घुप्प अंधेरे के दौर में कोई न कोई रोशनी जगमगा ही जाती है। हताशा-निराशा के काल में भी कोई न कोई उम्मीद बनकर सामने आ ही जाता है। हमेशा ऐसे योद्धा पैदा होते रहे हैं, जो अपने समय के वर्चस्ववादी साम्राज्यों और शासन-तंत्रों को चुनौती देते हैं। ऐसे ही एक नेता के रूप में कैप्टन इब्राहिम ट्रोरे सामने आएं हैं। वे अफ्रीकी देश बुर्कीना के राष्ट्रपति हैं, वे अभी 37 वर्षीय युवा हैं। वे 2022 में बुर्कीना फासो के राष्ट्रपति चुने गए। 30 अप्रैल, 2025 को उन्होंने अफ्रीकी देशों की एक बैठक में कहा कि, “ एक जुट होकर हम अफ्रीका एक स्वतंत्र, गरिमावान और संप्रभु बनाने के लिए साम्राज्यवाद और नवउपनिवेशवाद को पराजित करेंगे।”
(Together, in solidarity, we will defeat imperialism and neo-colonialism for a free, dignified and sovereign Africa.)।
30 सितंबर, 2022 को राष्ट्रपति बनते ही कैप्टन इब्राहिम ने इस देश अफ्रीका के अंदर देशभक्ति, स्वतंत्रता, संप्रभुता और अफ्रीकी लोगों के बेहतर भविष्य का एक रोडमैप प्रस्तुत किया। उन्होंने कुछ निर्णायक कदम उठाए-
1- फ्रांसीसी सेना को देश से बाहर निकाल दिया, जो आतंकवाद से लड़ने के नाम पर बुर्कीना फासो में घुस आई थी।
2- देश की सुरक्षा साम्राज्यवादियों के हाथों में सौंपने की जगह उन्होंने स्वयं सेवकों की जन मीलिशिया कायम किया। जिसको वाल्टरिज फॉर द डिफेंस और होमलैंड ( Volunteers for the Defense of the Homeland (VDP’s) नाम दिया गया। इसके साथ आसपास के अफ्रीकी देशों से गठजोड़ कायम किया।
3- देश की सोने की खदान का राष्ट्रीयकरण कर दिया। जिसकी कीमत करीब 80 मिलियन अमेरिकी डॉलर आंकी गई है। इस खदान से निकलने वाले कच्चे सोने को रिफाइन करने के लिए देश के भीतर ही रिफाइनरी कायम किया। अनरिफाइंड गोल्ड के यूरोप निर्यात पर रोक लगा दी। नेशनल गोल्ड रिफाइनरी का उद्घाटन किया, जिसकी सालाना क्षमता 150 टन है। इसमें काम करने वाले मजदूरों की मजदूरी में बड़े पैमाने पर बढ़ोत्तरी कर दी गई।
4- भूख और गरीबी अफ्रीका और विशेषकर बुर्कीना फासो की पहचान बन गई थी। इससे निपटने के लिए उन्होंने कृषि उत्पादन बढ़ाने के लिए कई निर्णायक कदम उठाए। कृषि उत्पादकता में तेजी से वृद्धि हुई। जिससे जीडीपी की विकास दर 4-6 प्रतिशत हो गई। इसने जनता के बीच यह विश्वास पैदा किया कि लोगों की भौतिक जरूरतें पूरी की जा सकती हैं। उन्हें भूख और गरीबी से निजात मिल सकती है। बुर्कीना फासो उन 13 देशों में शामिल था, जहां सबसे अधिक भुखमरी की स्थिति थी।
5- बुर्कीना फासो के लोगों, विशेषकर बच्चों की प्रोटीन की जरूरतों को पूरा करने और लोगों को कुपोषण से मुक्ति दिलाने के लिए कैप्टन इब्राहिम के राष्ट्रपति बनने के बाद इस देश में पहली बार सरकारी डेयरी फैक्ट्री खोली गई। भविष्य में बड़े पैमाने पर दुग्ध उत्पाद बढ़ाने की सरकार ने योजना पेश किया है।
6-इंटरनेशनल मोनिटरी फंड और वर्ल्ड बैंक से वित्तीय मदद लेने से मना कर दिया। मकसद था ये संदेश देना कि बुर्कीना फासो पश्चिमी देशों की मदद के बिना भी विकास कर सकता है।
कैप्टन इब्राहिम ने इस तरह के कई कदम उठाए हैं। बुर्कीना फासो और अफ्रीका के अन्य कई देशों में चल रहे आंतकवादी संगठनों और आतंकवादी कार्रवाईयों को वे आंतकवाद नहीं साम्राज्यवाद कहते हैं। उनका कहना है कि साम्राज्यवादी देशों ( फ्रांस, पश्चिमी यूरोप और अमेरिका) के चलते यहां आतंकवाद है, इस आतंकवाद के बहाने वे इन देशों में घुसपैठक करते हैं। अपने सैन्य अड्डे बनाते हैं। इस आतंकवाद के नाम पर हमारे देश में और माली और नाइजर में साम्राज्यवादी फ्रांस ने अपनी सेना भेजी और सैन्य अड्डा बनाया। उन्होंने अफ्रीकी देशों के साझा मंच को संबोधित करते हुए कहा कि, “ यह वास्तव में आतंकवाद नहीं है, यह साम्राज्यवाद है। साम्राज्यवादियों का उद्देश्य हमें ( अफ्रीका) स्थायी तौर युद्ध की स्थिति में रखना है, इसलिए विकास नहीं कर सकते और हमारे संसाधनों की लूट जारी रख सकते हैं।” (It’s not really terrorism, it’s imperialism. Their goal is to keep us in a state of permanent war so that we cannot develop, and they can continue to plunder our resources) उन्होंने आगे कहा कि आज हम साम्राज्यवादी सेनाओं और उनके पोषित आतंकियों दोनों के बूटों तलों पिस रहे हैं।
बुर्कीना फासो 5 अप्रैल, 1960 तक फ्रांस का गुलाम था। इस आजादी के बाद बुर्कीना फासो एक तरह से फ्रांस, पश्चिमी यूरोप और अमेरिका का फिर से नवउपनिवेश बन गया। साम्राज्यवाद-नवउपनिवेशावद विरोधी जननेता थॉमस संकारा (1984-1987) ने राष्ट्रपति के रूप में इस देश के नवउपनिवेशवाद के चंगुल से निकालने की कोशिश की। साम्राज्यवादी देशों ने उनकी हत्या करा दी। दुनिया का इतिहास साम्राज्यवाद विरोधी नेताओं की हत्या और तख्तापलट से भरा पड़ा है। कैप्टन इब्राहिम ने थॉमस संकारा के अधूरे कामों को आगे बढ़ाया है। उनसे प्रेरणा लेते हुए उन्होंने अपने देश को एक स्वतंत्र, संप्रभु और भूख-गरीबी-अभावों से मुक्त एक गरिमामय देश बनाने की कोशिश कर रहे हैं।
थॉमस संकारा की तरह कैप्टन इब्राहिम ट्रोरे के तख्ता पलट और हत्या की भी गंभीर कोशिश हो रही है। 16 अप्रैल, 2025 को उनकी हत्या की एक बड़ी साजिश साम्राज्यवादी देशों और उनकी एजेंसियों ने रची। उनके निवास स्थान पर ही उनकी हत्या की पूरी योजना बन चुकी थी। समय रहते इस साजिश का भंडाफोड़ हो गया। इस कोशिश के बाद बुर्कीना फासो की जनता सड़कों पर अपने राष्ट्रपति के पक्ष में उतर आई। बुर्कीना फासो में एक तरह की क्रांति घटित हो रही है। जिसके पक्ष में जनता का बड़ा हिस्सा लामबंद है। इसके साथ साम्राज्यवादी शक्तियां और उनके पोषित आतंकी संगठन इसे रोकने के लिए तरह-तरह की साजिशें रच रहे हैं।
कैप्टन इब्राहिम अच्छी तरह जानते हैं कि बुर्कीना फासो का भविष्य पूरे अफ्रीका के विकास, समृद्धि, साझेदारी, स्वतंत्रता और संप्रभुता से जुड़ा हुआ है। कमोबेश सबकी नियति एक है। सभी उपनिवेशवादियों और नवउपनिवेशवादियों के गुलाम रहे हैं, कुछ आज गुलाम हैं। वे बुर्कीना फासो की सिर्फ बात नहीं करते हैं, वे हमेशा पैन-अफ्रीका की बात करते हैं। वे अफ्रीकी नियति और भविष्य की बात करते हैं। वे उपनिवेशवाद को अफ्रीका के पिछडेपन, गरीबी, भूख और बदहाली के जिम्मेदार मानते हैं। हाल में ही उन्होंने पश्चिमी दुनिया के पत्रकारों और मीडिया से निम्न सवाल पूछे। जिसमें उनकी सोच साफ तौर सामने आती है-
‘मैं तुमसे पूछता हूं –
New York Times, Washington Post, Guardian, Le Monde,
कभी अफ़्रीका की कामयाबियों को अपनी हेडलाइन बनाया?
कितनी बार तुमने रवांडा की टेक्नोलॉजी क्रांति के बारे में लिखा?
कितनी बार तुमने इथियोपिया के पुनर्वनीकरण प्रोजेक्ट को दिखाया?
कितनी बार तुमने बोत्सवाना की लोकतांत्रिक सफलता की तारीफ की?
कितनी बार तुमने केन्या की एंटरप्रेन्योरशिप की कहानी सुनाई?
नहीं, क्योंकि ये सब तुम्हारी स्क्रिप्ट में फिट नहीं बैठता।
तुम्हारे अफ़्रीका की कहानी में अफ़्रीका सफल नहीं हो सकता.
क्या कभी तुम्हारे किसी संपादक, किसी रिपोर्टर ने ये सोचा है?
दुनिया की सबसे अमीर ज़मीनों पर बसे लोग गरीब क्यों हैं?
तो लीजिए, असल आंकड़े —
30% सोना- माली, बुर्कीना फासो, घाना, तंज़ानिया —
सोना नदियों की तरह बहता है, लेकिन लोग गरीबी में तैरते हैं।
65% हीरे – बोत्सवाना, अंगोला, कांगो, सिएरा लियोन में,
अरबों डॉलर के हीरे निकाले जाते हैं, लेकिन मज़दूर $1 रोज़ कमाते हैं।
35% यूरेनियम- नाइजर, नामीबिया, साउथ अफ़्रीका में,
पेरिस की लाइटें हमारे यूरेनियम से जलती हैं, लेकिन हमारे गांवों में बिजली नहीं।
और तुम पूछते हो- अफ़्रीका गरीब क्यों है?
सही सवाल ये है:
अफ़्रीका को इतना अमीर होते हुए गरीब कैसे बनाए रखा गया?
जवाब है — उपनिवेशवाद’
अफ्रीका को भूख, गरीबी, पिछड़ेपन से निकालने और उसकी संप्रभुता और स्वतंत्रता के लिए अफ्रीका ने तीन देशों माली, नाइजर और बुर्कीना फासो ने मिलकर एक संगठन 16 सितंबर 2023 को बनाया। जिसे एलाएंस और सहेल स्टेट नाम दिया गया है। ये तीन देश हैं, जहां फ्रांस ने 2011 में आतंकवादियों से लड़ने के नाम पर अपनी सेना उतारी दी थी। इन तीनों देशों का नारा है- साम्राज्याद से मुक्ति, देशभक्ति और अफ्रीकी देशों की एकता।
द पैन अफ्रीकेनिज्म सेक्रेटियट कैप्टन इब्राहिम ट्रोरे की भूमिका के बारे में लिखता है कि, “कैप्टन इब्राहिम ट्रोरे के उदय और सहेल में नेतृत्व की इसी तरह की शैली ने पैन-अफ्रीकनिज्म में विश्वास को फिर से जगाया है और पूरे अफ्रीका में युवाओं को प्रेरित किया है। आशा की इस किरण ने पूरे महाद्वीप के नागरिकों के बीच इस बारे में आकांक्षाएं जगाई हैं कि उनके देशों में कैसे शासन चलना चाहिए। वास्तव में, अपनी अटूट प्रतिबद्धता और देशभक्ति के कारण, कैप्टन इब्राहिम ट्रोरे एक स्टार, एक प्रेरणा और साम्राज्यवाद-विरोधी चैंपियन बन गए हैं, जो अफ्रीका में साम्राज्यवाद के लिए एक वास्तविक खतरा बन गए हैं। वह न केवल उपनिवेशवाद के बाद के शिकार अफ्रीकी देशों के लिए, बल्कि दुनिया के लिए एक नया रास्ता बना रहे हैं।” ( स्रोत- मंथली रिव्यू ऑनलाइन, 10 जून)
कैप्टन इब्राहिम को चीन और रूस से भी मदद मिल रही है। चीन, अफ्रीका में बड़े पैमाने पर निवेश कर रहा है। वहां के देशों के साथ पिछले दशकों में उसके घनिष्ठ आर्थिक और राजनीतिक रिश्ते कायम हुए हैं। रूस भी इन देशों को सहयोग दे रहा है। इब्राहिम की सुरक्षा के लिए रूस ने बहुत सारे उपकरण उपलब्ध कराए हैं। यूरोप-अमेरिका अफ्रीका और विशेषकर बुर्कीना फासो, माली और नाइजर में चीन और रूस के बढ़ते प्रभाव से बहुत चिंतित हैं। ये देश फ्रांस के पहले उपनिवेश थे और बाद में उसी के नवउपनिवेश बन गए। पहली बार इन दोनों ने फ्रांस से अपने को पूरी तरह आजाद कर लिया है और बची-खुची निर्भरता को खत्म करने की कोशिश कर रहे हैं। इसकी अगुवाई कैप्टन इब्राहिम ट्रोरे कर रहे हैं।
इब्राहिम ट्रोरे बुर्कीना फासो, माली, नाइजर और अफ्रीका के लिए नई उम्मीद और आशा की किरण बन कर आए हैं। पश्चिमी मीडिया उन्हें तानाशाह और लोकतंत्र का विरोधी कहकर बदनाम करने की कोशिश कर रही है, लेकिन अब तक की स्वतंत्र और निष्पक्ष रिपोर्टों और सोशल मीडिया से प्राप्त सूचनाएं बता रही हैं कि वे अपने देश में एक लोकप्रिय नायक के रूप में देखे जा रहे हैं। इस समय वे अफ्रीका के भी सबसे लोकप्रिय नेता हैं।
(डॉ. सिद्धार्थ लेखक और पत्रकार हैं।)