Sunday, April 28, 2024

राजस्थान चुनाव 2023: शेखावाटी में अग्निवीर बन सकता है बीजेपी के लिए कहर

नई दिल्ली। राजस्थान विधानसभा चुनाव के लिए मतदान 25 नवंबर को संपन्न हो चुका है। लेकिन कई क्षेत्रों में मतदान के रुझान ने कांग्रेस और भाजपा की नीतियों के प्रति जनता की नाराजगी को दर्शाता है। भाजपा राजस्थान में विकास के साथ-साथ सेना में अग्निवीर भर्ती का मुद्दा भी लोगों के सामने रखकर वोट की अपील कर रही थी। लेकिन राजस्थान के शेखावटी इलाके में अग्निवीर का मुद्दा भाजपा के गले की फांस बन गया है।

राजस्थान में अधिकांश सैन्य भर्ती शेखावाटी क्षेत्र से होती है, जो सीकर, चूरू और झुंझुनू के जाट बहुल जिलों से बना है। लगभग हर गांव के स्कूल का नाम सुरक्षा बलों के स्थानीय शहीदों के नाम पर रखा गया है। पिछली बार इस क्षेत्र की 21 में से 15 सीटें कांग्रेस ने जीती थीं। शेखावाटी और पूर्वी राजस्थान में बढ़त ने पार्टी को आसानी से सत्ता में पहुंचा दिया।

राज्य के अन्य हिस्सों के विपरीत शेखावटी में कांग्रेस सरकार के प्रति सत्ता विरोधी लहर नहीं है। क्योंकि इसकी भरपाई पिछले साल मोदी सरकार द्वारा शुरू की गई अग्निपथ योजना ने पूरी कर दी है। क्षेत्र के युवा अग्निवीर योजना से काफी नाराज हैं। इसके तहत अधिकारी रैंक से नीचे के रक्षा कर्मियों को शुरुआत में चार साल के लिए भर्ती किया जा रहा है। उनमें से केवल एक चौथाई को लंबी अवधि की सेवा के लिए समाहित किया जाना है। बाकियों को पुलिस की नौकरी में प्राथमिकता मिलेगी। लेकिन शेखावटी के युवा अब सेना की बजाए दूसरी नौकरी के बारे में सोच रहे हैं।

राजस्थान में भले ही कांग्रेस और भाजपा की सरकार में बदलाव होता है। लेकिन शेखावटी ही नहीं पूरे राजस्थान और दिल्ली तक एक नाम की अक्सर चर्चा होती है। वह अमरा राम हैं। अमरा राम सीकर के धोद विधानसभा से 1999 से 2013 तक विधायक रहे हैं। वह भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) के राजस्थान के सचिव और ऑल इण्डिया किसान महासभा के उपाध्यक्ष हैं।

पिछले सोमवार को धोद विधानसभा में सीपीएम की रैली थी। रैली में कई युवा आए थे जो सेना में भर्ती होना चाहते हैं। लेकिन अग्निवीर योजना आने के बाद हताश हैं। शेखावटी क्षेत्र में हर घर के बच्चे बहुत कम उम्र से ही सेना में भर्ती होने की तैयारी करने लगते हैं। सेना में भर्ती होने की इच्छा रखने वाले विकास 12 साल की उम्र से ही दौड़ना शुरू कर दिया था। वह कहते हैं कि “हमारे साथ अन्याय हुआ है। अगर मैं कार्रवाई में मारा गया तो क्या होगा? मुझे पूर्ण सैनिक भी नहीं कहा जाता और मेरे परिवार को पूरी पेंशन नहीं मिलती। मैं सिर्फ अग्निवीर होकर क्या करूंगा।”

विकास, जो सरकारी सेवा के लिए अपनी संभावनाओं में बाधा आने के डर से अपना पूरा नाम नहीं बताना चाहता था, अब एक स्कूल शिक्षक बनने की इच्छा रखता है। उनके साथ जॉगिंग करने वाले दोस्त अब केंद्रीय पुलिस बलों में नौकरी पाने की कोशिश कर रहे हैं।  

सीपीएम, जिसने 2017 में सीकर जिले में बड़े पैमाने पर किसानों के विरोध का नेतृत्व किया था, को इस नाराजगी का कुछ लाभ मिल रहा है। धोद अनुसूचित जाति के लिए आरक्षित सीट है जहां सीपीएम नेता पेमा राम चुनाव लड़ रहे हैं, वक्ताओं ने कांग्रेस के बजाय भाजपा पर निशाना साधा।

रैली में स्थानीय किसान बंसी चौधरी ने कहा, “हम अपने दिमाग से वोट करते हैं।” धोद में लड़ाई सीपीएम और बीजेपी के बीच है क्योंकि निवर्तमान कांग्रेस विधायक का बेटा राष्ट्रीय लोकतांत्रिक पार्टी (आरएलपी) के टिकट पर चुनाव लड़ रहा है। कांग्रेस ने अपना उम्मीदवार बदल दिया है और उसके वोट बंट गये हैं।  

कांग्रेस ने अपने मौजूदा विधायक परसराम मोरदिया की जगह जेपी दानोदिया को टिकट दिया है। मोरदिया के बेटे महेश हनुमान बेनीवाल की आरएलपी के उम्मीदवार हैं।

चौधरी ने कहा कि जिले की अन्य सीटों पर उनके दोस्त और रिश्तेदार कांग्रेस को वोट देंगे। “हम अपने बेटों को पैदा होते ही सेना के लिए तैयार करते हैं। क्या मोदी जानते हैं कि सेना को अल्पकालिक नौकरी बनाने का क्या मतलब है?”

त्रिलोक सुंडा भी सेना में भर्ती होने के इच्छुक थे लेकिन अब अन्य सरकारी नौकरियों की तलाश में हैं। उन्होंने कहा कि “अग्निपथ एक ख़राब योजना है। लेकिन कांग्रेस शासन के दौरान बहुत सारे परीक्षा घोटाले हुए।”  

2019 के बाद से, प्रश्न पत्र लीक के कारण राजस्थान सरकार की आठ भर्ती परीक्षाएं रद्द कर दी गई हैं, जिससे लाखों छात्र प्रभावित हुए हैं। पुलिस ने इन घोटालों के सिलसिले में लगभग 300 लोगों को गिरफ्तार किया है।

सीपीएम के वर्तमान राज्य सचिव, अमरा राम ने कहा कि वोट मांगने के लिए भाजपा का धर्म का इस्तेमाल करना और कम्युनिस्टों को राष्ट्र-विरोधी करार देना यहां काम नहीं करता है।

“भाजपा से बड़ा कोई गद्दार नहीं है। इनका अग्निपथ राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा है। हम लोगों से कहते हैं कि उनकी नीतियों से आश्चर्यचकित न हों। आरएसएस ने स्वतंत्रता संग्राम में भाग नहीं लिया और आज भी भाजपा केवल कुछ पूंजीपतियों की सेवा कर रही है।”

“यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि भाजपा और कांग्रेस दोनों राजनीतिक लाभ के लिए जाति का उपयोग करते हैं। मार्च में दोनों दलों के प्रदेश अध्यक्षों ने जयपुर में जाट महाकुंभ में भाग लेकर यह संदेश दिया कि वे पहले जाट हैं, बाद में जन प्रतिनिधि। जब हम निष्पक्ष कृषि नीतियों के लिए लड़ते हैं, तो इससे सभी समुदायों को लाभ होता है।”

पड़ोसी लछमनगढ़ निर्वाचन क्षेत्र के सेवद बारी गांव में, एक कृषि इनपुट डीलर के ग्राहक इस बात पर विभाजित थे कि किसे वोट देना है। कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष गोविंद डोटासरा भाजपा के कद्दावर जाट नेता सुभाष महरिया के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं, जो 2016 में कांग्रेस से भाजपा में लौटे थे। राजस्थान कांग्रेस प्रमुखों का पद पर रहते हुए चुनाव हारने का रिकॉर्ड है।

 किसान बलबीर कहते हैं कि “कोई भी सरकार महंगाई को नियंत्रित नहीं कर रही है। प्याज की फसल होने के बाद यह 2.50 रुपये में बिकता है। जब किसान के यहां से प्याज खरीद ली जाती है तो इसकी कीमत  50 रुपये किलो हो जाता है। अभी भी प्याज 25 रुपये किलो है। किसानो को कुछ नहीं मिलता। ”  

“हम तीन (नए कृषि) कानूनों के खिलाफ विरोध करने के लिए दिल्ली गए। सीपीएम और कांग्रेस दोनों ने विरोध प्रदर्शन का समर्थन किया। लेकिन अगर कांग्रेस यहां किसानों से लूट को नियंत्रित नहीं कर सकती है, तो कौन कर सकता है?”

यहां अधिकांश खेती वर्षा आधारित है, फिर भी कई लोग साल में दो फसलें लेने में कामयाब होते हैं। क्षेत्र में 100-200 मीटर की गहराई पर भूजल है। बिजली आपूर्ति अनियमित है और मोटरें अक्सर ट्रिप हो जाती हैं। दूसरी फसल उगाना कठिन हो गया है और अग्निपथ योजना दोहरी मार है।

राजस्थान का पुरानी पेंशन योजना को लागू करने का वादा करना शेखावाटी के लिए एक राहत की तरह आया है, जहां हर दूसरे परिवार में एक सरकारी कर्मचारी पाया जाता है।

सीकर के स्थानीय कार्यकर्ता अशफाक कायमखानी ने कहा कि “चुनावों में बड़ी भूमिका निभाने वाले सरकारी कर्मचारियों के लिए सुनिश्चित पेंशन एक बड़ा प्रोत्साहन है। इसके अलावा, शेखावाटी कायमखानी मुसलमानों का घर है जो राजपूतों के साथ कई सांस्कृतिक प्रथाओं और पारिवारिक संबंधों को साझा करते हैं। ऐतिहासिक रूप से, सांप्रदायिक ध्रुवीकरण ने यहां काम नहीं किया है और स्थानीय मुसलमान सभी पार्टियों में प्रभावशाली रहे हैं।”

दांता रामगढ़ निर्वाचन क्षेत्र का रेवासा गांव, जहां से अमरा राम इस बार चुनाव लड़ रहे हैं, 12वीं सदी के शिलालेखों के लिए जाना जाता है। इसकी गलियों में कूड़ा-कचरा फैला हुआ है और पाइप से पीने का पानी हर दूसरे दिन 15 मिनट के लिए आता है।

स्थानीय निवासी अय्यूब  ने कहा कि “कांग्रेस सरकार के तहत पानी की पाइपलाइनें बिछाई गईं और मैं इसके लिए आभारी हूं। लेकिन हमें जल आपूर्ति की आवश्यकता है। इसका जवाब किसी भी पार्टी के पास नहीं है।”

(जनचौक की रिपोर्ट।)

  

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