Sunday, April 28, 2024

ग्राउंड रिपोर्ट: योगी की गौशालाओं में भूख-प्यास से तड़प रहे गौवंश पर अब लंपी बीमारी का कहर

मिर्जापुर, उत्तर प्रदेश। मिर्ज़ापुर-रीवा राष्ट्रीय राजमार्ग से लगे हुए ड्रमंडगंज बाजार से हलिया जाने वाले मार्ग से यही कोई तकरीबन दो किमी की दूरी पर स्थित सरकारी अस्थाई गौ आश्रय स्थल महुगढ़ी दूर से जितना रंग-रोगन और चूना कली से खिलखिलाता हुआ नज़र आता है, करीब जाने पर उतना ही बदहाल नजर आता है।

मिर्ज़ापुर जिला मुख्यालय से 62 किमी दूर तथा हलिया विकास खंड मुख्यालय से 15 किमी पश्चिम दिशा में स्थित महुगढ़ी गांव का गौ आश्रय स्थल अपनी दुर्दशा पर सिसकियां ले रहा है।

‘जनचौक’ की टीम ने गुरुवार को गौ आश्रय स्थल की हकीकत को करीब से जानने की गरज से जब मौके की पड़ताल की तो महुगढ़ी की इस अस्थाई गौशाला में टीकाकरण के बाबजूद लंपी वायरस के चपेट में आकर आधा दर्जन गौवंश इधर-उधर बेदम पड़े हुए मरणासन्न अवस्था में सांसे लेते हुए नज़र आए।

मौके पर मौजूद एक मात्र श्रमिक ने अपना नाम बताने से मना करते हुए कहा कि ‘अन्य लोग गाय चराने के लिए जंगल की ओर गए हुए हैं’। यहां (गौशाला) देख-रेख करने के लिए कितने लोगों को रखा गया है? का जवाब देने के बजाए वह जमीन पर पड़े गौवंशों की ओर इशारा करते हुए बताया कि ‘यह बीमार हैं, डाक्टर साहब सुई लगाकर गये हैं’।

अब डॉक्टर साहब कब आए थे, फिर कब आएंगे, क्या बराबर इन बेजुबानों के स्वास्थ्य परीक्षण के साथ इनका समय से समुचित उपचार किया जा रहा है? इत्यादि सवालों पर वह निरुत्तर हो हाथ जोड़कर खड़ा हो जाता है। आसानी से श्रमिक की बेबसी व उसकी लाचारी को समझा जा सकता है।

टीकाकरण के बाद भी बीमार हो रहे गौवंश

तेजी के साथ फैल रहे लंपी वायरस की चपेट में आकर बेजुबानों की बुरी गत हो रही है। इस बीमारी से शायद ही उत्तर प्रदेश का कोई गौ आश्रय स्थल अछूता हो। बीमारी ऐसी है कि गौवंशों का उठ पाना मुश्किल हो रहा है। टीकाकरण के बावजूद गौवंश लगातार बीमार होकर मर रहे हैं। सरकार-प्रशासन बीमारी को तो स्वीकार कर रहे हैं, लेकिन इससे हो रही मौत पर चुप्पी साध ली जा रही है। वहीं दूसरे पशुओं के सम्पर्क में आने से लंपी वायरस का संक्रमण तेजी से बढ़ रहा है।

ग्रामीण बताते हैं कि ‘यदि गौशाला की गायों को जंगल में चराने के लिए न छोड़ा जाए तो इनका पेट नहीं भरने वाला है। पेट नहीं भरेगा तो यह जी नहीं पायेंगे’।

ग्रामीण इशारे में गौ-शालाओं में चारा-पानी से लेकर देखभाल में व्याप्त दुर्व्यवस्थाओं को बयां करते हुए कहते हैं कि “इनका (गौवंशों का) केवल चारा पानी से पेट नहीं पलने वाला है, समय-समय पर चूनी-चोकर से लेकर इनके देखभाल की भी जरूरत होती है, जो नहीं हो रही है। कागजी व्यवस्था में सब चकाचक है, लेकिन जमीनी स्तर पर कुछ भी नहीं नजर आता है। ऐसे में यह कितने दिन चलेंगे?”

कई ने तोड़ा दम, तो कई पड़े हैं बेदम

अस्थाई गौ आश्रय स्थल महुगढ़ी में 277 गौवंशों में दर्जनों एक सप्ताह में लंपी वायरस के चपेट में आने से दम तोड़ चुके हैं। और तकरीबन आधा दर्जन पशु अंतिम सांसे गिन रहे हैं। गौशाला के सभी गौवंश सिवान में छुट्टा चरने से बाहरी पशु के सम्पर्क में आते हैं और लंपी वायरस के संक्रमण की चपेट में आ जाते हैं। गौशाला में बनी सीमेंट की टंकी में वो साथ-साथ पानी भी पी रहे हैं जिससे बीमारी बढ़ रही है।

अब इसे जानकारी का अभाव कहा जाए या बरती जा रही घोर लापरवाही, लेकिन मौके की हकीकत बता रही है कि गौवंशों की देखभाल में भारी लापरवाही बरती जा रही है। जिसके चलते गौ-वंश बीमार हो रहे हैं और दम तोड़ते जा रहे हैं। गौ आश्रय स्थल के बीमार गौवंशों के लिए अलग से कोई बाड़ा (कक्ष) नहीं होने से वो गौ-वंश एक दूसरे के सम्पर्क में बने हुए हैं, जिससे वायरस आसानी से स्वस्थ गौवंशों को अपनी चपेटे में ले रहा है।

गौशाला के गौवंशों को जंगल में चराने के लिए छोड़ने से आस-पास के गांवों के पशुपालक भी काफी चिन्तित देखें जा रहे हैं। उन्हें इस बात की चिंता सताए जा रही है कि कहीं उनके भी मवेशी संक्रमण से बीमार न हो जायें।

गर्म-सर्द मौसम ने बढ़ाई बीमारी

पशु चिकित्सा अधिकारी हलिया डॉ. कमलेश बताते हैं कि “मौसम में उतार-चढ़ाव होने पर पशु लंपी वायरस का शिकार हो रहे हैं। इस वायरस का शिकार होने पर पशुओं को बुखार हो जाता है तथा उनके शरीर व पैरों में बड़े-बड़े फोड़े हो जाते हैं, जो जख्म का रूप ले लेते हैं। यह पशुओं के लिए काफी कष्टकारी होता है। जिसका असर पशुओं पर तकरीबन 15 से 20 दिन तक बना रहता है। प्रारंभ के 10 दिनों तक यह वायरस पशुओं में निरंतर बढ़ता रहता है।”

उन्होंने बताया कि “लंपी वायरस की रोकथाम के लिए क्षेत्र में पशुओं का टीकाकरण किया जा रहा है। टीकाकरण के लिए चार-चार लोगों की दो टीमें बनाई गई हैं, ताकि प्रभावित और अप्रभावित गांवों में जाकर टीकाकरण किया जा सके।

डॉ. कमलेश गौशाला में रखे गये पशुओं को गौशाला से बाहर छुट्टा न छोड़ने की सलाह देते हुए कहते हैं कि “उपचार के साथ बचाव भी आवश्यक है। पशुपालक अपने पशुओं का टीकाकरण करायें, जिससे पशुओं को लंपी वायरस से बचाया जा सके।”

गौशाला में सफाई का अभाव, चारों तरफ गोबर ही गोबर

अस्थाई गौ आश्रय स्थल उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के ड्रीम प्रोजेक्ट का हिस्सा है। लेकिन सरकार और अधिकारी चाहे लाख दावे करें, गौ-शालाओं में अव्यवस्था और भ्रष्ट्राचार चरम पर है, यहां रह रहे गौ-वंशों की हालत दयनीय है। अस्थाई गौ आश्रय स्थल महुगढ़ी में साफ सफाई व्यवस्था के नाम पर पूरे गौशाला परिसर में फैले गोबर साफ-सफाई व्यवस्था की पोल खोल रहे हैं। आलम यह है कि जहां नजर घुमाएं गोबर ही गोबर नजर आ रहा है। गोबर के बीच इधर-उधर बेदम मरणासन्न गौवंश तड़प रहे हैं।

कर्मचारियों को समय से नहीं मिलता वेतन

दुर्व्यवस्थाओं से घिरे गौ आश्रय स्थलों में व्याप्त खामियां जहां दूर होने का नाम नहीं ले रही हैं, वहीं गौवंशों की देखभाल और गौ आश्रय स्थल के रखरखाव के कार्य में लगे कर्मचारियों को कई महीने से वेतन की दरकार है। अस्थाई गौ आश्रय स्थल महुगढ़ी के कर्मचारियों को पिछले दो महीने से पारिश्रमिक का इंतजार है। जिसके अभाव में कर्मचारियों को न केवल घर गृहस्थी चला पाना मुश्किल हो गया है, बल्कि उन्हें कई प्रकार की आर्थिक समस्याओं से भी जूझना पड़ जा रहा है।

गौशाला की सेवा में जुटे कर्मचारियों का दर्द है कि “मवेशियों को खिलाने के लिए नमक, गुड़ सहित कुछ और आहार जो आते थे वो पिछले दो ढाई महीने से नहीं आए हैं। दूसरी ओर जो कर्मचारी 24 घंटे सेवा देते हैं उन्हें भी समय से वेतन नहीं मिलता।” कर्मचारियों का दर्द है कि अक्सर निरीक्षण के दौरान अधिकारियों का सामना होने पर उनकी मुश्किलें बढ़ जाती हैं और जिम्मेदार कन्नी काटकर चलते बनते हैं।”

(मिर्ज़ापुर से संतोष देव गिरि की ग्राउंड रिपोर्ट)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles