Sunday, April 28, 2024

बिहार के कई जिलों में सांप्रदायिक हिंसा फैलाने की साजिश को सरकार और प्रशासन ने किया नाकाम

पटना। मेवात और गुरुग्राम में हुए दंगों पर विपक्षी पार्टियां, पत्रकार, तमाम संगठन, प्रशासन और सरकार को कटघरे में खड़ा कर रहे हैं। हरियाणा के मुख्यमंत्री कह रहे हैं कि सभी लोगों की सुरक्षा सरकार से संभव नहीं है। इसी बीच बिहार में भी पिछले एक सप्ताह में कई सांप्रदायिक घटनाएं हुईं। राज्य के पांच जिलों- दरभंगा, गया, कैमूर, भागलपुर और औरंगाबाद से हिंसा की खबरें आईं। लेकिन प्रशासन और सरकार के सार्थक प्रयास से दंगा सिर्फ खबरों में ही सिमट कर रह गया।

ब्लॉगर और लेखक प्रियांशु कुशवाहा कहते हैं कि, “दंगे नहीं होंगे तो भाजपा नहीं जीतेगी। भारतीय राजनीति का अंतिम सत्य यही है। बिहार में भी बजरंग दल और वीएचपी जैसे छोटे-छोटे संगठनों के माध्यम से युवाओं को भीड़ में तब्दील किया जाता है। युवाओं को ट्रेनिंग दी जाती है। दंगा भड़काने के उद्देश्य से कुछ लोग मुस्लिम बाहुल्य क्षेत्रों में जाकर सांप्रदायिक नारे लगाये जाते हैं। लेकिन महागठबंधन की सरकार ने दंगा और दंगा-बाजों को अंकुश में रखने के लिए प्रशासन को पूरी तरह से छूट दे रखी है।”

रामनवमी में बिहारशरीफ़ में हुए दंगे के बाद देश के गृहमंत्री अमित शाह ने बयान दिया था कि ‘दंगा मुक्त बिहार बनाना है तो यहां की चालीस की चालीस सीटें मोदी जी को दीजिए, दंगा करने वालों को उल्टा लटका कर सीधा कर देंगे।’ लेकिन बिहारशरीफ़ दंगे के बाद नीतीश सरकार ने कड़ा रुख अख्तियार कर लिया था। सरकार ने सभी आरोपियों को गिरफ्तार करने के साथ-साथ दंगे में हुए नुकसान की भी भरपाई की थी।

मुहर्रम में कई जिलों में सांप्रदायिक घटनाएं

बिहारशरीफ की तर्ज पर ही इस बार मुहर्रम में दरभंगा, गया, कैमूर, भागलपुर और औरंगाबाद जिलों से हिंसा की खबरें आईं। दरभंगा के स्थानीय पत्रकार वेद विशाल बताते हैं कि, “23 जुलाई के दिन दरभंगा के धरमपुर गांव में हिंदू-मुस्लिमों के बीच शव दफनाने को लेकर तनाव हुआ था। गांव में अधिकांश आबादी मुस्लिम है और कुछ अनुसूचित जनजाति के लोग रहते हैं। बीजेपी से जुड़े स्थानीय नेताओं के हस्तक्षेप के बाद यह मामला तेजी से बढ़ता गया।

मुस्लिम परिवारों ने बताया कि कुछ लोग पुलिस की मदद से उनके घरों में तोड़फोड़ भी की। पुलिस ने एफआईआर लिखते ही कई लोगों को गिरफ्तार भी किया। फिर दूसरे ही दिन यानी 24 जुलाई को बरिआउल गांव में मुहर्रम जुलूस के दौरान तनाव हो गया। फिर इंटरनेट बंद कर दिया गया और प्रशासन के सक्रिय होने के बाद दंगा बंद हुआ।”

वहीं भाकपा-माले व इंसाफ मंच की टीम ने दंगाग्रस्त इलाकों का दौरा किया। माले नेताओं ने कहा कि “भाजपा विधायक संजय सरावगी की भूमिका की जांच की जाए। दरभंगा में उप्रदवी-उन्मादी ताकतों की शिनाख्त कर सरकार उन पर कार्रवाई करे, ताकि भविष्य में सांप्रदायिक उन्माद फैलाने की घटनाओं को रोका जा सके।” माले नेताओं ने कहा कि “प्रशासन का चाल-चरित्र अभी भी भाजपाई माइंडसेट का बना हुआ है। सरकार को इस पर ध्यान देना चाहिए। साथ ही घायलों के उचित इलाज की व्यवस्था और हुए नुकसान का मुआवजा दिया जाए।”

दरभंगा ज़िले से शुरू हुई हिंसा धीरे-धीरे अपने पैर पसारते हुए गया, कैमूर, भागलपुर और औरंगाबाद जिलों तक पहुंच गई। साल 1989 में हुए भागलपुर दंगों में बिहार ने साम्प्रदायिक हिंसा का दौर देखा था। इस बार भी भागलपुर जिला स्थित नौगछिया थाना अंतर्गत मोमताज़ मोहल्ले में सांप्रदायिक तनाव पैदा हो गया था।

भागलपुर सीपीआई से जुड़े अमित चौधरी बताते हैं कि, “मोहर्रम जुलूस के दौरान पटाखा फोड़ने पर जुलूस देख रही एक बच्ची थोड़ी घायल हो गई। बच्ची अभी ठीक है। बस कुछ युवाओं ने मामले को गंभीर बना दिया, लेकिन पुलिस के हस्तक्षेप के सब कंट्रोल में आ गया।” इस घटना के बाद भागलपुर के ही परबत्ती मोहल्ले में भी पथराव किया गया था‌। 

सिटी डीएसपी अजय कुमार चौधरी ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि, “असामाजिक तत्व कुछ दिनों से सांप्रदायिक सौहार्द बिगाड़ने की कोशिश कर रहे हैं। हम लोग इन असामाजिक तत्वों की पहचान कर उन पर एफआईआर दर्ज करेंगे।” वहीं गया जिले के बलिया टोला गांव और कैमूर जिले के भभुआ शहर में मुहर्रम के जुलूस निकालने के वक्त सांप्रदायिक तनाव बढ़ा लेकिन प्रशासन के हस्तक्षेप के बाद शांत हुआ।

सोशल मीडिया पर बिहार पुलिस की सक्रियता

भागलपुर में दंगे की खबरों के आने के बाद कई न्यूज़ चैनलों के ट्विटर आइडी से इस घटना के बारे में गलत अफवाह फैलाई जा रही थी। जिसमें इंडिया न्यूज़ भी शामिल था। लेकिन बिहार पुलिस प्रत्येक फेक ट्वीट और गलत पोस्टों को शेयर करते हुए लोगों को अफवाह से बचने की अपील कर रही थी। बिहार पुलिस के रिट्वीट के बाद इंडिया टीवी ने भी अपना ट्वीट डिलीट कर दिया था।

इसके अलावा जब बीजेपी के दरभंगा विधायक संजय सरावगी ने अपने आधिकारिक फेसबुक पेज पर लिखा कि “हमने विजय कुमार सिन्हा के साथ उस दुर्गा मंदिर का दौरा किया, जिस पर विशेष समुदाय के उपद्रवियों द्वारा पथराव और हिंसक हमला किया गया था।” तब बिहार पुलिस के आधिकारिक फेसबुक पेज से उनके इस दावे को झूठा बताया गया।

साथ ही प्रशासन ने इंटरनेट को बंद करके इस दंगे को पूरी तरह खत्म कर दिया। दरभंगा में 27 से 30 जुलाई तक इंटरनेट बंद कर दिया गया था। वहीं 29 जुलाई को मधुबनी में 24 घंटे और औरंगाबाद जिले में 40 घंटे के लिए इंटरनेट बंद कर दिया गया था। इसके अलावा कैमूर में भी 30 जुलाई से 1 अगस्त तक यानी 40 घंटे तक इंटरनेट बंद करना पड़ा।

(बिहार से राहुल की रिपोर्ट।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles