सिद्धू को किनारे लगाने की कांग्रेस आलाकमान की कवायद शुरू

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पंजाब में सरगोशियां तो हैं ही, तेज सियासी घटनाक्रम भी जाहिर कर रहा है कि अब कांग्रेस आलाकमान ने एक हफ्ता पहले पार्टी प्रदेशाध्यक्ष से इस्तीफा दे चुके नवजोत सिंह सिद्धू का इस्तीफा स्वीकार करने का मन बना लिया है। कयास हैं कि हाईकमान एकाध दिन में नए अध्यक्ष की घोषणा कर देगा। फिलहाल तक सिद्धू का इस्तीफा इसलिए मंजूर नहीं किया गया था कि शायद वह मान जाएं और विवाद सुलझ जाए। इसके लिए मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी से लेकर पंजाब प्रभारी हरीश रावत ने बहुतेरी कोशिशें कीं लेकिन सिद्धू की जिद अडिग है। कांग्रेस आलाकमान ने नवजोत सिंह सिद्धू की नाराजगी दूर करने के लिए चरणजीत सिंह चन्नी और हरीश रावत को लगाया था लेकिन अब दोनों ने हाथ खड़े कर दिए हैं।

सूत्रों की मानें तो राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री दिवंगत बेअंत सिंह के पोते तथा लुधियाना से सांसद रवनीत सिंह बिट्टू या विधायक व राज्य कांग्रेस के कार्यकारी अध्यक्ष कुलजीत सिंह नागरा अगले प्रदेशाध्यक्ष हो सकते हैं। गौरतलब है कि मंगलवार को मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह से मिलने के लिए दिल्ली जाना था। उनका सरकारी हेलीकॉप्टर अचानक मोहाली एयरपोर्ट पर उतर गया। जानकारी के मुताबिक उन्हें कांग्रेस हाईकमान की तरफ से संदेश मिला कि वह अपने साथ रवनीत सिंह बिट्टू और नागरा को लेकर आएं। सो मोहाली से यह तीनों एक चार्टर्ड जहाज के जरिए राजधानी रवाना हुए। दिल्ली में बिट्टू और नागरा मुख्यमंत्री के साथ कपूरथला हाउस में ठहरे। वहीं मख्यमंत्री चन्नी से मुलाकात के लिए पूर्व प्रदेश अध्यक्ष प्रताप सिंह बाजवा भी पहुंचे। बताया जाता है कि चन्नी और बाजवा के बीच पंजाब के नए कांग्रेस प्रधान की बाबत चर्चा हुई। हालांकि एक से ज्यादा घंटे तक कपूरथला भवन रहे प्रताप सिंह बाजवा का कहना है कि यह महज शिष्टाचार मुलाकात थी।

नवजोत सिंह सिद्धू के इस्तीफे ने सूबे की सियासत, खासतौर पर कांग्रेस के भीतर धमाका-सा कर दिया था। दरअसल, सिद्धू का मानना था कि उनका इस्तीफा मुख्यमंत्री पर तो दबाव बनाएगा ही, कई मंत्री और विधायक भी उनका पक्ष लेंगे। लेकिन ऐसा कुछ नहीं हुआ। सिर्फ रजिया सुल्ताना ने मंत्री पद से इस्तीफा दिया और वह भी बाद में वापस हो गया। सिद्धू के करीबी मंत्री परगट सिंह ने भी इस्तीफा नहीं दिया। अलबत्ता वह उन्हें मनाने जरूर पहुंचे।

जिस दिन नवजोत सिंह सिद्धू ने इस्तीफा दिया उस दिन पटियाला स्थित उनके आवास पर तीन मंत्री पहुंचे लेकिन उन्हें मुख्यमंत्री ने भेजा था, यह थाह लेने के लिए कि आखिर सिद्धू की नाराजगी के मूल में क्या है। हफ्ते भर से सिद्धू पूरी तरह अलग-थलग हैं।
राज्य के सियासी जानकारों का कहना है कि कांग्रेस आलाकमान मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की अब तक की कार्यशैली से खुश है और अगले चुनाव में चन्नी को ही मुख्यमंत्री के तौर पर पेश किए जाने का फैसला कर चुकी है। कैप्टन के इस्तीफे के बाद नवजोत सिंह सिद्धू द्वारा अब चन्नी सरकार के खिलाफ शुरू की गई बयानबाजी ने आलाकमान को यह मानने पर मजबूर कर दिया है कि चुनाव के दरमियान सिद्धू पार्टी के लिए समस्याएं खड़ी कर सकते हैं। टिकटों के बंटवारे के लिए जिद कर सकते हैं।

बेशक नवजोत सिंह सिद्धू अब भी कह रहे हैं कि वह सदा कांग्रेस के साथ रहेंगे। लगभग हाशिए पर आ चुके और अध्यक्ष पद की कुर्सी गंवा ही चुके सिद्धू अब ट्विटर पर प्रियंका गांधी और राहुल गांधी का गुणगान कर रहे हैं। कल भी उन्होंने ट्वीट किया कि वह लखीमपुर खीरी कांग्रेस कार्यकर्ताओं को लेकर जाएंगे और प्रियंका तथा राहुल का साथ देंगे। लेकिन माना जा रहा है कि अब सिद्धू की दाल कांग्रेस में नहीं गलेगी।

कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने इस संवाददाता से कहा कि असल में सिद्धू मुख्यमंत्री को अपनी कठपुतली बनाना चाहते थे लेकिन ऐसा हो नहीं पाया, इसलिए उन्होंने पद त्याग का नाटक किया। लेकिन यह उन्हें माकूल नहीं बैठा। हफ्ता भर इंतजार के बाद कांग्रेस हाईकमान ने प्लान बी के बारे में फैसला ले लिया है। बस घोषणा बाकी है। यह तय होना भी कि रवनीत सिंह बिट्टू और कुलजीत सिंह नागरा में से कौन पंजाब कांग्रेस की कमान संभालेगा?
(पंजाब से वरिष्ठ पत्रकार अमरीक सिंह की रिपोर्ट।)

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