Thursday, March 28, 2024

खाद खरीदने वालों से जाति पूछेगी, जाति जनगणना से कतराने वाली सरकार

मोदी सरकार ने नया हुकुम जारी किया है कि अब जो किसान खाद की दुकान पर सब्सिडी वाला खाद खरीदने जाएगा उसे पहले बिक्री मशीन पर अपनी जाति बतानी और लिखानी होगी। अखिल भारतीय किसान सभा ने इस मनमाने और बेतुके निर्णय की भर्त्सना की है और कहा है कि मोदी सरकार के रसायन और उर्वरक मंत्रालय को तुरंत इस आदेश को वापस लेना चाहिए।  

किसान सभा ने कहा कि ‘देश भर में सभी धर्मो, जातियों, सम्प्रदायों, समुदायों के लोग खेती किसानी के काम में लगे हैं। खाद खरीदी के वक़्त उनकी पहचान के लिए उनकी जाति की शिनाख्त करना सरासर अनुचित और गलत बात है। खाद खरीदने के लिए इस तरह की जानकारी मांगना बिलकुल जरूरी नहीं है’। 

किसान सभा ने कहा कि अंगूठे के निशान लेने जैसी बायोमेट्रिक प्रणाली का इस्तेमाल लोगों को बाहर करने का जरिया होता है। मोदी सरकार आधार से जुड़ी खाद बिक्री मशीन लाकर खाद सब्सिडी के मौजूदा तरीके को बदलना चाहती है और उसे सीधे बैंक ट्रांसफर की दोषपूर्ण योजना में बदलना चाहती है।

किसान सभा सब्सिडी वाले खाद की बिक्री में इस तरह की मशीनों के इस्तेमाल और खाद सब्सिडी को सीधे बैंक ट्रांसफर करने की कोशिशों के सख्त खिलाफ है।

रसोई गैस की सब्सिडी के बैंक ट्रांसफर की योजना के अनुभवों से साफ़ हो चुका है कि यह सब्सिडी देने का नहीं, उसे खत्म करने का तरीका है। सीधे बैंक ट्रांसफर की योजना भूमि स्वामित्व रिकॉर्ड से जुडी होती है। इस तरह भूमिहीन और बंटाईदार किसान सब्सिडी से पूरी तरह वंचित हो जाते हैं। 

किसान सभा ने कहा कि खाद की सब्सिडी कीमतों में होनी चाहिए और सरकार को सस्ती तथा नियंत्रित दरों पर आपूर्ति के लिए पर्याप्त खाद की उपलब्धता करानी चाहिए। पिछले दो वर्षों में किसानों के गुस्से के चलते सरकार भले खाद की कीमतें बढ़ाने में सफल नहीं हुयी है मगर उसने खाद की उपलब्धता में भारी कटौती कर दी है। इसका नतीजा यह निकला है कि किसान अपनी आवश्यकता के मुताबिक़ खाद नहीं खरीद पा रहे हैं। खाद की कालाबाजारी बेहिसाब तेजी से बढ़ रही है।

अखिल भारतीय किसान सभा के अध्यक्ष डॉ अशोक ढवले और महासचिव वीजू कृष्णन ने जाति की जानकारी लेने वाले इस बेतुके आदेश को तत्काल वापस लेने की मांग की है। खाद बिक्री में मशीनों का इस्तेमाल और उसको आधार से जोड़ने का निर्णय वापस लेने की मांग की है तथा किसानों को सस्ते तथा नियंत्रित दरों पर पर्याप्त खाद उपलब्ध कराने को कहा है।

(विज्ञप्ति पर आधारित)

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