Saturday, April 20, 2024

देहरादून: जयसिंह रावत को मिला प्रथम भैरव दत्त धूलिया पत्रकार सम्मान

देहरादून, उत्तराखंड। देहरादून में आयोजित एक समारोह में पुरस्कार वितरण के बहाने पत्रकारिता की मौजूदा हालात पर चिन्तन किया गया। वक्ताओं ने इस मौके पर मीडिया में मौजूदा दौर में घुस आई विसंगतियों को लेकर चिन्ता जताई। कहा गया कि आज के दौर में खबरों के नाम पर एजेंडा और प्रोपेगंडा परोसा जा रहा है। मौका कर्मभूमि फाउंडेशन की ओर से दिये गये प्रथम भैरव दत्त धूलिया पत्रकार पुरस्कार का था। यह पुरस्कार देहरादून के वरिष्ठ पत्रकार और कई पुस्तकों के लेखक जयसिंह रावत को दिया गया।

पुरस्कार प्रसिद्ध पर्यावरणविद् चंडी प्रसाद भट्ट, कर्मभूमि फाउंडेशन की सुमित्रा धूलिया, इतिहासकार प्रो. शेखर पाठक, प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के अध्यक्ष उमाकांत लखेड़ा और फिल्मकार तिग्मांशु धूलिया ने प्रदान किया। पुरस्कार के रूप में प्रशस्ति पत्र, अंगवस्त्र और एक लाख रुपये नकद दिये गये।

कर्मभूमि साप्ताहिक समाचार पत्र का प्रकाशन पौड़ी गढ़वाल के कोटद्वार से 1939 में शुरू हुआ था। ब्रिटिश गढ़वाल और टिहरी रियासत में यह समाचार पत्र जन चेतना का एक प्रमुख ध्वज वाहक रहा। अखबार का प्रकाशन भैरव दत्त धूलिया और भक्तदर्शन ने शुरू किया था। आजादी के बाद भक्तदर्शन राजनीति में चले गये, जबकि भैरव दत्त धूलिया आजादी के बाद भी कर्मभूमि अखबार का प्रकाश तमाम संघर्षों के बाद भी करते रहे और आजादी के बाद भी भैरव दत्त धूलिया कर्मभूमि के माध्यम से लोगों में राजनीतिक चेतना का प्रचार-प्रसार करते रहे। उनके परिवार के सदस्यों ने कर्मभूमि फाउंडेशन शुरू करके स्व. धूलिया के नाम पर पत्रकार पुरस्कार शुरू किया है।

पुरस्कार वितरण समारोह में उत्तराखंड और उत्तराखंड के बाहर के कई गणमान्य व्यक्ति मौजूद रहे। वक्ताओं ने मुख्य रूप से पत्रकारिता के मौजूदा दौर को लेकर चिन्ता जाहिर की। मुख्य अतिथि प्रसिद्ध पर्यावरणविद् चंडी प्रसाद भट्ट ने स्व. भैरव दत्त धूलिया को याद करते हुए पहाड़ में चिपको और शराब विरोध जैसे बड़े आंदोलनों का जिक्र किया और कहा कि इन आंदोलनों को मुकाम तक पहुंचाने में कर्मभूमि और उसके सम्पादक भैरव दत्त धूलिया की महत्वपूर्ण भूमिका रही।

उन्होंने हिमालय और उसके ग्लेशियरों के सामने खड़ी चुनौती का भी जिक्र किया और कहा कि यदि आशंका सही साबित हुई और हिमालयी ग्लेशियरों का अस्तित्व खत्म हुआ तो न सिर्फ उत्तराखंड और भारत बल्कि संपूर्ण दक्षिण एशिया में जीवन संकट में पड़ जाएगा। उन्होंने गंगा, ब्रह्मपुत्र और सिंधु नदी का जिक्र करते हुए कहा कि ये नदियां दक्षिण एशिया के एक बड़े भूभाग को हरा-भरा रखती हैं। यदि इन नदियों में पानी कम हुआ या ये नदियां सूख गई तो इस नदियों के प्रभाव वाला पूरा क्षेत्र बंजर और ऊसर हो जाएगा। इससे न सिर्फ इस भूभाग में कृषि पूरी तरह से खत्म हो जाएगी, बल्कि यहां के जीव जन्तु और पर्यावरण भी बुरी तरह से प्रभावित होगा। ये तीनों नदियां दक्षिण एशियाई देशों के 63 प्रतिशत भूभाग को उपजाऊ बनाती हैं।

चंडी प्रसाद भट्ट ने हिमालय के साथ की जा रही छेड़छाड़ पर चिन्ता जताई। उन्होंने हिमालय की तुलना एक ऐसे बच्चे से की जो छोटी-छोटी बातों को लेकर रोने लगता है। ऐसे ही हिमालय जरा सी भी छेड़छाड़ होने पर दरकने लगता है। जोशीमठ का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि आज जो कुछ जोशीमठ में हो रहा है और जो रिपोर्ट दी जा रही हैं, वह सब वे 1976 में ही कह चुके थे और नवभारत टाइम्स अखबार में उन्होंने जोशीमठ में हो रही जनसंख्या वृद्धि और बड़ी संख्या के होने वाले निर्माणों के कारण निकट भविष्य में बड़ा खतरा सामने आने की बात कही थी। इसके बावजूद सरकारें नहीं चेती। जोशीमठ में पहले से भी ज्यादा और पहले से भी बड़े निर्माणों को सिलसिला जारी रहा।

इतिहासकार, लेखक और सामाजिक कार्यकर्ता प्रो. शेखर पाठक ने पत्रकारिता के मौजूदा स्वरूप पर चिन्ता जताई। उन्होंने कहा कि पत्रकारिता पूरी तरह से रीढ़ विहीन हो चुकी है। यह अब मिशन नहीं बल्कि धंधा बन गई है। पत्रकारों के हाथों से निकलकर कॉरपोरेट के हाथों में चली गई है। उत्तराखंड से निकलने वाले कर्मभूमि, अल्मोड़ा अखबार, समय विनोद, शक्ति आदि का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि ये अखबार कई तरह के दबाओं के बाद भी कभी झुके नहीं। अंग्रेज सरकार ने जुर्माना लगाया, सम्पादकों को जेल भेजा, लेकिन इन्होंने समझौता नहीं किया। उन्होंने कहा कि आज समाज में कई चीजें घटित हो रही हैं, लेकिन मीडिया उन्हें नहीं दिखा रहा है। जोशीमठ और अंकिता हत्याकांड जैसी घटनाओं का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि इन मामलों में मीडिया का रुख जनोन्मुखी नहीं रहा।

प्रेस क्लब ऑफ इंडिया के अध्यक्ष उमकांत लखेड़ा ने कहा कि भैरव दत्त धूलिया अपने दौर में अच्छी सरकारी नौकरी कर सकते थे, लेकिन नहीं की। वे राजनीति में जा सकते थे, लेकिन नहीं गये, उल्टे उन्होंने अखबार निकालने के लिए कांग्रेस की सदस्यता छोड़ दी। सत्ता को आइना दिखाने के लिए चुनाव लड़ा और विधायक भी बने, लेकिन वे राजनीति के लिए नहीं बने थे, कुछ ही महीनों में विधायकी से इस्तीफा दे दिया।

लखेड़ा ने कहा कि मीडिया आज सरकार का एजेंडा चला रहा है। सरकार से कोई सवाल नहीं पूछा जा रहा है। उन्होंने यहां तक कहा कि आज देश के सामने सबसे बड़ा संकट मीडिया है और मीडिया के कारनामों से देश का संविधान तक संकट में पड़ गया है। देहरादून में बेराजगार युवाओं पर लाठीचार्ज का जिक्र करते हुए उन्होंने कहा कि हमारी ही चुनी सरकार हमारा ही दमन कर रही है। उन्होंने कहा कि आज प्रेस की आजादी को देश की सुरक्षा से जोड़ दिया गया है और अदालतों में सीलबंद लिफाफों का दौर चल रहा है, जो लोकतंत्र के लिए एक बड़ी चुनौती है।

प्रथम भैरव दत्त धूलिया पत्रकार पुरस्कार प्राप्त करने वाले जयसिंह रावत ने इस मौके पर एक पत्रकार और एक लेखक के रूप में अपने अनुभव साझा किये। उन्होंने कहा कि हाल के वर्षों में एक तरफ जहां पत्रकारिता के स्तर में गिरावट आई है, वहीं दूसरी तरफ अखबारों के पाठकों और टीवी न्यूज चैनलों के दर्शकों में भी कमी दर्ज की गई है। उन्होंने कहा कि यदि मुख्य धारा के पत्रकारों ने अपना रवैया नहीं बदला तो आने वाले दिनों में इसका अस्तित्व भी खत्म हो सकता है, क्योंकि इसे चुनौती देने के लिए सोशल मीडिया तेजी से आगे बढ़ता हुआ नजर आ रहा है। इसका असर अखबारों को टीवी चैनलों पर साफ दिखाई दे रहा है।

(देहरादून से त्रिलोचन भट्ट की रिपोर्ट)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

जौनपुर में आचार संहिता का मजाक उड़ाता ‘महामानव’ का होर्डिंग

भारत में लोकसभा चुनाव के ऐलान के बाद विवाद उठ रहा है कि क्या देश में दोहरे मानदंड अपनाये जा रहे हैं, खासकर जौनपुर के एक होर्डिंग को लेकर, जिसमें पीएम मोदी की तस्वीर है। सोशल मीडिया और स्थानीय पत्रकारों ने इसे चुनाव आयोग और सरकार को चुनौती के रूप में उठाया है।

AIPF (रेडिकल) ने जारी किया एजेण्डा लोकसभा चुनाव 2024 घोषणा पत्र

लखनऊ में आइपीएफ द्वारा जारी घोषणा पत्र के अनुसार, भाजपा सरकार के राज में भारत की विविधता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला हुआ है और कोर्पोरेट घरानों का मुनाफा बढ़ा है। घोषणा पत्र में भाजपा के विकल्प के रूप में विभिन्न जन मुद्दों और सामाजिक, आर्थिक नीतियों पर बल दिया गया है और लोकसभा चुनाव में इसे पराजित करने पर जोर दिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने 100% ईवीएम-वीवीपीएटी सत्यापन की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

सुप्रीम कोर्ट ने EVM और VVPAT डेटा के 100% सत्यापन की मांग वाली याचिकाओं पर निर्णय सुरक्षित रखा। याचिका में सभी VVPAT पर्चियों के सत्यापन और मतदान की पवित्रता सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया। मतदान की विश्वसनीयता और गोपनीयता पर भी चर्चा हुई।

Related Articles

जौनपुर में आचार संहिता का मजाक उड़ाता ‘महामानव’ का होर्डिंग

भारत में लोकसभा चुनाव के ऐलान के बाद विवाद उठ रहा है कि क्या देश में दोहरे मानदंड अपनाये जा रहे हैं, खासकर जौनपुर के एक होर्डिंग को लेकर, जिसमें पीएम मोदी की तस्वीर है। सोशल मीडिया और स्थानीय पत्रकारों ने इसे चुनाव आयोग और सरकार को चुनौती के रूप में उठाया है।

AIPF (रेडिकल) ने जारी किया एजेण्डा लोकसभा चुनाव 2024 घोषणा पत्र

लखनऊ में आइपीएफ द्वारा जारी घोषणा पत्र के अनुसार, भाजपा सरकार के राज में भारत की विविधता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला हुआ है और कोर्पोरेट घरानों का मुनाफा बढ़ा है। घोषणा पत्र में भाजपा के विकल्प के रूप में विभिन्न जन मुद्दों और सामाजिक, आर्थिक नीतियों पर बल दिया गया है और लोकसभा चुनाव में इसे पराजित करने पर जोर दिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने 100% ईवीएम-वीवीपीएटी सत्यापन की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

सुप्रीम कोर्ट ने EVM और VVPAT डेटा के 100% सत्यापन की मांग वाली याचिकाओं पर निर्णय सुरक्षित रखा। याचिका में सभी VVPAT पर्चियों के सत्यापन और मतदान की पवित्रता सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया। मतदान की विश्वसनीयता और गोपनीयता पर भी चर्चा हुई।