रायपुर। छत्तीसगढ़ में आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिकाएं कांग्रेस पर चुनाव में किए गए वादे नहीं निभाने का आरोप लगा रही हैं। कार्यकर्ताओं का कहना है कि उन्हें महंगाई के अनुपात में प्रति माह मानदेय भी नहीं मिलता है। इसके अलावा उच्च अधिकारियों द्वारा दबाव पूर्वक काम भी लिया जाता है। छत्तीसगढ़ सरकार ने सत्ता में आने से पहले इन कार्यकर्ताओं से चुनावी घोषणा पत्र में वादा किया था कि इन्हें नर्सरी शिक्षक का दर्जा और कलेक्टर दर पर मानदेय दिया जाएगा लेकिन साढ़े तीन साल सरकार के गुजरने को है अब तक वादा पूरा नहीं किया गया है नाराज कार्यकर्ता अब अगस्त में कांग्रेस के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष राहुल गांधी के बंगले के समक्ष नई दिल्ली में हजारों की संख्या में जाकर विरोध जताने वाले हैं। इससे पहले छत्तीसगढ़ के पूरे जिला तहसील क्षेत्र में काम बन्द वादा निभाओ रैली निकाल रहे हैं।
बता दें कि छत्तीसगढ़ प्रदेश में महिला एवं बाल विकास विभाग के अंतर्गत प्रदेश के 46660 आंगनबाड़ी और 5814 आंगनबाड़ी केन्द्र में 1,04,948 आंगनबाड़ी मिनी आंगनबाड़ी कार्यकर्ता एवं सहायिका कार्यरत हैं। इन्हें केन्द्र और राज्य सरकार दोनों द्वारा अपने विभाग के कार्य के अलावा अन्य विभागों द्वारा सौंपे गये कार्यों का संपादन बहुउद्देश्यीय कार्यकर्ता की तरह करना पड़ता है।
आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिका मंच ने आरोप लगाया है कि अधिकारियों का नियंत्रण भी इनके ऊपर विभागीय अधिकारियों के साथ ही साथ, जिला कलेक्टर, एसडीएम सभी का रहता है एक भी अधिकारी किसी कारण वश नाराज हो गये तो खामियाजा सेवा से पृथक या मानदेय कटौती की वेदना से गुजरना पड़ता है।
काम और महंगाई के अनुपात में महज रुपये 3250 प्रति माह सहायिका को और 6500 रुपये कार्यकर्ता को मानदेय केन्द्र और राज्य सरकार दोनों से मिलाकर (सहायिका को राज्य सरकार से 1000 केन्द्र सरकार से 2250 और कार्यकर्ता को 2000 रुपये, राज्य सरकार से 4500 रुपये केन्द्र सरकार से) प्राप्त हो रहा है, जिसे जीने लायक पारिश्रमिक कदापि नहीं कहा जा सकता है।
कार्यकर्ताओं ने कहा कि सरकारें एक तरफ महिला सशक्तिकरण की बात करती हैं, महिलाओं के सुदृढ़ीकरण की बात करती हैं लेकिन देश में 1974-75 से आईसीडीएस को स्थापित हुये 47-48 वर्ष होने के बाद भी केन्द्र सरकार ने इन महिलाओं के श्रम का मूल्यांकन मात्र 4500-2500 और छत्तीसगढ़ सरकार बनने के 20 वर्ष में 2000-1000 किया जाना महिलाओं के शोषण से कम नहीं है।
बता दें कि केन्द्र और राज्य दोनों सरकारें के कई योजना महिला समृद्धि योजना, किशारी बालिका योजना, कुपोषण मुक्त योजना गर्भवती माताओं शिशुओं की देखभाल के दर्जन भर विभागीय योजनाओं की जिम्मेदारी के साथ ही साथ पोषण देकर, जनगणना मतदाता सूची, बीएलओ पल्स पोलियो, फाईलेरिया इत्यादि राष्ट्रीय कार्यक्रम की जिम्मेदारी निभाने वाली आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिकाएं स्वयं जीने लायक वेतन के लिए जूझ रही हैं।
कुपोषण भगाने वाली आंगनबाड़ी कार्यकर्ता सहायिकायें और उनके बच्चे स्वयं कुपोषित हो रही हैं। प्रशासन द्वारा यह भी बताया गया कि राज्य संघ के जिला शाखा अध्यक्ष सरकार और केन्द्र सरकार दोनों हमारे मांगों के ऊपर गंभीर नहीं है। हम लगातार शासन का ध्यानाकर्षण करते जा रहे हैं।
वर्तमान छत्तीसगढ़ सरकार से हमें कॉफी उम्मीद थी, उनका सरकार में आने से पहले प्रदेश के एक लाख आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं सहायिकाओं से उनके द्वारा चुनावी घोषणा पत्र में वायदा किया गया था कि कांग्रेस की सरकार आयेगी तो कार्यकर्ताओं को नर्सरी शिक्षक का दर्जा और कलेक्टर दर पर मानदेय दिया जायेगा लेकिन वायदा अभी तक नही निभाया गया है।
(छत्तीसगढ़ से जनचौक संवाददाता तामेश्वर सिन्हा की रिपोर्ट।)
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