Thursday, March 28, 2024

आंध्र प्रदेश में तीन नहीं केवल एक राजधानी अमरावती रहेगी

आंध्र प्रदेश सरकार ने आंध्र प्रदेश उच्च न्यायालय को सूचित किया है कि राज्य के लिए तीन प्रशासनिक राजधानियों के निर्णय को वापस लिया जा रहा है। आंध्र प्रदेश के महाधिवक्ता सुब्रह्मण्यम श्रीराम ने सोमवार को उच्च न्यायालय को बताया कि अमरावती राज्य की एकमात्र राजधानी रहेगी।आंध्र प्रदेश सरकार ने भारी विरोध के बाद ‘विवादित’ तीन राजधानी विधेयक वापस लेने का फैसला किया है। इस बिल में विजाग यानी विशाखापट्टनम को कार्यकारी राजधानी,अमरावती की विधायिका राजधानी और करनूल को न्‍यायिक राजधानी बनाने का प्रस्‍ताव किया गया था। एडवोकेट जनरल एस सुब्रमण्‍यम ने कल हाईकोर्ट में बताया कि राज्‍य के सीएम वायएस जगनमोहन रेड्डी इस बारे में जल्‍द ही विधानसभा में बड़ा ऐलान करेंगे।

गौरतलब है कि इस बिल को हाईकोर्ट में कई याचिकाओं में चुनौती दी गई थी। पिछले साल पारित किए गए इस बिल को वापस लेने का फैसला एक इमरजेंसी मीटिंग में लिया गया।किसान और जमीन मालिक इस प्रस्‍तावित बिल से काफी खफा थे, पिछले कुछ समय से इसके विरोध में कई प्रदर्शन भी हो रहे थे।किसानों द्वारा 1 नवंबर से अमरावती से तिरुपति तक 45 दिन का पैदल मार्च निकाला।प्रदर्शनकारी रविवार को ही नेल्‍लोर पहुंचे थे।

राज्य इस प्रकार एपी विकेंद्रीकरण और सभी क्षेत्रों के समावेशी विकास विधेयक, और 2020 और एपी राजधानी क्षेत्र विकास प्राधिकरण (निरसन) विधेयक, 2020 को निरस्त कर देगा। इन्हें जुलाई 2020 में राज्यपाल की सहमति वापस मिल गई थी और राज्य के लिए अपनी जरूरतों के लिए तीन राजधानियों, विशाखापत्तनम में कार्यकारी राजधानी, अमरावती में विधायी राजधानी और कुरनूल में न्यायिक राजधानी का मार्ग प्रशस्त किया था।

गौरतलब है कि वाईएस जगनमोहन रेड्डी के नेतृत्व में 2019 में आंध्र प्रदेश में वाईएसआर कांग्रेस पार्टी की सरकार बनने के बाद राज्य की तीन राजधानियां बनाने की घोषणा की गई थी। 17 दिसंबर, 2019 को विधानसभा में मुख्यमंत्री जगन मोहन रेड्डी ने घोषणा की कि राज्य की तीन राजधानियां होंगी। साथ ही राज्य विधानसभा में इससे संबंधित विधेयक भी पारित किया गया था। जगनमोहन रेड्डी के इसे फैसले का विपक्षी दलों ने विरोध किया था। साथ ही राज्य की राजधानी अमरावती के लिए जमीन देने वाले किसानों ने भी जगन सरकार के फैसले का विरोध करते हुए आंदोलन किया। अमरावती के किसानों का आंदोलन अब भी जारी है। फिलहाल, आंदोलनकारी किसान अमरावती से तिरुपति तक महापदयात्रा कर रहे हैं।

 आंध्र प्रदेश राजधानी क्षेत्र विकास (निरसन) अधिनियम को पिछली तेलुगु देशम पार्टी (टीडीपी) सरकार ने 2015 में अमरावती को राज्य की राजधानी के रूप में विकसित करने के अधिकार को समाप्त करने के लिए पारित किया था। विशाखापत्तनम, कुरनूल और अमरावती में कार्यकारी, न्यायिक और विधायी राजधानियों की स्थापना के लिए एपी विकेंद्रीकरण और सभी क्षेत्रों का समावेशी विकास अधिनियम पारित किया गया था।

आंध्र देश का पहला राज्य बनने जा रहा था जहां एक नहीं दो नहीं बल्कि तीन राजधानियां होतीं। हालांकि देश में महाराष्ट्र, जम्मू कश्मीर, हिमाचल प्रदेश में दो राजधानियों की व्यवस्था पहले से ही है।लेकिन आंध्र प्रदेश ने एक कदम आगे बढ़ाते हुए प्रदेश के लिए तीन राजधानियां बनाने का फैसला किया था। 

आंध्र प्रदेश की पूर्ववर्ती सरकारों पर आरोप लगता रहा है कि एक आंध्र प्रदेश(तेलंगाना के अलग होने से पहले) के दौरान उन्होंने हैदराबाद और उसके आस पास के इलाकों के विकास पर ही पूरा ध्यान केंद्रित किया जबकि रायलसीमा और उत्तरी आंध्र जैसे पिछड़े क्षेत्र विकास की बाट जोहते रहे।टीडीपी नेता और पूर्व मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू पर तो खासतौर पर ये आरोप रहा। 1995 से 2004 तक प्रदेश का मुखिया रहते हुए उन्होंने ज़रूर हैदराबाद को आईटी हब के तौर पर पहचान दिलाई लेकिन जो भी विकास हुआ वो हैदराबाद के आसपास ही सीमित रहा। जून, 2014 में आंध्र प्रदेश से तेलंगाना के अलग होने और राजधानी हैदराबाद खोने के बाद तत्कालीन मुख्यमंत्री एन चंद्रबाबू नायडू ने अमरावती को नई राजधानी के तौर पर विकसित करने का प्रस्ताव रखा।अमरावती चुनने के पीछे उनका तर्क था कि ये आंध्र प्रदेश के बीच में है और इससे तीनों क्षेत्रों को सहूलियत होगी। उस समय विपक्ष में बैठे जगन रेड्डी ने भी अमरावती के पक्ष में अपना समर्थन दिया था।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने न केवल अमरावती को बतौर नई राजधानी बनाने के लिए शिलान्यास किया बल्कि उसके निर्माण के लिए केंद्र की ओर से 1,500 करोड़ की मदद भी दी।चंद्रबाबू नायडू के लिए अमरावती को राजधानी बनाना ड्रीम प्रोजेक्ट था। ये राजधानी 29 गांवों की 3,300 एकड़ ज़मीन पर करीब एक लाख करोड़ में बननी थी।लेकिन चंद्रबाबू नायडू के अमरावती को राजधानी बनाने के प्रस्ताव से रायलसीमा और उत्तर आंध्र के लोगों में असंतोष भड़क उठा। इसका नतीजा लोकसभा और विधानसभा के नतीजों में दिखा जब जगन रेड्डी के पूरे प्रदेश के विकास के वादे पर उन्होंने भरपूर समर्थन दिया और विधानसभा की 170 में से 153 सीटों पर जीत हासिल कर वाईएसआर कांग्रेस ने चंद्रबाबू नायडू की टीडीपी का सूपड़ा साफ कर दिया। 

जगन रेड्डी ने सत्ता में आते ही चंद्रबाबू नायडू के हितों पर चोट करनी शुरू कर दी थी, पहले नायडू के नदी किनारे बने बंगले के बगल में बन रहे प्रजा वेदिका को गिरा दिया गया, पोलावरम प्रोजेक्ट के टेंडर को रद्द कर दिया गया, बिजली खरीद समझौते पर पुनर्विचार शुरू किया गया फिर अमरावती की जगह राज्य में तीन राजधानी बनाने का प्रस्ताव देकर चंद्रबाबू नायडू को गहरी चोट दी।चंद्रबाबू नायडू सरकार के समय यूएई के लूलू ग्रुप को अमरावती में दी गई ज़मीन वापस ले ली गई। लूलू ग्रुप अमरावती में 2,300 करोड़ का निवेश कर अंतर्राष्ट्रीय कन्वेंशन सेंटर, शॉपिंग मॉल और फाइव स्टार होटल बनाने वाला था। जगन रेड्डी के आने के साथ ही चंद्रबाबू नायडू और उनके समर्थकों का अमरावती को ग्लोबल राजधानी के तौर पर विकसित करने का फैसला धराशायी हो गया।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)

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