पूर्व नौसेना प्रमुख अरुण प्रकाश ने मणिपुर हिंसा में मुख्यमंत्री की भूमिका की जांच की मांग की

Estimated read time 1 min read

मणिपुर से एक के बाद एक भयावह तस्वीरें देखने के लिए मिल रही हैं। अब जबकि प्रधानमंत्री मोदी ने इस बारे में अपना मुंह भी खोल दिया है, बावजूद इसके मणिपुर में हिंसा का दौर नहीं थम रहा है। सेना से जुड़े कई पूर्व वरिष्ठ अधिकारियों ने मणिपुर में हिंसा को रोकने में प्रशासन की विफलता की निंदा की है। मणिपुर में हिंसा रविवार को 82वें दिन में प्रवेश कर चुकी थी, जिस पर कई सैन्य दिग्गजों ने अपनी तीखी टिप्पणी करते हुए प्रशासनिक विफलता पर “कर्तव्य में लापरवाही” और “मिलीभगत” का आरोप लगाया है।

कुछ पूर्व सैन्य अधिकारियों द्वारा प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मणिपुर पर दिए गये बयान में निहित “तर्कदोष” (Whataboutery) पर सवाल खड़े किये हैं, जिसमें पीएम ने मणिपुर में दो कुकी महिलाओं की नग्न परेड कराए जाने की निंदा करते हुए इसमें कांग्रेस शासित राजस्थान और छत्तीसगढ़ में महिलाओं के खिलाफ हो रहे अपराधों को भी जोड़ दिया था।

पूर्व नौसेना प्रमुख और 1971 युद्ध के नायक एडमिरल अरुण प्रकाश ने रविवार को ट्वीट करके कहा है “मणिपुर में हिंसा और अनैतिकता की घटनाएं भयावह हैं। अपने कर्तव्य के प्रति लापरवाही या संलिप्तता का मामला भी यह उतना ही शर्मनाक है। इसके बारे में क्या और उसके बारे में क्या कहना है?” ये बातें सुन-सुनकर हम थक चुके हैं।” उन्होंने साफ़ शब्दों में कहा, “जो लोग भी अक्षम हैं, उन सभी को बर्खास्त करें, लेकिन हमारे पूर्वोत्तर में विवेक, कानून-व्यवस्था और आपसी मेल-जोल को बहाल करने के लिए सभी उपायों को आजमायें।”

इससे पूर्व 21 जुलाई को भी पूर्व नौसेना प्रमुख अरुण प्रकाश ने ट्वीट कर बताया था कि भारत के पास सैन्य बलों की कमी नहीं है। अपने ट्वीट में वे कहते हैं कि “सरकार के पास 13 लाख मजबूत केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल की संख्या और 14 लाख की संख्या में सेना होने के बावजूद आखिर कैसे एक राज्य दो महीने से भी अधिक समय से हिंसा, बलात्कार और आगजनी से जूझ रहा है? क्या हम सच में असहाय हैं?”

द टेलीग्राफ से बात करते हुए एक पूर्व लेफ्टिनेंट जनरल का कहना था कि “राज्य सरकार और केंद्र दोनों ने मणिपुर के लोगों को विफल कर दिया है।” उन्होंने आगे कहा, “राज्य में कानून-व्यवस्था पूरी तरह से ध्वस्त हो गई है और इस हिंसा में मणिपुर के मुख्यमंत्री बीरेन सिंह की संलिप्तता को देखते हुए उनकी भूमिका की जांच की जानी चाहिए।”

उन्होंने आगे कहा कि 4 मई को दो कुकी महिलाओं की नग्न परेड कराने और यौन उत्पीड़न की घटना का वीडियो जब तक 19 जुलाई तक नहीं आया था, उससे पहले की सरकार की निष्क्रियता “प्रशासनिक उदासीनता और आपसी मिलीभगत” की कहानी बयां करती है।

देश को झकझोर देने वाले इस वीडियो ने प्रधानमंत्री मोदी को मणिपुर हिंसा के 79वें दिन में जाकर अपनी गहरी चुप्पी तोड़ने पर मजबूर किया।

इस बारे में सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल का कहना था, “कार्रवाई करने की बजाय, देश का शीर्ष नेतृत्व और केंद्रीय मंत्री इस भयानक अपराध को दूसरे राज्यों में महिलाओं के खिलाफ हो रहे कुछ आपराधिक मामलों से जोड़कर ‘संतुलन’ बनाने में व्यस्त हैं।”

“आपराधिक इरादे से किया जाने वाला बलात्कार और जातीय सफाये के हिस्से के रूप में उन्मादी भीड़ द्वारा अल्पसंख्यक महिलाओं को निशाना बनाकर किए गए यौन हमले के बीच अंतर होता है।”

मणिपुर में ज्यादातर मैतेई हिंदू हैं और बहुसंख्यक समुदाय के तौर पर हैं, और आदिवासी कुकी जिनमें से अधिकांश ईसाई हैं, से उनकी तादाद काफी अधिक है।

एक अन्य पूर्व ब्रिगेडियर ने कहा कि, “प्रधानमंत्री मोदी ने बेहद कृतघ्नता का परिचय दिया जब उन्होंने मणिपुर में हुई भयावह घटना पर अपनी चुप्पी तोड़ते हुए whataboutery और राजनीति करते हुए मणिपुर की तुलना छत्तीसगढ़ और राजस्थान से कर डाली।”

ब्रिगेडियर के अनुसार, “मणिपुर की भयावह स्थिति को देखते हुए प्रधानमंत्री ने एक बेहद दुर्भाग्यपूर्ण बयान दिया था।”

सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल ने अपने बयान में आगे कहा कि यह समझ से परे है कि बीरेन सिंह को वायरल वीडियो जारी होने के बाद उनकी इस टिप्पणी के बावजूद मुख्यमंत्री पद पर बने रहने की अनुमति दी जा रही है कि “मणिपुर में अशांति के दौरान वायरल वीडियो जैसी यौन उत्पीड़न की सैकड़ों घटनाएं देखने को मिली हैं।”

सेना ने हाल ही में कुछ पूर्व सैनिकों की पेंशन रोकने और उनके खिलाफ पुलिस केस में कार्रवाई करने का फैसला लिया है, जिसमें उनके ऊपर “सेना की छवि खराब करने वाले” आरोप लगे हैं। इस कदम को चीनी घुसपैठ मामले, अग्निवीर योजना और कई अन्य मामलों पर सरकार की आलोचना करने वाले पूर्व सैनिकों की आवाज को दबाने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है।

एक अन्य मामले में मणिपुर में 18 वर्षीय महिला के साथ सामूहिक बलात्कार पर एक मीडिया रिपोर्ट का हवाला देते हुए सेवानिवृत्त लेफ्टिनेंट जनरल एच.एस. पनाग ने ट्वीट किया, “एक और भयावह घटना! राष्ट्र का सामाजिक ताना-बाना छिन्न-भिन्न हो गया है।”

15 मई को हथियारबंद लोगों द्वारा इंफाल ईस्ट में किशोरी का कथित तौर पर अपहरण, हमला और सामूहिक बलात्कार किया गया था। 4 मई को दो कुकी महिलाओं को नग्न घुमाने का वीडियो सामने आने के दो दिन बाद जब उसने 21 जुलाई को पुलिस से संपर्क साधा और इस मामले पर एफआईआर दर्ज कर दी गई है। 15 मई की घटना की एफआईआर 21 जुलाई को दर्ज होना मणिपुर के हालात को बयां करता है।    

जहां तक 4 मई की घटना का प्रश्न है, इस मामले में हालांकि जल्द ही पुलिस ने एफआईआर दर्ज कर ली थी, लेकिन पहली गिरफ्तारी वीडियो के वायरल होने के एक दिन बाद 20 जुलाई को ही हो पाई थी।

(द टेलीग्राफ की खबर पर आधारित।)

+ There are no comments

Add yours

You May Also Like

More From Author