख़िलाफ़ कार्रवाई करने की मांग की है।

भाजपा सांसद वरुण गांधी ने प्रधानमंत्री मोदी को लिखे पत्र में कहा है कि वरिष्ठ पदों पर बैठे कई नेताओं ने हमारे आंदोलनकारी किसानों के ख़िलाफ़ भड़काऊ बयान दिया है। भड़काऊ बयानों और किसान आंदोलन को लेकर बनाए गए प्रतिकूल माहौल का ही नतीजा है कि 3 अक्टूबर को लखीमपुर खीरी में हमारे पांच किसान भाइयों को वाहनों से कुचल कर मार डाला गया। यह दिल दहला देने वाली घटना हमारे लोकतंत्र पर एक कलंक है। मेरा आपसे अनुरोध है कि इस घटना से जुड़े केंद्रीय मंत्री के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए ताकि निष्पक्ष जांच हो सके।

वरुण गांधी ने प्रधान मंत्री को संबोधित करके कहा है कि कृषि कानूनों को वापस लेने की घोषणा का मैं स्वागत करता हूँ। मेरा विनम्र निवेदन है कि एमएसपी पर कानून बनाने की मांग व अन्य मुद्दों पर भी अब तत्काल निर्णय होना चाहिए, जिससे किसान भाई आंदोलन समाप्त कर ससम्मान घर लौट जाएं। इस आंदोलन में अब तक 700 किसानों की मौत हो चुकी है। वरुण ने कृषि कानून वापसी में देरी पर सरकार पर निशाना भी साधा है। उन्होंने लिखा है कि मेरा मानना है अगर यह फैसला पहले ले लिया जाता तो इतनी जनहानि नहीं होती।

उत्‍तर प्रदेश के सुल्तानपुर से भाजपा सांसद वरुण गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर न्‍यूनतम समर्थन मूल्‍य पर कानून बनाने की मांग की है। अपने पत्र में उन्‍होंने लिखा है कि किसानों के अन्‍य मुद्दों पर भी बात होनी चाहिए। साथ ही उन्‍होंने लखीमपुर में हुई हिंसा मामले में दोषि‍यों पर तत्काल कार्रवाई करने की भी मांग की है।

वहीं मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक ने कृषि कानूनों की वापसी के फैसले पर प्रतिक्रिया देते हुये कहा है कि अच्छा लगा कि सरकार समाधान की ओर बढ़ रही है। इसके लिए मैं प्रधानमंत्री और किसानों को बधाई दूंगा। प्रधानमंत्री ने उचित निर्णय लिया है। किसानों को इसलिए बधाई दूंगा कि इस वर्ग ने गांधी के देश में बेहद लंबे और अहिंसक संघर्ष के बाद कामयाबी पाई।

गौरतलब है कि कृषि कानूनों की वापसी के फैसले में मेघालय के राज्यपाल सत्यपाल मलिक की भी भूमिका मानी जा रही है। पिछले कुछ समय से मलिक आंदोलनरत किसान संगठनों के पक्ष में खुल कर आ गए थे। उन्होंने यहां तक कहा था कि अगर इसका समाधान नहीं निकला तो केंद्र में मोदी सरकार की वापसी नहीं होगी। 

(जनचौक ब्यूरो की रिपोर्ट।)

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