Friday, March 29, 2024

झारखंड विधानसभा में एंटी मॉब लिंचिंग बिल पारित, दोषियों को उम्रकैद तक की सजा, भाजपा विरोध में उतरी

मॉब लिंचिंग पर क़ानून बनाने वाला झारखंड राजस्थान और पश्चिम बंगाल के बाद देश का तीसरा राज्य बन गया है। झारखंड में हेमंत सोरेन सरकार ने आज विधानसभा में मॉब लिंचिंग और भीड़ हिंसा को रोकने के लिए “झारखंड मॉब वायलेंस एंड मॉब लिंचिंग निवारण विधेयक 2021” पेश किया। जिसे झारखंड विधानसभा ने ध्वनिमत से पारित कर दिया है। ये विधेयक राज्यपाल के हस्ताक्षर के बाद क़ानून का रूप ले लेगा।

झारखंड के “झारखंड मॉब वायलेंस एंड मॉब लिंचिंग निवारण विधेयक 2021”  बिल में मॉब लिंचिंग के मामलों में उम्र कैद की सजा का प्रावधान किया गया है। साथ ही पीड़ितों के मुफ्त इलाज का प्रावधान भी इसमें शामिल है। 

आज झारखंड विधानसभा में हेमंत सोरेन सरकार ने जब इस बिल को पेश किया तो भाजपा विधायक विरोध स्वरूप सदन से वॉकआउट कर गये। भाजपा विधायकों के वॉकआउट के बीच सदन ने विधेयक को मंजूरी दे दी। विधेयक में कहा गया है कि 2 या इससे अधिक व्यक्तियों द्वारा की जाने वाली हिंसा को मॉब लिंचिंग माना जाएगा और इसके लिए उम्र कैद के साथ-साथ 25 लाख रुपये तक के जुर्माने की सजा हो सकती है। 

प्रस्तावित क़ानून में लिंचिंग की घटनाओं को रोकने के लिए आईजी स्तर के अधिकारी को नियुक्त किए जाने का प्रावधान है, जिसे नोडल अफसर कहा जाएगा। इस बिल में मॉब लिंचिंग की परिभाषा भी तय की गई है। अगर भीड़ की हिंसा या हिंसक घटनाओं में किसी की हत्या हो जाए तो उसे मॉब लिंचिंग कहा जाएगा। दो या दो से ज्यादा लोगों के समूह को मॉब कहा जाएगा।

झारखंड कांग्रेस विधायक इरफान अंसारी ने इस बिल का स्वागत करते हुए उम्र कैद की जगह सरकार से मृत्यु दंड की सजा का प्रावधान करने की मांग की है। इरफान अंसारी ने पिछली भाजपा सरकार में बड़े पैमाने पर मॉब लिंचिंग की घटना होने का आरोप लगाते हुए कहा कि अब तक 60 लोग इसकी भेंट चढ़ गए हैं। 

भाजपा ने मॉब लिंचिंग क़ानून का विरोध किया 

वहीं मॉब लिंचिंग को देश की संस्कृति बनाने वाली बीजेपी ने मॉब लिंचिंग निरोधक क़ानून का विरोध किया है। विधेयक के कई प्रावधानों पर भाजपा के विधायकों ने सदन में विरोध जताया।

भाजपा ने इसे हड़बड़ी में और एक वर्ग विशेष को खुश करने के लिए लाया गया विधेयक बताते हुए सदन का बहिष्कार किया। भाजपा विधायक सीपी सिंह ने आरोप लगाया कि बिल को एक राजनीतिक दल को टारगेट करके बनाया गया है। साथ ही ये भी कहा कि बिल में ऐसे प्रावधान नहीं होने चाहिए जिससे एक धर्म और विशेष संप्रदाय को ही इसका लाभ मिल सके। वहीं, माले विधायक ने कहा कि बिल में पीड़ितों को मुआवजा देने का प्रावधान नहीं किया गया है। 

विधेयक में 2 या 2 से अधिक व्यक्तियों के समूह को मॉब की संज्ञा दिए जाने पर भाजपा विधायक अमित मंडल ने विरोध जताते हुए कहा कि ये विधेयक हड़बड़ी में लाया गया है, इसमें कई त्रुटियां हैं। उन्होंने कहा कि 2 व्यक्तियों को यदि मॉब का रूप दिया जाएगा तो घरेलू विवाद को भी मॉब लिंचिंग कहा जाएगा और इस कानून का दुरुपयोग होगा। इससे पुलिस की लालफीताशाही बढ़ जाएगी। उन्होंने संख्या को 2 से बढ़कर 10 करने का संशोधन सदन में रखा।

इसके जवाब में संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि ये कानून सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर लाया गया है। 2 या 2 से अधिक व्यक्तियों की बात भी सुप्रीम कोर्ट ने ही कही है। 

विधायक अमर कुमार बाउरी ने कहा कि ये बिल झारखंड विरोधी, आदिवासी विरोधी है। एक विशेष वर्ग को खुश करने के लिए बिल लाया गया है। विधायक प्रदीप यादव और दीपिका पांडेय सिंह ने पुनर्वास की व्यवस्था करने की मांग की।

भाजपा के विधायक इस विधेयक को प्रवर समिति को सौंपने की मांग कर रहे थे, लेकिन उनकी ये मांग खारिज कर दी गई। इस पर भाजपा के सदस्यों ने सदन से वॉकआउट किया। विपक्ष की अनुपस्थिति में सदन ने विधेयक को पारित कर दिया। 

क्या है विधेयक में 

आज सुबह विधानसभा में “झारखंड मॉब वायलेंस एंड मॉब लिंचिंग निवारण विधेयक 2021” पर चर्चा के दौरान राज्य के संसदीय कार्य मंत्री आलमगीर आलम ने कहा कि झारखंड में 2016 से लेकर अब तक मॉब लिंचिंग की 56 घटनाएं हुई हैं। ऐसी घटनाओं में कमजोर वर्ग के लोग हिंसा के शिकार होते रहे हैं। उन्होंने कहा कि ये कानून पीड़ितों को संरक्षण देने और ऐसे कृत्य को अंजाम देने वाले तत्वों को सख्त सजा दिलाने के लिए बनाया जा रहा है। 

विधानसभा से पारित ‘झारखंड मॉब वायलेंस एंड मॉब लिंचिंग निवारण विधेयक 2021’ में कहा गया है, अगर कोई मॉब लिंचिंग के कृत्य में शामिल रहता है और ऐसी घटना में पीड़ित की मृत्यु हो जाती है तो इसके लिए दोषी को सश्रम आजीवन कारावास के साथ 25 लाख रुपये तक जुर्माना लगाया जाएगा। यदि कोई व्यक्ति किसी को लिंच करने के षड्यंत्र में शामिल होता है या षडयंत्र करता है या लिंचिंग के कृत्य के लिए दुष्प्रेरित या उसमें सहायता या प्रयत्न करता है, तो उसके लिए भी आजीवन कारावास का प्रावधान किया गया है। 

अगर मॉब लिंचिंग में किसी को गंभीर चोट आती है, तब भी दोषी को 10 वर्ष से लेकर उम्र कैद तक की सजा होगी। इसके साथ ही 3 से 5 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जाएगा। उकसाने वालों को भी दोषी माना जाएगा और उन्हें 3 साल की सजा और एक से 3 लाख रुपये तक का जु़र्माना हो सकता है। इतना ही नहीं लिंचिंग के अपराध से जुड़े किसी साक्ष्य को नष्ट करने वाले को भी अपराधी मानकर एक साल की सजा और 50 हजार रुपये तक का जुर्माना होगा। अगर कोई लिंचिंग का माहौल तैयार करने में सहयोग करता है तो ऐसे व्यक्ति को 3 साल की सजा और एक से 3 लाख तक जुर्माना होगा। दंड प्रक्रिया संहिता के तहत जांच के जो प्रावधान बताए गए हैं, वही प्रक्रिया यहां भी अपनाई जाएगी। मॉब लिंचिंग से जुड़े सभी अपराध गैर जमानती होंगे। 

 “झारखंड मॉब वायलेंस एंड मॉब लिंचिंग निवारण विधेयक 2021” में ये व्यवस्था भी की गयी है कि मॉब लिंचिंग की रोकथाम के लिए पुलिस महानिदेशक स्तर के पदाधिकारी को नोडल पदाधिकारी बनाया जाएगा। राज्य स्तर के नोडल पदाधिकारी जिलों में स्थानीय खुफिया इकाइयों के साथ महीने में कम से कम एक बार बैठक करेंगे। जिला स्तर पर पुलिस अधीक्षक या वरीय पुलिस अधीक्षक जिले के लिए समन्वयक होंगे।

वहीं इससे पहले आज सुबह पूर्व कांग्रेस अध्यक्ष राहुल गांधी ने ट्विटर पर ‘थैंक्यू मोदी जी’ हैशटैग के जरिये प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर निशाना साधते हुए ट्वीट किया, ‘‘2014 से पहले ‘लिंचिंग’ शब्द सुनने में भी नहीं आता था।’’

दरअसल राहुल गांधी ने पंजाब और कुछ अन्य जगहों पर भीड़ द्वारा पीट-पीटकर कथित तौर पर मार डालने (लिंचिंग) की हालिया घटनाओं की पृष्ठभूमि में मंगलवार को आरोप लगाया कि साल 2014 में नरेंद्र मोदी सरकार बनने से पहले ‘लिंचिंग’ शब्द सुनने में नहीं आता था ।

गौरतलब है कि गत रविवार को पंजाब के कपूरथला के निजामपुर गांव में एक गुरुद्वारा में सिख धर्म के ‘निशान साहिब’ (ध्वज) का अनादर करने के आरोप में एक अज्ञात व्यक्ति को भीड़ ने पीट-पीटकर कथित तौर पर मार डाला।

इससे पहले अमृतसर के स्वर्ण मंदिर में शनिवार को कथित बेअदबी को लेकर भीड़ ने एक अन्य व्यक्ति की पीट-पीट कर कथित तौर पर जान ले ली थी।

(जनचौक ब्यूरो की रिपोर्ट।)

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