Tuesday, April 16, 2024
प्रदीप सिंह
प्रदीप सिंहhttps://www.janchowk.com
दो दशक से पत्रकारिता में सक्रिय और जनचौक के राजनीतिक संपादक हैं।

गांधी विद्या संस्थान पर IGNCA के कब्जे को गांधीवादियों ने बताया सरकारी गुंडागर्दी

वाराणसी में गांधी विद्या संस्थान पर जिला प्रशासन ने कब्जा कर लिया है। संस्थान के भवन को इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के क्षेत्रीय कार्यालय को सौंप दिया गया है। इस गैर-कानूनी कब्जे में सामने तो जिला प्रशासन है लेकिन पर्दे के पीछे से कई बड़े लोगों का समर्थन हैं। सर्व सेवा संघ के रामधीरज के नेतृत्व में वाराणसी में गांधी विद्या संस्थान परिसर में धरना चल रहा है। प्रशासन ने धरना दे रहे गांधीवादियों को धरना स्थल से उठा दिया था। लेकिन अब उसी परिसर में दूसरे स्थान पर उनका धरना जारी है। शुक्रवार को गांधीवादियों ने धरना देते समय 42 डिग्री सेल्सियस तापमान से बचने के लिए छाते का सहारा लिया।

प्रशासन द्वारा गांधी विद्या संस्थान के भवन को जबरन कब्जा करने के सवाल पर आईजीएनसीए के क्षेत्रीय निदेशक अभिजीत दीक्षित ने एक अंग्रेजी दैनिक को बताया था कि इंदिरा राष्ट्रीय कला केंद्र की गांधी विद्या संस्थान जैसे संस्थानों को मजबूत करने और “देखभाल करने” की एक नीति के तहत ऐसा किया जा रहा है। लेकिन सवाल यह भी है कि इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र जिस उद्देश्य को लेकर स्थापित किया था, क्या आज वह उस पर खरा उतर रहा है? दिल्ली में एक चर्चा आम है कि इंदिरा गांधी कला केंद्र वर्तमान में पत्रकारों और राजनेताओं का केंद्र बन गया है। ‘कला’ और ‘राजनीतिक कला’ में बहुत अंतर होता है। वहां के वरिष्ठ अधिकारियों का कला के किसी विधा से दूर-दूर तक का संबंध नहीं है। इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष रामबहादुर राय हैं। जो पेशे से पत्रकार हैं। और सदस्य सचिव डॉ. सच्चिदानन्द जोशी हैं। एक समय वहां की अध्यक्ष कपिला वात्स्यायन जैसी मशहूर शख्सियत रही हैं।

गांधी विद्या संस्थान पर प्रशासन के कब्जे के बाद देश भर के गांधी-जन आक्रोश में हैं। जनचौक ने इस विषय पर सर्व सेवा संघ के पदाधिकारियों और देश के प्रतिष्ठित गांधीवादी कार्यकर्ताओं से बातचीत की है। पेश है बातचीत का प्रमुख अंश:

गांधी विद्या संस्थान पर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र का कब्जा गैर-कानूनी है। यह सब सरकार और प्रशासन की मिलीभगत से हो रहा है। हम संस्था को बचाने के लिए कानूनी और सामाजिक दोनों लड़ाई लड़ेंगे। गांधी, विनोबा और जेपी का नाम इस संस्था से जुड़ा है। हम सर्व सेवा संघ में संघियों को घुसने नहीं देंगे। हमने कानूनी और सामाजिक लड़ाई के लिए तैयारी कर ली है। शीघ्र ही हम बड़ा प्रतिवाद करेंगे। चंदन पॉल, (अध्यक्ष, सर्व सेवा संघ)

केंद्र में जबसे मोदी की सरकार आई है तब से वह गांधी संस्थानों को खत्म करने, कब्जा करने, या उसमें आरएसएस के लोगों को बैठाने का षडयंत्र कर रही है। गांधी संस्थानों को सरकार के कब्जे में भी लेने का उपक्रम चल रहा है। गुजरात विद्यापीठ को एक भाजपा सरकार ने एक प्रस्ताव पारित कर राज्यपाल के हवाले कर दिया गया। इसी तरह वाराणसी में गांधी विद्या संस्थान के भवन पर कब्जा कर लिया गया। संघ-भाजपा गांधीवादी संस्थाओं पर कब्जा करने की योजना पर काम कर रही है, वह चुन-चुन कर गांधीवादी संस्थानों को निशाना बना रही है। कुछ संस्थाओं को कानून के सहारे कब्जा कर रही है तो कुछ को गैर-कानूनी तरीके से कर रही है। संघ-भाजपा की योजना सारे संस्थाओं को अपने कब्जे में करने की है। अब बोलने के लिए कुछ बचा नहीं है, कब्जा से बचाने के लिए संघर्ष करना पड़ेगा। प्रकाश शाह, (वरिष्ठ गांधीवादी कार्यकर्ता)

गांधी स्मारक निधि ने सर्व सेवा संघ को यह जमीन दिया था। गांधी जी की शहादत के बाद एक निधि बनी थी, जिसमें सरकार और अन्य लोगों ने दान दिया था। गांधी निधि के पैसे से ही दिल्ली का गांधी शांति प्रतिष्ठान चलता है। वाराणसी के गांधी विद्या संस्थान को जयप्रकाश नारायण ने स्थापित किया था। ये संस्था सामाजिक आंदोलन और सामाजिक अध्ययन के बीच सेतु का काम करती थी। इस संस्था ने कई महत्वपूर्ण अध्ययन किए। जिसमें वाराणसी में जरी का काम करने वाले कारीगरों, वाराणसी में बैलगाड़ी को आदमियों द्वारा खींचने वालों पर अध्ययन, आजादी के बाद के सांप्रदायिक दंगों पर, वीपी सिंह के मुख्यमंत्रित्व काल में पुलिस मुठभेड़ों में ज्यादा संख्या में पिछड़ों-दलितों के मारे जाने के सवाल पर अध्ययन किया गया था। ये अध्ययन देश में बहुत चर्चित हुए थे। अब रही बात गांधी विद्या संस्थान के भवन पर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के कब्जे की बात। इंदिरा गांधी कला केंद्र के वर्तमान अध्यक्ष रामबहादुर राय शुरू से ही सर्वोदय का उपयोग अपने हित में करते रहे हैं। यह कब्जा गैर-कानूनी और अनैतिक है। अफलातून, (गांधीवादी एवं सामाजिक कार्यकर्ता)

वाराणसी के सर्व सेवा संघ परिसर में स्थित गांधी विद्या संस्थान को जिला प्रशासन ने पुलिस बल के सहारे कब्जा कर इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र को सौंप दिया। इसमें वाराणसी के कमिश्नर और इंदिरा गंधी राष्ट्रीय कला केंद्र के अध्यक्ष की प्रमुख भूमिका है। किसी की जमीन और भवन को कब्जा करना गैर-कानूनी है, फिर चाहे वह किसी व्यक्ति की हो या संस्था की। देश भर में गांधी जन इस सरकारी गुंडागर्दी की निंदा कर रहे हैं और इसके विरोध में धरना-प्रदर्शन चल रहा है। हम गांधीवादी हिंसा में विश्वास नहीं करते हैं। प्रशासन का यह कृत्य हिंसा की श्रेणी में आता है। सरकार और प्रशासन का यह कृत्य पागल हाथी वाला है। जैसे पागल हाथी सबको रौंदते हुए चलता है, वैसे ही मोदी सरकार संविधान, नियम-कानून और नैतिकता को रौंद रही है। इस्लाम हुसैन, (अध्यक्ष, उत्तराखंड सर्वोदय मंडल)

गांधी विद्या संस्थान को सरकार और इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र के इशारे पर वाराणसी जिला प्रशासन ने हड़प लिया है। यह सीधे तौर पर सरकारी गुंडई है। प्रशासन ने दबंगई करते हुए इस गैर-कानूनी कृत्य को अंजाम दिया है। इस भवन और जमीन का मालिकाना हक सर्व सेवा संघ के पास है। जो गांधी विद्या संस्थान को संचालित करता है। कोई दूसरा कैसे इस पर कब्जा कर सकता है। कमिश्नर को यह अधिकार ही नहीं है कि वह इसे इंदिरा गांधी राष्ट्रीय कला केंद्र को दे सकें। अरविंद अंजुम, (सर्व सेवा संघ, वाराणसी)

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