Saturday, September 23, 2023

लड़की से धोखा साबित हुए बिना एफआईआर नहीं, गुजरात हाईकोर्ट ने लव जेहाद कानून की कुछ धाराओं पर लगायी रोक

कथित लव जिहाद को लेकर गुजरात की विजय रूपानी सरकार द्वारा हाल ही में बनाये गये कड़े कानून गुजरात धार्मिक स्वतंत्रता (संशोधन) अधिनियम, 2021 पर गुजरात हाईकोर्ट ने रूपानी सरकार को तगड़ा  झटका दिया है और कानून की कुछ धाराओं को लागू करने पर अंतरिम रोक लगा दी है। चीफ जस्टिस विक्रम नाथ और जस्टिस बिरेन वैष्णव की खंडपीठ ने कहा है कि यह अंतरिम आदेश लोगों को बेवजह प्रताड़ना से बचाने के लिए दिया गया है। 15 जून को राज्य सरकार ने इस कानून को राज्य में लागू किया था। इस कानून के तहत विवाह के जरिए जबरन धर्म परिवर्तन कराने के लिए मजबूर करने वालों के लिए सजा का प्रावधान किया गया था।

गौरतलब है कि यह कानून उच्चतम न्यायालय द्वारा वर्ष 2006 में लता सिंह बनाम उत्तर प्रदेश राज्य, (2006 (5) एससीसी 475) में अंतर-जातीय या अंतर-धार्मिक विवाह को कानूनी मान्यता देने के ऐतिहासिक फैसले का खंडन करता है। जस्टिस मार्कंडेय काटजू और जस्टिस अशोक भान की पीठ ने निर्देश दिया था कि देश भर में प्रशासन/पुलिस अधिकारी यह देखेंगे कि यदि कोई भी लड़का या लड़की एक बालिग़ महिला के साथ अंतर-जातीय या अंतर-धार्मिक विवाह करता है या एक बालिग़ पुरुष है, युगल हैं किसी को भी परेशान नहीं किया जाए और न ही हिंसा के खतरों या कृत्यों के अधीन, और कोई भी जो ऐसी धमकियां देता है या उत्पीड़न करता है या हिंसा का कार्य करता है या खुद अपने दायित्व पर, ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ पुलिस द्वारा आपराधिक कार्यवाही शुरू करने का काम लिया जाता है और ऐसे व्यक्तियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाती है, जो कानून द्वारा प्रदान किए गए हैं।

पीठ ने तल्ख टिप्पणी की थी कि कभी-कभी ऐसे व्यक्तियों के `सम्मान’ हत्या के बारे में सुनते हैं, जो अपनी मर्जी से अंतर-जातीय या अंतर-धार्मिक विवाह से गुजरते हैं। इस तरह की हत्याओं में कुछ भी सम्मानजनक नहीं है, और वास्तव में वे क्रूर, सामंती दिमाग वाले व्यक्तियों द्वारा किए गए हत्या के बर्बर और शर्मनाक कृत्य के अलावा कुछ नहीं हैं, जो कठोर सजा के पात्र हैं। केवल इस तरह से हम बर्बरता के ऐसे कृत्यों को समाप्त कर सकते हैं।

गुजरात हाईकोर्ट ने साफ किया है कि केवल शादी के आधार पर ही मामले में प्राथमिकी दर्ज नहीं की जा सकती है। खंडपीठ ने कहा है कि अंतर-धार्मिक विवाह के मामले में केवल शादी को ही एफआईआर का आधार नहीं बनाया जा सकता है। खंडपीठ ने कहा कि बगैर यह साबित हुए कि शादी जोर-जबरदस्ती से हुई है या लालच से हुई है, पुलिस में एफआईआर दर्ज नहीं की जा सकती है। खंडपीठ ने अधिनियम की धारा 3, 4, 5 और 6 के संशोधनों को लागू करने पर रोक लगाने के आदेश दिए हैं।

गुजरात उच्च न्यायालय ने शादी के जरिए जबरन या धोखाधड़ी से धर्मांतरण को निषेध करने वाले एक नए कानून के प्रावधानों को चुनौती देने वाली एक याचिका पर बीती 6 अगस्त को राज्य सरकार को नोटिस जारी कर जवाब दाखिल करने को कहा था और मामले की अगली सुनवाई 17 अगस्त को निर्धारित कर दी थी।

गुजरात धर्म की स्वतंत्रता (संशोधन) अधिनियम, 2021 के खिलाफ याचिका पिछले महीने जमीयत उलेमा-ए-हिंद की गुजरात शाखा ने दायर की थी। इस अधिनियम को 15 जून को अधिसूचित किया गया था। वर्चुअल सुनवाई के दौरान, जमीयत उलेमा-ए-हिंद की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मिहिर जोशी ने कहा कि संशोधित कानून में अस्पष्ट शर्तें हैं जो विवाह के मूल सिद्धांतों के खिलाफ हैं और संविधान के अनुच्छेद 25 में निहित धर्म के प्रचार, आस्था और अभ्यास के अधिकार के खिलाफ हैं। इस कानून के तहत तीन से पांच साल की सजा का प्रावधान है। वहीं अगर पीड़ित एसटी, एससी समुदाय से है, तो ये सजा 7 साल तक की हो सकती है। इस कानून के लागू होने के बाद अगर कोई व्यक्ति किसी के साथ जबरन या धोखे से शादी करता है और उसके बाद धर्म बदलने का दबाव डालता है तो उसे कैद और जुर्माने दोनों की सजा हो सकती है। इसमें मुजाहिद नफीस भी एक याचिकाकर्ता हैं।

कथित लव जिहाद को रोकने के लिए गुजरात सरकार ने इसी साल 1 अप्रैल को विधानसभा में यह कानून पास किया था। इसके बाद राज्यपाल की मंजूरी मिलने के बाद इसे 15 जून से लागू कर दिया गया था। इस कानून के तहत प्रदेश के कई पुलिस थानों में प्राथमिकी भी दर्ज की जा चुकी है। गुजरात धर्म की स्वतंत्रता (संशोधन) अधिनियम, 2021 में राज्य में दूसरे धर्म में विवाह के लिए धर्मांतरण पर प्रतिबंध है। लेकिन कोर्ट ने कुछ धाराओं पर रोक लगा दी है।

मामले पर सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट के सामने राज्य सरकार ने अपने धर्मांतरण विरोधी कानून का बचाव भी किया था। सरकार ने दावा किया था कि कानून सिर्फ शादी के लिए धर्मांतरण से संबंधित है। यह कानून दूसरे धर्मों में विवाह करने से नहीं रोकता है। सिर्फ गैर कानूनी धर्मांतरण के खिलाफ है। हाईकोर्ट द्वारा उठाई गईं आशंकाओं को दूर करते हुए सरकार के वकील ने कहा कि कानून में कई सुरक्षा वाल्व हैं।

इन संशोधनों का मकसद राज्‍य में ‘लव जिहाद’ की घटनाओं पर रोक लगाना बताया गया था। किसी को बहलाने-फुसलाने के लिए उसमें कुछ बातें जोड़ी गई हैं। इनके मुताबिक, ‘बेहतर लाइफस्‍टाइल, दैवीय आशीर्वाद’ के बहाने धर्म परिवर्तन के लिए उकसाना अब इस एक्‍ट के तहत दंडनीय अपराध होगा।

(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।) 

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of

guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

Related Articles