पटना। पटना संग्रहालय को एक निजी समिति द्वारा संचालित बिहार संग्रहालय के अधीन करने का लंबे समय से विरोध हो रहा है। देश भर के इतिहासकार, पुरातत्वविद, लेखक, साहित्यकार और बुद्धिजीवी सरकार के इस कदम का विरोध कर रहे हैं। गौरतलब है कि बिहार संग्रहालय के महानिदेशक अंजनी कुमार सिंह है, जो रिटायर्ड नौकरशाह हैं और मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के करीबी हैं। आरोप है कि उनके निजी हितों को देखते हुए बिहार सरकार ने यह निर्णय किया है।
भाकपा-माले राज्य सचिव कुणाल ने कहा है कि 106 वर्ष पुराने पटना की सबसे खूबसूरत इमारत (हेरिटेज बिल्डिंग) पटना संग्राहलय भवन के साथ किसी भी प्रकार की छेड़छाड़ न की जाए। अखबारों व अन्य कुछ स्रोतों से पता चला है कि इस ऐतिहासिक बिल्डिंग के रेनोवेशन का कार्यक्रम बनाया गया है। साथ ही निवनिर्मित बिहार संग्रहालय से उसे जोड़ने के लिए एक सुरंग का निर्माण किया जा रहा है। सुरंग के निर्माण हेतु पटना संग्रहालय का पिछला हिस्सा तोड़ा भी जा रहा है।
इस खबर से राज्य व देश भर का बुद्धिजीवी समुदाय बेहद चिंतित हुआ है। इंडो-सारा-सैनी शैली में बनी यह इमारत ‘जादू घर’ के नाम से प्रसिद्ध रही है। आशंका यह है कि रिनोवशन उसके सौंदर्य और उसके अस्तित्व को ही नष्ट कर देगा।
यह ऐतिहासिक संग्रहालय महात्मा बुद्ध का अस्थि कलश, 200 मिलियन वर्ष प्राचीन 53 फीट लंबा देश का सबसे बड़ा फॉसिल्स ट्री, प्राचीन नालंदा विश्वविद्यालय में लिखे गए महापंडित राहुल सांकृत्यायन के द्वारा भारतीय इतिहास की तिब्बत से लाई गई 6 हजार से ज्यादा दुर्लभ पांडुलिपियां, मोहनजोदड़ो के पुरातत्वों, सबसे बड़े पुरामुद्रा बैंक, यक्षिणी और बुद्धिस्ट पुरातत्वों की वजह से दुनिया में विशिष्ट व चर्चित रहा है।
विदित हो कि राहुल सांकृत्यायन पटना संग्रहालय के सबसे बड़े दानदाता रहे हैं। उनकी पुत्री जया सांकृत्यायन भी पटना संग्रहालय की रक्षा के लिए बिहार के मुख्यमंत्री को कई बार पत्र लिख चुकी हैं।
हम बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से अपील करते हैं कि पटना संग्राहलय के अस्तित्व को लेकर उठ रहे सवालों पर गंभीरता से विचार करें और उठ रही आशंकाओं का समाधान करें।
बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष विजय कुमार सिन्हा ने पटना संग्रहालय को बिहार संग्रहालय के हाथ सुपुर्द करने के बिहार सरकार के निर्णय को वापस लेने की मांग की है।
उन्होंने कहा कि सोसाइटी रजिस्ट्रेशन एक्ट के तहत संचालित बिहार संग्रहालय के हाथों में सरकार संचालित पटना संग्रहालय को दिया जाना शर्मनाक कदम है। चर्चा है कि निजी व्यापारिक हितों को बढ़ावा देने और फायदा पहुंचाने के लिए ऐसा किया जा रहा है।
सूचना के मुताबिक पटना संग्रहालय और बिहार संग्रहालय को आपस में जोड़ने के लिए 373 करोड़ की लागत से सुरंग बनाने की योजना है। इसी तरह म्यूजियम का पिछला हिस्सा तोड़ने की भी योजना बन रही है। यह सब संग्रहालय को सौंदर्यीकरण के नाम पर किया जा रहा है। पटना म्यूजियम के सौंदर्यीकरण व भवन निमार्ण को लेकर लगभग 158 करोड़ रुपये खर्च होंगे।
(जनचौक की रिपोर्ट।)
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