Saturday, April 27, 2024

यह हृदय परिवर्तन नहीं हृदयहीनता है: शेहला रशीद को एन साई बालाजी का पत्र

हैलो शेहला (अब कॉमरेड नहीं)!

मुझे उम्मीद है कि आप ठीक हो और अच्छी जगह हो। आपका पॉडकास्ट देखना मेरे लिए मुश्किल था। लेकिन, मैं नहीं कहूंगा कि मैं दुखी, गुस्से में या नाराज हूं। मैं कहूंगा कि मैं थोड़ा निराश हूं। आपने राष्ट्र के प्रति नरेंद्र मोदी और अमित शाह की निस्वार्थ सेवा का जिक्र किया, जिसने आपका हृदय परिवर्तन किया। हृदय परिवर्तन होते हैं, हृदय को चोट भी पहुंचती है लेकिन हृदयहीनता सुविचारित और खतरनाक होती है।

कई लोगों ने छात्र आंदोलन, खासकर वाम संगठन छोड़ दिये; जिसके कई कारण थे और जिनमें अन्य पार्टियों में उनके अपने हित साधना भी एक कारण था। लेकिन, अधिकांश फासीवाद विरोधी मोर्चे या उससे लड़ रही पार्टियों में ही रहे। आप भी, लंबे समय से, खुद को वाम आंदोलन और छात्र आंदोलन, जिसका आप प्रतिनिधित्व कर रही थीं, से अलग कर चुकी हो। तब मैंने, अन्य के साथ, निराश होते हुए भी, आपके फैसले का सम्मान किया।

लेकिन, अब मेरी निराशा आपके लगातार रुख बदलने से है। आप अपने नजरिए, विचारों और हृदय परिवर्तन के लिए स्वतंत्र हो। लेकिन, मुझे परेशान हृदयहीनता करती है। मैं यह पूर्व जेएनयू छात्र यूनियन अध्यक्ष या छात्र कार्यकर्ता के रूप में नहीं कह रहा, जिसके साथ आपने घंटों बैठकर चर्चा की, न ही एक दोस्त के रूप में जिसके पास आपके साथ मिलकर कार्य करते हुए कई सुखद यादें हैं। मैं यह एक नैतिक और राजनीतिक नजरिए से कह रहा हूं।

एएनआई के साथ साक्षात्कार में, आपने दावा किया कि आपके इस अचानक हृदय परिवर्तन के पीछे आपका मोदी और शाह की सेवा देखना था। पर आश्चर्यजनक रूप से, आप पिछले कुछ वर्षों में हुए और कई हृदय परिवर्तनों को लेकर चुप रहीं। मुझे लगता है आपको यह भी बताना चाहिए कि आपने एक पार्टी क्यों बनाई जिसे बाद में भंग कर दिया और आपने अनुच्छेद 370 को हटाने के खिलाफ याचिका क्यों दाखिल कि जो बाद में हृदय परिवर्तन के कारण वापस ले ली।

हां, मैं निराश हूं। मैं ऐसा क्यों महसूस कर रहा हूं, बताता हूं। मेरा दोस्त उमर खालिद जेल में है। इसी तरह, कई कश्मीरी पत्रकार, मानवाधिकार कार्यकर्ता और अन्य निर्दोष लोग जेलों में हैं बिना किसी मुकदमे के और यूएपीए के तहत फर्जी आरोपों में। फादर स्टेन स्वामी की भीमा कोरेगांव में राजनीति प्रेरित झूठे मामले में जेल में ही मौत हो गई और उन्हें भोजन ग्रहण करने के लिए एक स्ट्रॉ तक नहीं दिया गया। फातिमा नफीस अभी तक अपने बेटे को ढूंढने के लिए संघर्षरत हैं। राधिका अम्मा अब भी रोहित वेमुला को इंसाफ दिलाने के लिए लड़ रही हैं।

मुझे आश्चर्य इस बात का है कि आप इन सभी आंदोलनों का हिस्सा रहीं। यही नहीं बल्कि कई और आंदोलनों का भी। यही वह हृदयहीनता का बिन्दु है जहां मैं चुप नहीं रह सकता। आपने जिस तरह मोदी और शाह के अपराधों को धोने की कोशिश की है, उनकी “निस्वार्थ” होने के लिए तारीफ कर रही हैं, यह केवल हृदय परिवर्तन के कारण नहीं हो सकता। उनके इतिहास, जिसके लिए कभी कोई पछतावा भी व्यक्त नहीं किया गया, को भुलाने और माफ करने, के लिए हृदय परिवर्तन की नहीं, हृदय होने के अभाव की आवश्यकता है।

कई लोग जिन्होंने प्रताड़ना सही, किसी भी कारण से लड़ नहीं पा रहे थे, ने या तो चुप्पी साध ली, या देश छोड़ दिया या फिर राजनीतिक रास्ते से अलग होने का तरीका चुन लिया। लेकिन, वह फासीवादी मोर्चे के समर्थक नहीं बन गए।

पॉडकास्ट में, आपने अपने ट्वेंटीस की कम उम्र के जोश में क्रांतिकारी राजनीति में कुछ समय के लिए शामिल होने का जिक्र किया था। वैसे, पत्रकार स्मिता प्रकाश आपके साथ बैठीं और उन्होंने आपके विचारों को तरजीह ही आपकी उस कम उम्र में क्रांतिकारी राजनीति का हिस्सा बनने के लिए दी, जो सैकड़ों छात्रों व अन्य के त्याग की बुनियाद से बनी है।

याद रहे, भगत सिंह अपने ट्वेंटीस में ही थे जब वह देश के लिए लिए लड़ते हुए शहीद हो गए। स्वतंत्रता की लड़ाई में, आजादी के बाद और उस कैम्पस से, जहां से आप ग्रैजुएट हुईं, ऐसे सैकड़ों उदाहरण हैं। मुझे आपको चंद्रशेखर प्रसाद के बारे में तो बताने की जरूरत नहीं है न, जो जेएनयूएसयू के दो बार अध्यक्ष चुने गए थे और भूमिहीन लोगों के अधिकारों के लिए संघर्ष करते हुए सामंतवादी गुंडों के हाथों कत्ल किए गए। वैसे वह भी अपने ट्वेंटीस में ही थे।

युवापन में क्रांतिकारी जोश को केवल “आदर्शवाद” मानना गलत है। इस भावना की ईमानदारी को खारिज करना, जैसा कि आपने किया है, इसकी अवमानना और विश्वविद्यालयों में छात्रों के आंदोलनों का अपमान है, वही आंदोलन जिनका आपकी लोकप्रियता में योगदान है।

और, आपका हमारे साथ अपनी चर्चाओं और समय को “एको चैम्बर में होना” कहना एक समय आपकी समझदारी, राजनीतिक विवेक और सूक्ष्म अभिव्यक्तियों पर मेरी अपनी समझ पर मुझे सवाल उठाने पर मजबूर करता है। एक बार फिर, याद दिला दूं, उसी कथित ‘एको चैम्बर” ने आपके विचारों और रुख को धार दी जिन्हें कि फासीवाद का प्रतिरोध करने वाले लोगों ने हाथों हाथ लिया। अब, पलट जाना और उन्हें खारिज करना केवल यही दर्शाता है कि आप जरूरत पड़ने पर किसी भी चीज को छोड़ सकती हैं। क्या गारंटी है कि एक बार वर्तमान शासन सत्ताच्युत हो जाए, आपका फिर से हृदय परिवर्तन नहीं हो जाएगा।

फिर, यह क्रांतिकारी जोश ट्वेंटीस तक सीमित नहीं है। आपको याद दिलाऊं फादर स्टेन स्वामी ट्वेंटीस में नहीं थे, न फातिमा नफीस (नजीब की मां), राधिका (रोहित की मां), प्रबीर पुरकायस्थ (न्यूजक्लिक संपादक), परंजॉय गुहा ठकुरता और अन्य कई ट्वेंटीस में हैं जो न्याय के लिए लड़ रहे हैं और मोदी के क्रोनी पूंजीवाद के खिलाफ लड़ रहे हैं।

सच का सामना करने की हिम्मत रखें कि वाम और प्रगतिशील आंदोलनों के साथ आपके अतीत का जुड़ाव आपके भविष्य की आकांक्षाओं के आड़े आ रहा है और आपको अलग राह पकड़नी है, जो आप बहुत पहले कर भी चुकी हो। हम समझते हैं और हमने कभी सवाल नहीं किया। लेकिन, यदि आपकी आकांक्षाओं या मजबूरियों का तकाजा उन आंदोलनों का अपमान करना है तो आपके हृदय परिवर्तन के बारे में मुश्किल सवाल पूछे ही जाएंगे। क्या यह सचमुच हृदय परिवर्तन है या वह दिशा परिवर्तन जिसमें हृदय कुछ खास चीजों को ही देखना चाहता है और कई अन्य को ‘देखकर भी नहीं देखना चाहता’?

यही वह घुमावदार नैतिक और राजनीतिक रुख हैं जो कट्टरपंथियों को भारत को नष्ट करने में मदद करते हैं, जो मैं स्वीकार नहीं कर पा रहा। कई लोगों ने लिखा है और कह रहे हैं कि आपके इस कदम के पीछे कुछ मजबूरियां और दबाव जरूर होंगे। यदि एक आम नागरिक, जो बेरोजगारी, प्रताड़ना, महंगाई झेलते हुए ज़िंदगी काट रहा है और फिर भी प्रतिरोध कर रहा है, मतदान कर रहा है और भाजपा को दूर रखने के लिए लड़ रहा है, तो हमारे जैसे लोगों, जो छात्र और फासीवादी विरोधी आंदोलनों का हिस्सा रहे हैं और जिन्हें समलोचनावादी शिक्षा से लाभ मिला है, से बहुत उम्मीदें बढ़ जाती हैं।

यह वह बिन्दु है जहां आपने हाथ खड़े किए और पाला बदल दिया। यह निराशाजनक है लेकिन निरुत्साहित करने वाला नहीं क्योंकि लाखों लोग अब भी प्रतिदिन भाजपा का प्रतिरोध कर रहे हैं।

वर्तमान समय में, एक युवा शोध विद्यार्थी के रूप में दिल्ली विश्वविद्यालय में केवल एक जॉब इंटरव्यू में जाना काफी है यह देखने के लिए कि धर्मनिरपेक्ष, समाजवादी, लोकतान्त्रिक राष्ट्र के प्रति निष्ठा का क्या नतीजा हो सकता है। लोग अपने करिअर जोखिम में डाल रहे हैं, ऐसी नौकरियां कर रहे हैं जिनके लिए वह ओवर क्वालिफाइड हैं, सिर्फ इसलिए कि वह एबीवीपी का विरोध करते रहे हैं।

फिर भी वह मजबूत खड़े हैं और नौकरी पाने के लिए समझौते के लिए तैयार नहीं हैं। मेरे लिए यह प्रेरित करने वाले लोग हैं; इससे मुझे प्रेरणा मिलती है कि मैं ज़िंदगी में जो करूं, सही करूं। मुझे ऐसे लोगों से प्रेरणा मिलती है जो मोलभाव करने से इनकार करते हैं।

खैर, मैं अब ट्वेंटीस पार कर चुका हूं, इसलिए आप मेरे विचार की अनदेखी कर सकती हैं।

– एन साई बालाजी

(एन साई बालाजी जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष हैं। वायर से साभार।)

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Mansa Ram
Mansa Ram
Guest
4 months ago

जी संदेश से सहमत कामरेड।

Alok Shukla
Alok Shukla
Guest
4 months ago

यदि आपके विचारों के इतर कुछ कहे तो उसे जलील करना.. ह्रदय हीन कहना?! इतनी कट्टरता उचित नहीं ये किसी भी विचार को खत्म करने में बड़ी भूमिका निभाती है। मुझे याद आता है कि बलराज साहनी जी के साथ भी ऐसा किया गया था, भरे मंच में उन्हें जलील किया था जबकि कभी उनका घर पार्टी ऑफिस जैसा यूज किया जाता था, आईपीटीए का विस्तार उन्हीं की बदौलत हुआ था। आप उनकी आत्मकथा में पढ़ सकते हैं, नेट पर उपलब्ध है। ऐसे ही इस विचार धारा सत्ता से लगभग पूरी दुनिया से बे दखल हो रही है और इसके दोषी आपकी कट्टरता है।

Aditya
Aditya
Guest
Reply to  Alok Shukla
4 months ago

श्रीमान साई,
आलेख से यह सिद्ध होता है कि जो तुम्हारी देशद्रोही विचार को त्याग देगा जो तुम्हारे वैचारिक स्वार्थों को त्याग देगा वह हृदयहीन होगा। तुम जैसे लोगों कम्युनिज्म के नाम पर नक्सलवाद के नाम पर लोगों के जीवन बर्बाद किए। देश के धर्म के नाम पर विभाजन होते समय तुम्हारा सेक्युलरिम मानव प्रेम कहां था। भारत के करदाताओं के कर से जे एन यू में मौज करने वाले तुम लोगों के दिलों में भारत नही चीन बसता है। भारतीय भूमि संस्कृति से तुम्हे नफरत है लेकिन देश की उदारता का मजा ले रहे हो।

Avinash Deshpande
Avinash Deshpande
Guest
4 months ago

हृदय परिवर्तन उन्हीमें होता है जो संवेदनशील और प्रामाणिक हो l शहेलाजी में वो गुण होंगे l

Kumar badal
Kumar badal
Guest
4 months ago

True words by n saiji bala.

Virendra
Virendra
Guest
4 months ago

सुंदर लिखा है।
और कुछ अपने मन की संवेदनाओं को व्यक्त किया है जो अच्छा है।

N K Singh
N K Singh
Guest
4 months ago

These stool eater of communist and Nazis. Are true manywadi and Brahminical character of India. They gives arms and ammunition to dalits, OBC and ST take money from us. The leadership of communist are from.manuwadi class.. Be it Sitaram Yechry, Jyoti Basu, and many all. This Sai is a manuwadi fucking Brahaminical dogs. Fuck u comrade.

Sohail Hashmi
Sohail Hashmi
Guest
4 months ago

Ek aisey samay mein jab mithakon ko itihas bana kar prastut kiya Jaan raha ho, jab peedhiyon tak upniveshik samrajyavaad ke sthapkon ke prati vafadaari ke vaadon ko desh-prem ki sangy di ja rahi ho, tub tuchchh avsarvaadi dal badloopan ki raajnaitik qalabaaziyon ko hriday parivartan ke roop mein prastut karna bilkul bhi aashcharye chakit kar Dene waala kritya nahin kahaa jaa sakta.

Shehla Rashid, Meer Jaafar, Jagat Seth aur un jaise doosre yug parvartakon ki shreni mein Sharmil hone par Mubarak ho.

Mohan Singh
Mohan Singh
Guest
4 months ago

सेहला ने सही कहा है, जेएनयू में वामपंथी नफरत की खेती करते हैं, यंग उम्र मैं ये सब समझ नहीं आता है, सैल्यूट टू यू शेहला रशीद

विक्रम सिंह
विक्रम सिंह
Guest
4 months ago

मैं शहेला रशीद जी की सराहना करता हूं कि उन्होंने राजनीति की उस चालाकी को पहचान लिया जिसके अंतर्गत कुछ गलत राजनेता भोले भाले युवाओं को बहकाकर विरोध के अंधकारमय रास्ते पर धकेल कर अपना स्वार्थ सिद्ध करते हैं। उन्होंने खुले मंच से अतीत के अपने गलत फैसले को स्वीकार किया और सही रास्ता चुनने या साहस दिखाया। शेहला जी के इस साहस को कुछ कायर और स्वार्थी लोग सहन नहीं कर पा रहे हैं, उनकी बौखलाहट इस लेख से साफ दिखाई देती है, वो अभी भी उनको बरगलाने की असफल कोशिश में लगे हैं।
कश्मीर का सुखद परिवर्तन इस बात का गवाह है कि किसने कश्मीरियों की असली चिंता की और किसने केवल उनके खून से अपने स्वार्थ के बगीचे सींचे। बामपंथ के नाम पर कई प्रदेशों की प्रगति की दुर्गति हुई और जो कुछेक राज्य अपने को इस विचारधारा से बचा पाए उन्होंने दिन दूनी प्रगति प्राप्त की।

विक्रम सिंह
विक्रम सिंह
Guest
4 months ago

मैं शहेला रशीद जी की सराहना करता हूं कि उन्होंने राजनीति की उस चालाकी को पहचान लिया जिसके अंतर्गत कुछ गलत राजनेता भोले भाले युवाओं को बहकाकर विरोध के अंधकारमय रास्ते पर धकेल कर अपना स्वार्थ सिद्ध करते हैं। उन्होंने खुले मंच से अतीत के अपने गलत फैसले को स्वीकार किया और सही रास्ता चुनने या साहस दिखाया। शेहला जी के इस साहस को कुछ कायर और स्वार्थी लोग सहन नहीं कर पा रहे हैं, उनकी बौखलाहट इस लेख से साफ दिखाई देती है, वो अभी भी उनको बरगलाने की असफल कोशिश में लगे हैं।
कश्मीर का सुखद परिवर्तन इस बात का गवाह है कि किसने कश्मीरियों की असली चिंता की और किसने केवल उनके खून से अपने स्वार्थ के बगीचे सींचे। बामपंथ के नाम पर कई प्रदेशों की प्रगति की दुर्गति हुई और जो कुछेक राज्य अपने को इस विचारधारा से बचा पाए उन्होंने दिन दूनी प्रगति प्राप्त की।

Vikram Singh
Vikram Singh
Guest
4 months ago

मैं शहेला रशीद जी की सराहना करता हूं कि उन्होंने राजनीति की उस चालाकी को पहचान लिया जिसके अंतर्गत कुछ गलत राजनेता भोले भाले युवाओं को बहकाकर विरोध के अंधकारमय रास्ते पर धकेल कर अपना स्वार्थ सिद्ध करते हैं। उन्होंने खुले मंच से अतीत के अपने गलत फैसले को स्वीकार किया और सही रास्ता चुनने या साहस दिखाया। शेहला जी के इस साहस को कुछ कायर और स्वार्थी लोग सहन नहीं कर पा रहे हैं, उनकी बौखलाहट इस लेख से साफ दिखाई देती है, वो अभी भी उनको बरगलाने की असफल कोशिश में लगे हैं।
कश्मीर का सुखद परिवर्तन इस बात का गवाह है कि किसने कश्मीरियों की असली चिंता की और किसने केवल उनके खून से अपने स्वार्थ के बगीचे सींचे। बामपंथ के नाम पर कई प्रदेशों की प्रगति की दुर्गति हुई और जो कुछेक राज्य अपने को इस विचारधारा से बचा पाए उन्होंने दिन दूनी प्रगति प्राप्त की।

अमित
अमित
Guest
4 months ago

बालाजी जी का अपना अलग ही दुख है l
कन्हैया को कांग्रेस, शहला को भाजपा ने सर आखो पर बिठाया जबकि बालाजी वही के वही रह गये l

शान्ति कुमार पाण्डेय
शान्ति कुमार पाण्डेय
Guest
4 months ago

शेहला रशीद जी का हृदय परिवर्तन अन्य मैं पंथ्यों के लिए अनुकरणीय

Sam d suza
Sam d suza
Guest
4 months ago

Mr Balaji, you are also, may be unintentionally, but adopting a type of extremism. Only religious extremism is not only kattarwad. To be extremist and not flexible in your ideology is also a form of extremism. You couldn’t digest the transformation of your friend, may be forcefully or by pressures. You couldn’t give, rather failed to give respect to the decision of your old partners. It shows your deficiency and incapability to be a good human. So first be good human, than only try to be so called TRANSFORMER.

Asif Riaz
Asif Riaz
Guest
4 months ago

कुछ तो मजबूरियां रही होंगी यूँ ही कोई बेवफ़ा नहीं होता….

Sunil chaurasia
Sunil chaurasia
Guest
4 months ago

JNU ke baampanthio ka ek hi ajenda hai – modi aur BJP virodh , Jo desh jodne ki baat kare , Hindu hit ki baat kare , vikas ki baat kare , aap unka virodh karo , desh virodhi logo ke support me dhapli lekar naarebaazi karo , hindustaan tere tukde honge insha allah aur afjal hum sharminda hai tere katil jinda hai – jaise naare lagao , tum log kis vichar dhara ke log ho , ye to hindustan hai jaha abhivyakti ki azadi ke naam par tum log kuch bhi bakwas kar lete ho , china chale jao waha ye sab karke dekhna – pichwada todkar jail me sadne ke liye daal diye jaooge . Tum baampanthio ne kabhi Rohingyao aur Bangladeshi ghuspaithiyo ka virodh kiya .

Rajindra Singh
Rajindra Singh
Guest
4 months ago

JNU is a centre of Communists who are always anti administration . They are anti Hindu and anti India.

Bhupat
Bhupat
Guest
4 months ago

Communist wing of JNU is nothing other than Madrasa of Islam run by Moulana.

Shankar
Shankar
Guest
4 months ago

How many know this man for his social works..

D.S.paliwal
D.S.paliwal
Guest
4 months ago

आपकी बात से 100 प्रतिशत सहमत होते हुए भी यह स्वीकार करना ही पडेगा कि इतिहास में ऐसा होता रहा है। व्यक्ति ही नहीं, पूरी पूरी क्रांतिकारी पार्टियां ही संशोधनवाद और नव संशोधनवाद व संसदीयता के गर्त में डूबते हुए समाप्तप्राय: हो रही है।

Akhilesh
Akhilesh
Guest
4 months ago

साईं बाला जी का पत्र उनकी निराशा,हताशा,और बौखलाहट को दर्शाता है..
दलाली पर चोट भी मोदी विरोध का एक कारण है

Shambhu Arya
Shambhu Arya
Guest
4 months ago

चुकि हम सब ” दलाल और गुलाम ” हैं किसी खास समुदाय व गुट के लिए इसलिए ऐसा प्रतीत होता है कि सबकुछ ” लूटने ” ही वाला है, इसके आगे कोई ” राश्ट्रीयता ” है ही नहीं क्योंकि हम ” दलालों ” ने ऐसा कोई काम किया ही नहीं जिससे देश के प्रति समर्पण की भावना दिखाई देता हो वरन राष्ट्र को हमेशा निह:सहाय देखना चाहते रहे हैं शायद अब कुछ ?

Rakesh Gupta
Rakesh Gupta
Guest
4 months ago

तुम लोग दोगले होते हो इसीलिए तुम्हारी विचारधारा इस दुनिया में उपस्थित नहीं है खत्म हो गई एक तरफ अभिव्यक्त की स्वतंत्रता की पक्षधर्ता की बात करते हो और दूसरी तरफ किसी दूसरे की अभिव्यक्ति और नजरिया की आलोचना करते हो इसी दोगलेपन की वजह से तुम लोग हर जगह गलियां सुनते हो और लाल जूते खाते हुए

Kamal Kishore dadhich
Kamal Kishore dadhich
Guest
4 months ago

एक नहीं अनेकों अनेक वामपंथियों के भ्रम जाल में बुनें गुथें हुए हैं, सभी से विषेश आग्रह निवेदन हर भारतीय का रहेगा कि अब भी समय है सिर्फ प्रेम पालना है हर भारतीय के प्रति ।
रहने दें किसी भी पार्टी या दल का प्रतिनिधित्व करता है पहले वह भारतीय संस्कृति का रखवाला है अपने आने वाली पीढ़ी को संस्कारवान बनाएं रखना हीं उसकी अपनी जिम्मेदारी है
निजी हित तो तब काम का रहेगा जब आप संस्कृति को पहचानने में आने वाली पीढ़ी को हर संभव प्रयास मदद करेंगे अन्यथा अच्छे-अच्छे सूरमाओं के बाग पल भर में उजड़ते देखें है इतिहास साक्षी है

Kumar Shubhamoorty.
Kumar Shubhamoorty.
Guest
4 months ago

If it’s towards humanity and love, change of heart is most welcome. But from any angle a move towards Modi and Shah can’t be seen going towards that direction.
It’s sheer fear and complete loss of hope.
She needs a helping hand.

RAAJ
RAAJ
Guest
4 months ago

शहला के इस हृदय परिवर्तन से मै भी हैरान हूँ,,
पर कोई बात नही राजनीति में ऐसा दल बदल लेना आम बात है,.. पर दुख तो हुआ, कि जिनकी बातों से हमे अब तक इस बात का हौसला मिलता था कि हम सब सही है और गलत का विरोध करते हैं, उनका अब ये नया बयान दिल तोड़ने वाला तो है..
पर हम अब भी एक बात अच्छी तरह से जानते हैं कि हमारा अंतर्मन क्या कहता है हम अभी भी उसी बात को फॉलो करते हैं..
बस एक बात तो मुझे भी पूछना है कि…
Bilkis bano केस के बारे में शहला क्या सोचती है.???
कोई इस पर सवाल जरूर पूछना, जानना चाहता हूं कि क्या कहेगी…
धन्यवाद

Samir Jalali
Samir Jalali
Guest
4 months ago

Bahut Naraz ho. Koi baat nahi. Aise hota hai life mei. Ise jelne ki himat rako.

ranjan
ranjan
Guest
4 months ago

किसी प्रगतिशील रूढ़िवादी बामी पाठक ने लिखा कि ब्राह्मण वादियों द्वारा मिथकों को इतिहास बना कर पेश किया जा रहा है। कमाल है! जिन्होंने भारत का जातीय विमर्श ही “मिथकीय” मनुस्मृति और पुराणों के आधार पर गढ़ा हो, उन्हें मिथकों से परहेज़ है!!! यदि जाति का इतिहास जानना ही था तो पिछले 800 वर्ष जब भारत पर विदेशी सत्ता काबिज रही, विदेशी अभिजात्य कायम हुआ, इन 8 सदियों की अवधि में भारतीय जाति व्यवस्था पर विमर्श क्यों नहीं होता..क्या मध्य एशिया के सुलतानों, मुगलों, अफगानों और अंग्रेजों के तहत जाति व्यवस्था अधिक उदार थी!! क्या स्थानीय फौजदार, कोतवाल, किलेदार निचली जातियों के प्रति ज्यादा उदार थे ???नई भू स्वामित्व व्यवस्था और भू राजस्व व्यवस्था से क्या निचली जातियों को स्वामित्व मिल गया?? आखिर मुगल हरम में ये कनीजें कौन होती थीं?? हर युद्ध के बाद गुलामों की मंडी में गुलामों के दाम गिर क्यों जाते थे??? आखिर नए सरमाए दारों के ये ऐश ओ आराम किसके सरप्लस से प्राप्त होते थे….या इनका भी ठीकरा ब्राह्मणों पर ही ??? मध्य कालीन और आधुनिक भारत मैं जातीय विमर्श, धर्म निरपेक्षता के ढकोसले को चोट पहुंचाएगा…इसलिए जेएनयू जैसे वाम पंथी मदरसे चुप रहते हैं

Vasu Marrona
Vasu Marrona
Guest
4 months ago

Being young, intelligent and rational, she has taken decision based on ground realities.
These are traits of leader with human face. In case of Sai, his all doors are closed due to growing age, limited scope and remained in dirty well of communism.

So, he will write such letters of black mailing.

Iqbal sabliwala
Iqbal sabliwala
Guest
4 months ago

कुछ तो मजबूरियां रही होंगी यूँ ही कोई बेवफ़ा नहीं होता….

Nikhil
Nikhil
Guest
4 months ago

One word reaction vampanth ek aisi vichardhara hai jisse desh chal hi nahi sakte ek Russia aur ek china do hi desh aise hain jo bade desh hain… Lekin at the end chalti tanashahi hi hai jo ki dono jagah chal rahi hai… Aur koi bhi desh do hi tarah se chal sakta hai ya toh democracy ya phir rajshahi aur vampanth ka final stage hi yahi hai ki woh rule karne ke liye at the end wahi tanashahi par rukti hai… Chahe Kim Jong chahe xinping chahe Russia ho…

Kalpana Singh
Kalpana Singh
Guest
4 months ago

Shyad dar gayi

Ratnesh
Ratnesh
Guest
4 months ago

वामपंथ ऐसी बीमारी है जो जिहादी, देशद्रोही और हिंदूविरोधी बना देती है। यह यूरोप से आयातित विचारधारा समाज के लिए एक खतरा है

Sagar
Sagar
Guest
4 months ago

श्रीमान बालाजी आपने भगत सिंह का नाम लिया, क्या आप या कोई भी ये बता सकते हैं कि भगतसिंह ने जालियांवाला बाग कांड को करने वाले जनरल डायर को सरोपा भेंट करने वाले ज्ञानी अरुर सिंह, सुंदर सिंह मजीठिया, तत्कालीन राजा भूपिंदर सिंह का कोई विरोध किया था?

Dr. JK Azad, Ex Student leader of NSUI, HPU.
Dr. JK Azad, Ex Student leader of NSUI, HPU.
Guest
4 months ago

Compulsion, intimidation & uncertainty about the future r also some plausible reasons for the heart change of an ex student leader.

देवदत्त: सम्पूर्णानंदः
देवदत्त: सम्पूर्णानंदः
Guest
4 months ago

हम रहल बानी व्लादिमीर इलिच लेनिन के साम्यवाद में, आ देखले बानी माओ के चीन, आ जानतानी कि साम्यवाद का ह.
लेनिन के साम्यवाद में “कलियुग में सतयुग” में रहल बानी ढेर दिनान ले.
बाकिर भारत के ज्योति बसु के नकली साम्यवादी राजो में रहल बानी!
आजू भारत में “सब के साथ, सब के विकास, सब के प्रयास, आ सब के विश्वास” के चलते भारत में असल साम्यवाद आ रहल बा, जेकरा पीछे कम से कम 1.2 बिलियन लोगन के हाथ बा.

एगो रहन लीबिया के भगीरथ कर्नल गद्दाफी, जे रेगिस्तान में पाइप से सगरो जल पूर्ती कइलन, कट्टर इस्लामी देशो में स्त्री – पुरुष के समानता कइलन, उनकरे शुरुआत कईल “अफ्रीका के 56 देशन के संघ” अब G 20 में कईसे आइल! सम्हझी साई जी!

एही सब से प्रभावित हो के स. रसीद के लागता हृदय परिवर्तन भईल बा!!
राऊओ सोंची!!!

जे यादव
जे यादव
Guest
4 months ago

वामपंथी विचारधारा जीवन की सच्चाई से परे, मिथ्या पूर्ण, लोगों को क्रांति एवं क्रांतिकारी के नाम पर , सस्ती लोकप्रियता में फांसकर कुछ लोगों द्वारा अपना उल्लू सीधा करने का शाब्दिक जुगाड़ भर है और कुछ नहीं। …..

Vijay Kumar
Vijay Kumar
Guest
4 months ago

मौकापरस्त लोग अपनी स्थान, माहौल जैसे विषयों को केन्द्र में रखकर किसी पर आरोप-प्रत्यारोप लगाकर अपनी जिम्मेदारी से हट जाते हैं। इस पर कोई ध्यान देने की बात नहीं यह स्थायी भी नहीं होते है। फिर भी क्रांतिकारी संघर्ष में शामिल लोगों को आगे बढ़ना चाहिए।

Santosh Paswan
Santosh Paswan
Guest
4 months ago

भाजपाई व RSS के आईटी सेल एन बालासाई जी के पीछे पड़ गया। मतलब फटी है

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