गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज से निलंबित हुए डॉ. कफील खान की याचिका पर हाईकोर्ट के जस्टिस यशवंत वर्मा की एकल पीठ ने यूपी सरकार से पूछा है कि डॉ. कफील अहमद खान को चार साल से निलंबित क्यों रखा गया है? कोर्ट ने सरकार से पूछा कि अब तक विभागीय कार्यवाही पूरी क्यों नहीं की जा सकी? कफील खान ने अपने निलंबन को लेकर हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसे लेकर अब सरकार से जवाब मांगा गया है।
एकल पीठ ने यूपी सरकार से 5 अगस्त तक जानकारी देने को कहा है, जिसमें सरकार को ये बताना होगा कि पिछले चार सालों से डॉ. कफील खान को लेकर आखिर कोई फैसला क्यों नहीं लिया गया और उन्हें उनकी नौकरी पर वापस क्यों नहीं रखा गया। एकलपीठ ने आदेश दिया कि अभी तक की गई जांच की रिपोर्ट भी पेश की जाए। साथ ही विभागीय जांच को जल्द से जल्द पूरा कर जो भी कार्रवाई उचित हो उसको किया जाए। हालांकि लंबे समय तक निलंबित रखने की बात पर कोर्ट ने सरकार के साथ ही विभाग पर भी नाराजगी जताई।
हाईकोर्ट ने 7 मार्च 2019 को 3 माह में कार्यवाही पूरी करने का निर्देश दिया था। लेकिन इस पर 11 महीने बाद 24 फरवरी 2020 को जांच रिपोर्ट स्वीकार की गई। इसके बाद अब कोर्ट ने दो बिन्दुओं पर दोबारा जांच का आदेश दिया है।
डॉ. कफील खान कई बार अपने निलंबन को वापस लेने की मांग कर चुके हैं। कोरोना काल की शुरुआत से ही वो योगी सरकार से अपील कर रहे हैं कि वो अपने अनुभव से लोगों की मदद करना चाहते हैं। इसके अलावा उन्होंने ये भी आरोप लगाया कि जानबूझकर उनका निलंबन खत्म नहीं किया जा रहा है। उनका दावा है कि वो इसे लेकर 36 से ज्यादा बार चिट्ठी लिख चुके हैं।
22 अगस्त 2017 में गोरखपुर के बीआरडी मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन खत्म हो गया था, जिसके चलते कई बच्चों की मौत हो गई थी। याची डॉ. कफील अहमद खान का कहना है कि उसे 22 अगस्त 17 को ऑक्सीजन आपूर्ति मामले में निलंबित किया गया था।मामले को लेकर विभागीय जांच भी बैठाई गई थी। उन्होंने बताया कि कार्रवाई पूरी नहीं होती देख हाईकोर्ट में याचिका दायर की थी। हाईकोर्ट ने मामले में 7 मार्च, 2019 को आदेश दिया कि 3 माह के अंदर कार्रवाई पूरी की जाए। इसके बाद विभाग ने 15 अप्रैल 2019 को रिपोर्ट पेश की जिसके बाद 11 माह बीतने पर 24 फरवरी 2020 को जांच रिपोर्ट स्वीकार कर दो बिन्दुओं पर फिर जांच का आदेश दिया गया।
डॉ. कफील का कहना है कि वह चार साल से न्याय के लिए भटक रहे हैं। उन्होंने कहा कि उनके मामले में जो भी निर्णय लेना हो अधिकारी लें लेकिन जांच को लंबित रख मामले को चार साल तक लटका कर रखना उचित नहीं है। कोर्ट ने अब इस मामले में सख्त रुख अपनाया है और अगली सुनवाई अब 5 अगस्त को होगी।
(जनचौक ब्यूरो की रिपोर्ट।)
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