Saturday, April 27, 2024

स्पेशल रिपोर्ट: गोरखपुर में दलित लड़की की गैंगरेप के बाद हत्या के मामले में आरोपियों के साथ खड़ी है पुलिस

गोरखपुर। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के शहर गोरखपुर की पुलिस अपने कारनामों को लेकर एक बार फिर चर्चा में है। डेढ़ माह पूर्व एक दलित किशोरी के साथ गैंगरेप के बाद हत्या के मामले में पहले पुलिस घटना पर लीपापोती में लगी रही। अब मुकदमा दर्ज करने के बाद भी आरोपियों की गिरफ्तारी के बजाए उन्हें संरक्षण देने का आरोप लग रहा है। ऐसे में विरोध की मुखर हो रही आवाज को दबाने की कोशिश के चलते आंदोलन तेज हो गया है।

इसको लेकर 7 फरवरी को एसएसपी कार्यालय पर अम्बेडकर जन मोर्चा के कार्यकर्ताओं ने प्रदर्शन का एलान किया तो एक दिन पूर्व भारी संख्या में पुलिस संगठन की प्रदेश अध्यक्ष सीमा गौतम के घर पहुंच गई। सीमा के मुताबिक पुलिस के इस आधी रात की कार्रवाई के पीछे हमें धमकाना रहा। एक घंटे तक दरवाजा पीटने के बाद पुलिस नोटिस चस्पा करके चली गई।

जिसमें धारा 144 का हवाला देते हुए किसी भी आंदोलन करने की स्थिति में कठोर कार्यवाही की चेतावनी दी गई। हालांकि अपने कार्यकर्ताओं के साथ प्रदेश अध्यक्ष सीमा गौतम एसपी के कार्यालय पहुंची व मांग पत्र देकर कार्रवाई की मांग की। सीमा गौतम ने आरोप लगाया कि पुलिस जब नामजद मुकदमा दर्ज की है, तो आखिर गिरफ्तारी क्यों नहीं कर रही है। घटना के आरोपियों को बचाने को लेकर चौकी इंचार्ज अवधेश मिश्रा की करतूत को लेकर कार्यवाही की मांग की।

घटना व पुलिस के कारनामे

मुख्यमंत्री के शहर गोरखपुर में गत 25 दिसंबर को थाना गोरखनाथ के अन्तर्गत काली मन्दिर के पास की यह घटना है। वारदात के बाद से मृतका किशोरी की मां न्याय के लिए भटक रही है। पुलिस की अब तक करतूत यह रही है कि कार्रवाई की मांग करने पर मृतका के पिता को पुलिस ने मारा, मां को भी गाली दी और जान से मारने की धमकी दी। ऐसे में इसको लेकर आवाज उठा रहे अम्बेडकर जन मोर्चा का कहना है कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का क्या यही राम राज्य है ?

बताया जाता है कि गोरखपुर के थाना गोरखनाथ के अन्तर्गत काली मन्दिर के पास मीना देवी पत्नी प्रमोद रौनियार अपने बच्चों के साथ एक किराए के मकान में रहती हैं, यहां रहकर मीना देवी लोगों के घरों में झाड़ू पोछा का काम करती हैं, अपना और बच्चों का भरण-भोषण करती हैं, पति भी मेहनत मजदूरी करता है।

25 दिसंबर को मीना देवी को इनके मकान मालिक जुगुल गुप्ता ने फोन करके बताया कि तुम्हारी बेटी ने अपने कमरे में फांसी लगा लिया है, तुम्हारी बेटी रेखा मर गई है। पीड़ित परिवार के मुताबिक जुगुल गुप्ता मकान मालिक है जो पहले भी रेखा के साथ अश्लील हरकत कर चुका है, रेखा ने यह बात अपनी मां मीना को बताया था, तब गरीब महिला मीना इस बात से परेशान थी और मकान मालिक से इस बात का विरोध भी की थी, लेकिन गरीब होने के नाते वह किराए पर सस्ता मकान ढूंढ रही थी जब नहीं पाई तो यहीं पर रह गई यह सोचकर कि मकान मालिक दोबारा ऐसा नहीं करेगा। लेकिन मकान मालिक की नीयत बच्ची के प्रति और खराब हो गयी। 4 दिसंबर को मृतका के पिता का प्रमोद रौनियार का एक्सीडेन्ट हो गया था इसलिये मृतका की मां मीना देवी अपने मूल गांव जनपद पडरौना चली गयी थी।

घटना की रात खबर मिली कि मीना देवी की बेटी रेखा की हत्या हो गई है। रेखा की मृत बॉडी को कमरे में लटका दिया गया है। मुहल्ले के लोगों को जब पता चला तो लोग इकट्ठा हो गये, इस बीच पुलिस भी आई और पुलिस मृतक की डेड बॉडी को पोस्ट मार्टम के लिए मेडिकल उठा ले गई। 26 दिसंबर को पोस्टमार्टम के बाद डेड बाडी को शाम लगभग 07:30 बजे पुलिस ने अपने कब्जे में ले ली।

एम्बुलेन्स में ही मृतक रेखा के पिता और मां को बैठाकर शव पुलिस वाले अंतिम संस्कार के लिए राजघाट ले जाने लगे। यह देख रास्ते में मृतका रेखा के पिता प्रमोद ने कहा कि मेरी बेटी की डेड बॉडी मेरे घर काली मन्दिर के पास ले चलिए, पिता की इस मांग पर पुलिस वालों ने गाड़ी से नीचे उतार कर मृतका के पिता को मारना पीटना शुरू कर दिया, और धर्मशाला पुलिस चौकी का दरोगा अवधेश मिश्रा ने मृतका लड़की के पिता को गोली मारने की धमकी देते हुए कहा कि सा….जो मेरी बात नहीं मानता है मैं उसको ऐसा गोली मारता हूं कि ना वह जी पाता है और ना ही मर पाता है।

मृतका रेखा की मां ने जब अपने पति को पीटता हुआ देखा तो हाथ पैर जोड़कर दरोगा को रोका तो पुलिसकर्मी ने एम्बुलेंस से मृतका के माता-पिता को पैडलेगंज चैराहे पर ही उतार दिये और डेड बॉडी को रात में सीधे राजघाट ले गए, जहां पर जलाने का पूरा प्रबन्ध पहले से पुलिस ने ही किया था।  इस बात की सूचना किसी तरह मृतका के मुहल्ले वालों को पता चला तो बड़ी संख्या में महिलाएं व मुहल्लेवासी राजघाट पहुंच गए और पुलिस के इस कृत्य का विरोध किए तथा मीडियाकर्मी भी पहुँच गए। तब मृतका रेखा का डेड बॉडी परिजनों को पुलिस ने सौंप दिया, फिर परिजन डेड बॉडी घर ले गए। जिसका अगले दिन अन्तिम संस्कार परिजनों ने किया। 

अम्बेडकर जन मोर्चा कर रहा आंदोलन

इस घटना को लेकर आवाज उठा रहे अम्बेडकर जन मोर्चा के मुख्य संयोजक श्रवण कुमार निराला का कहना है कि मृतका के डेड बॉडी के साथ और परिजनों के साथ पुलिस का यह कृत्य घोर निन्दनीय है। इस घटना के सन्दर्भ में असली कहानी जो मृतका रेखा के माता-पिता बता रहे हैं वह यह है कि मृतका रेखा ने आत्महत्या नहीं किया है, रेखा की हत्या किया गया है, मकान मालिक जुगुल गुप्ता मृतक रेखा पर पहले से ही बुरी नजर रखता था जुगुल गुप्ता का साथ मुहल्ले के ही निवासी राहुल और गोविन्दा ने भी दिया है और मुहल्ले की ही एक महिला पूनम भी इस साजिश में शामिल है, जुगुल गुप्ता ने अपने कई सहयोगियों के साथ मृतका रेखा के साथ दुष्कर्म किया, मृतका रेखा इस घटना को माता-पिता को न बताए इसलिए जुगुल गुप्ता ने अपने सहयोगियों के साथ रेखा का गला दबा कर हत्या कर दिया और हत्या को आत्म-हत्या दिखाने के लिए रेखा की डेडबॉडी फंदा में लटका दिया, ताकि यह आत्महत्या की घटना बन जाये।

सामाजिक कार्यकर्ता सीमा

जबकि मृतका रेखा की मां मीना देवी यह चिल्ला-चिल्ला कर बता रही है कि अगर हमारी बेटी ने फंदा लगा कर आत्महत्या किया तो बिस्तर और तकिया में खून किसका लगा है ? सच्चाई यह है कि हमारी बेटी का दुष्कर्म करने के बाद हत्या कर दिया। 

आखिरकार जनदबाव में पुलिस ने मकान मालिक जुगुल गुप्ता व अन्य के खिलाफ दुष्कर्म के बाद हत्या का मुकदमा दर्ज की। लेकिन अब तक गिरफ्तारी नहीं की है। पीड़ित परिवार का आरोप है कि पूछताछ के लिए प्रारम्भ में राहुल, गोविन्दा को पुलिस थाने ले गई थी लेकिन शाम तक ही पैसा लेकर उनको छोड़ दिया। जबकि मुख्य आरोपी जुगुल गुप्ता को पुलिस ने अभी तक गिरफ्तार नहीं किया, जुगुल गुप्ता पीड़ित परिवार को धमकी दे रहा है कि मेरा कुछ नहीं होगा, मृतका के परिवार के साथ आगे बड़ी घटना होगी।

दबंगों के निशाने पर दलित की बेटियां

अम्बेडकर जन मोर्चा एक घटना का हवाला देते हुए आरोप लगा रहा है कि दबंग मनबढ़ रात में दलित के घर में घुसकर लड़की के साथ गैंगरेप की घटना को अंजाम दिये, पीड़ित ने मनबढ़ों के खिलाफ मुकदमा दर्ज कराया तो बदले में पिपराइच पुलिस ने 12 दलितों पर भी फर्जी मुकदमा दर्ज किया। पुलिस स्थानीय विधायक के दबाव में दलील दे रही है कि दलित के घर में रात में पकड़े गये गैंगरेप के आरोपी पीड़िता के बुलाने पर गये थे। मुख्यमंत्री के जिला गोरखुपर में भाजपा के विधायकों के धाक और दबंगई का आलम यह है कि स्थानीय थाने की पुलिस वही करती है जो विधायक कहता है, गलत सही से पुलिस को कोई लेना देना नहीं है।

दलितों की सामत आ गई है, जिस दलित के घर रात में गैंगरेप के आरोपी घुस कर पीड़िता के साथ गैंगरेप की घटना को अंजाम देते हैं, उसी दलित के परिजनों पर पुलिस फर्जी मुकदमा करके प्रताड़ित कर रही है, दोष यह है कि पीड़ित परिवार ने पुलिस में जाकर गैंगरेप के आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करा दिया।

22 दिसंबर को दलित परिवार ने मुकदमा लिखाया, इस मुकदमे की वादिनी गुजराती देवी बताती हैं कि 15-16 दिसंबर की रात लगभग 1 से 2 बजे के बीच गुजराती देवी के गांव भिसवां के ही निवासी प्रदीप सिंह व उसके मामा का लड़का ग्राम खीरिया का निवासी अश्वनी सिंह उर्फ विपुल सिंह पीड़िता के घर में घुस कर गुजराती देवी की बेटी के साथ गैंगरेप की घटना को अंजाम दिये। बेटी ने शोर मचाया तो घर के अन्य सदस्य एवं पड़ोसी आ गए और रात में 1 से 2 बजे के बीच रेपिस्ट अश्वनी सिंह व प्रदीप सिंह पीड़िता के घर में पकड़े गये।

इस दौरान प्रदीप सिंह मौके का फायदा उठा कर भाग गया, इस बीच मुहल्ले के लोगों ने अश्वनी सिंह को घर में ही मफलर से बॉध दिया और 112 नम्बर पर फोन करके पुलिस को बुला लिया, पुलिस आई और अश्वनी सिंह को रात में ही लगभग 02.30 बजे ले गई फिर रास्ते में ले जाकर पुलिस ने अभियुक्त को छोड़ दिया। अगले दिन मुकदमा दर्ज करने के लिए पीड़ित परिवार को पुलिस ने थाने पर बुलाया, जब पीड़ित परिवार थाने पर गया तो थाने पर दरोगा ओम प्रकाश यादव व अशोक सिंह दोनों पीड़ित परिवार को धमकाते हुये थाने से भगा दिये।

पीड़ित परिवार इस दौरान जब कोर्ट का सहारा लेता है तो पुलिस पीड़ित परिवार को फिर से बुलाती है और 22 दिसंबर को आरोपियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज करती है, लेकिन वहीं पर स्थानीय थानाध्यक्ष और दरोगा पीड़ित परिवार को धमकी देते हैं कि तुम लोग इसका बुरा अंजाम भुगतने के लिए तैयार रहो, क्योंकि तुम लोगों ने आरोपियों से नहीं बल्कि विधायक से लड़ाई ले लिया है, अश्वनी सिंह व प्रदीप सिंह विधायक महेन्द्र पाल सिंह के बहुत ही करीबी हैं।

इसका परिणाम यह हुआ कि स्थानीय थाना पिपराइच की पुलिस ने 23 दिसंबर को पीड़ित परिवार के अन्य सदस्यों तथा मद्दगारों के खिलाफ झूठा मुकदमा गम्भीर धाराओं में लिख दिया, जिसमें 12 दलितों को अभियुक्त बना दिया। दलित अभियुक्तों में गैंगरेप पीड़ित लड़की का पिता भी अभियुक्त हो गया, जबकि पीड़ित लड़की के पिता गांव पर वर्तमान समय में नहीं हैं, जो वाराणसी में रहकर मजदूरी करते हैं।

पुलिस ने दलितों के खिलाफ जो मुकदमा लिखा है उसमें गम्भीर धाराएं 147, 148, 342, 307, 323 जैसी धारायें लगा दिया, अब पीड़ित दलित परिवार को गिरफ्तार करने के लिए पुलिस छापा मार रही है, और गैंगरेप के आरोपी खुलेआम घुम रहे हैं, क्योंकि स्थानीय विधायक गैंगरेप के आरोपियों के साथ है और पिपराइच पुलिस गैंगरेप के आरोपियों की मददगार है।

(गोरखपुर से जितेंद्र उपाध्याय की रिपोर्ट।)

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1 year ago

She is not dalit.. She is Rauniyaar Gupta.. General category. First check the fact before publishing anything..

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