नूंह में हरियाणा सरकार के चल रहे बुलडोजरों को हाईकोर्ट ने रोका

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नई दिल्ली। हरियाणा के नूंह में बेगुनाहों और गरीबों के मकानों-दुकानों पर मनोहर लाल खट्टर सरकार बुलडोजर नहीं चला सकेगी। सोमवार को पंजाब और हरियाणा उच्च न्यायालय ने एक आदेश जारी कर विध्वंस की कार्रवाई पर रोक लगा दी है। दरअसल, हरियाणा के नूंह में सांप्रदायिक झड़पों के बाद मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर की सरकार ने कस्बे में विध्वंस की कार्रवाई शुरू कर दी थी। जिसमें कई लोगों के साथ ही रोहिंग्या मुसलमानों की बस्ती को उजाड़ दिया गया।

सरकार की डिमोलिशन ड्राइव का हाईकोर्ट ने सुओ-मोटो लिया था। पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट की जस्टिस संध्या वालिया ने यह आदेश नूंह जिला प्रशासन को दिए हैं। हाईकोर्ट में हुई सुनवाई के दौरान हरियाणा सरकार की तरफ से एजी बलदेव महाजन मौजूद रहे।

हाई कोर्ट के फैसले के बाद उपायुक्त धीरेंद्र खड़गटा ने संबंधित अधिकारियों को बुलडोजर कार्रवाई रोकने को कहा। हरियाणा में सांप्रदायिक झड़पों में छह लोगों की जान जान गई और संपत्ति का भारी नुकसान होने और नूंह और गुरुग्राम में दहशत फैलने के एक हफ्ते बाद अदालत ने इस मामले पर स्वत: संज्ञान लिया है।

हरियाणा सरकार के इस विध्वंस अभियान की राजनीतिक दलों और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने आलोचना की थी, राजनेताओं ने आरोप लगाया था कि इसमें मुसलमानों को निशाना बनाया जा रहा है। साथ ही, जिनके घर तोड़े गए उनमें से कई लोगों ने दावा किया था कि उन्हें कोई पूर्व सूचना नहीं दी गई थी।

हालांकि, स्थानीय प्रशासन ने कहा था कि वे अवैध निर्माण और अतिक्रमण के खिलाफ कार्रवाई कर रहे हैं और किसी भी व्यक्ति को निशाना नहीं बनाया जा रहा है। उपायुक्त धीरेंद्र खड़गटा ने रविवार को कहा था कि “अवैध निर्माण के खिलाफ विध्वंस अभियान चल रहा है और यह जारी रहेगा। किसी को निशाना बनाने के लिए कार्रवाई नहीं की जा रही है। हमारा मकसद शांति स्थापित करना है।”

हिंसा के बाद होटल-शोरूम समेत 753 निर्माण गिराए गए; 57.5 एकड़ जमीन खाली कराया

हाईकोर्ट ने हरियाणा सरकार से पूछा है कि अबतक तक कितने ढांचे गिराए गए हैं। हाईकोर्ट ने खट्टर सरकार से सारी जानकारी मांगी है। नूंह में पिछले 4 दिन से तोड़फोड़ की कार्रवाई चल रही थी। इस दौरान 753 से ज्यादा घर-दुकान, शोरूम, झुग्गियां और होटल गिराए जा चुके हैं। प्रशासन ने इन्हें अवैध बताते हुए कहा कि इनमें रहने वाले 31 जुलाई की हिंसा में शामिल थे।

नूंह में अब तक प्रशासन ने 37 जगहों पर कार्रवाई कर 57.5 एकड़ जमीन खाली कराई। इनमें 162 स्थायी और 591 अस्थायी निर्माण गिराए गए। नूंह शहर के अलावा पुन्हाना, नगीना, फिरोजपुर झिरका और पिंगनवा जैसे इलाकों में भी अतिक्रमण हटाए गए।

कल प्रशासन ने हिंसा के दिन जिस 3 मंजिला सहारा होटल से पत्थरबाजी की गई, उसे भी गिरा दिया था। प्रशासन का कहना है कि होटल मालिक को सब पता था, लेकिन उसने दंगाईयों को पत्थर इकट्ठा करने से नहीं रोका।

विध्वंस अभियान को लेकर हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर सरकार पर निशाना साधने वालों में हैदराबाद के सांसद और ऑल इंडिया मजिलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी भी शामिल हैं।

ओवैसी ने कहा कि “विश्वास निर्माण का मतलब है कि सामूहिक दंड देने के लिए उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना एक समुदाय (मुसलमानों) की इमारतों, घरों, दुकानों और झोपड़ियों को ध्वस्त कर दिया जाना चाहिए। मनोहर लाल खट्टर सरकार ने कानून न्यायालयों के अधिकारों को छीन लिया है, विश्वास उन लोगों को दिया जा रहा है जो हैं वैचारिक रूप से बीजेपी/संघ के करीब हैं।”

सीपीआई के चार सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल को नूंह जिले में प्रवेश करने से रोकने के बाद जिला प्रशासन ने इस मामले को और गंभीर बना दिया। सीपीआई नेताओं और पुलिस के बीच बहस कैमरे में कैद हो गई। सीपीआई सांसद बिनॉय विश्वम ने कहा कि “यह आज देश की दुर्दशा है। आज की सच्चाई, पुलिस हमें भी अनुमति नहीं दे रही है। इसका मतलब है कि इस नियम के तहत, आंदोलन की स्वतंत्रता भी प्रतिबंधित है। गुंडे और फासीवादी स्वतंत्र रूप से घूम सकते हैं।”

सांप्रदायिक हिंसा से प्रभावित इलाकों में तनाव बरकरार है। इनमें से कई इलाकों में कर्फ्यू लगा हुआ है और किसी भी तरह की घटना को भड़कने से रोकने के लिए अर्धसैनिक बल तैनात हैं। आज सुबह कर्फ्यू में चार घंटे की ढील दी गई, इस दौरान एटीएम भी खुले। क्षेत्र में इंटरनेट प्रतिबंध अब भी लागू है। नूंह पुलिस ने कहा है कि झड़पों के सिलसिले में 150 से अधिक लोगों को गिरफ्तार किया गया है और 56 मामले दर्ज किए गए हैं।

(जनचौक की रिपोर्ट।)

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