हेमंत सरकार बनाएगी खरसावां शहीद स्थल को विश्वस्तरीय पर्यटन स्थल

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झारखंड के सरायकेला-खरसावां जिले के खरसावां शहीद स्थल को विश्वस्तरीय पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जायेगा। इसकी घोषणा 1 जनवरी को खरसावां शहीद स्थल पर खरसावां के शहीदों को श्रद्धांजलि देने के बाद पत्रकारों से बातचीत करते हुए झारखंड के सीएम हेमंत सोरेन ने की। उन्होंने बताया कि इसकी पहल शुरू कर दी गयी है। इस पर लगभग सोलह करोड़ रुपये खर्च होंगे। इसमें बहुद्देशीय भवन के साथ अन्य सुविधाएं भी उपलब्ध करायी जायेंगी।

मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि आज के दिन हजारों की संख्या में यहां लोग श्रद्धांजलि देने आते हैं। इसलिए आज का दिन गौरव का दिन होने के साथ-साथ दुख का दिन भी है। आदिवासी समुदाय हमेशा से संघर्षरत रहा है और संघर्ष ही आदिवासियों की पहचान है। कोल्हान के तमाम लोग यहां लोग आते हैं, अत: राज्य सरकार ने शहीद स्थल के पर्यटकीय विकास का निर्णय लिया है। मुख्यमंत्री के साथ मंत्री चम्पई सोरेन, स्वास्थ्य मंत्री बन्ना गुप्ता, जोबा माझी, विधायक दशरथ गागराई, दीपक बिरुआ, निरल पूर्ति, सविता महतो, सुखराम उरांव, सांसद सह कांग्रेस की कार्यकारी प्रदेश अध्यक्ष गीता कोड़ा, पूर्व मुख्यमंत्री मधु कोड़ा आदि ने भी वीर शहीदों को श्रद्धांजलि अर्पित की।


वहीं केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने शहीद स्थल पर शहीदों को श्रद्धांजलि देने के बाद पत्रकारों से बात करते हुए कहा कि झारखंड के सरायकेला जिले के खरसावां के शहीद स्थल की विशेष पृष्ठभूमि रही है। यहां बड़ी संख्या में आदिवासी समुदाय के लोगों ने बलिदान दिया है। ऐसे ही देश के विभिन्न क्षेत्रों में आदिवासी समुदाय के लोगों ने कहीं देश के लिए, तो कहीं जल-जंगल-जमीन के लिए अपने प्राणों की आहुति दी है। उन्होंने कहा कि खरसावां गोलीकांड (1 जनवरी 1948) समेत देश के अलग-अलग ऐतिहासिक घटनाओं को लिपिबद्ध किया जा रहा है। उनका मंत्रालय आदिवासी बच्चों के लिए हर प्रखंड में एकलव्य विद्यालय खोलेगा। इसके साथ ही उच्च शिक्षा में स्कॉलशिप भी देगा।

केंद्रीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने कहा कि खरसावां गोलीकांड में आदिवासी रणबांकुरों ने जीवन की आहुति देकर इतिहास रचा है। पहली बार भारत सरकार ने आदिवासी गौरव दिवस मनाकर आदिवासियों के बलिदान को सम्मान दिया है। देश के आदिवासियों के स्वाभिमान, परम्परा व संस्कृति को बनाये रखने के लिए ये अभूतपूर्व कदम है। हमारा अतीत भी स्वर्णिम रहा है, उसी के आधार पर स्वर्णिम भविष्य बनाने का काम किया जायेगा। इसके लिए केंद्रीय जनजाति विभाग ने काम करना शुरू कर दिया है। उन्होंने कहा कि श्रद्धांजलि सिर्फ औपचारिकता का विषय नहीं होना चाहिए, दिल से होना चाहिए।


बताते चलें कि पूर्व मुख्यमंत्री अर्जुन मुंडा के प्रयास से ही खरसावां शहीद स्थल का जीर्णोद्धार हुआ था और उनके ही निर्देश पर वर्ष 2004 में खरसावां शहीद स्थल को एक लाख की लागत से सौन्दर्यीकरण कराया गया।


2000 में झारखंड अलग राज्य के पहले मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी के कार्यकाल में कल्याण मंत्री बनने के बाद अर्जुन मुंडा ने इस स्थल का सौन्दर्यीकरण एवं इसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित करने की घोषणा की थी। परंतु कल्याण मंत्री के कार्यकाल में वे अपनी घोषणा को अमलीजामा पहनाने में असफल रहे। मार्च 2003 में मुख्यमंत्री बनने के पश्चात पहली बार खरसावां आने पर उन्होंने खरसावां शहीद स्थल को राजकीय स्मारक के रूप में विकसित करने की घोषणा की। लेकिन केवल शहीद स्थल के सौन्दर्यीकरण के लिए लाख रूपये की स्वीकृति दी जा सकी थी।

उल्लेखनीय है कि 1947 में आजादी के बाद पूरा देश राज्यों के पुनर्गठन के दौर से गुजर रहा था। तभी अनौपचारिक तौर पर 14-15 दिसंबर को ही खरसावां व सरायकेला रियासतों का विलय ओडिशा में कर दिया गया था। औपचारिक तौर पर एक जनवरी को कार्यभार हस्तांतरण करने की तिथि मुकर्रर हुई थी। इस दौरान एक जनवरी 1948 को आदिवासी नेता जयपाल सिंह ने खरसावां व सरायकेला को ओडिशा में विलय करने के विरोध में खरसावां हाट मैदान में एक विशाल जनसभा का आह्वान किया था। कोल्हान के विक्षिन्न क्षेत्रों से जनसभा में हजारों की संख्या में लोग पहुंचे थे, परंतु किसी कारणवश जनसभा में जयपाल सिंह नहीं पहुंच सके थे। वहीं ओडिशा सरकार ने काफी संख्या में पुलिस बल की तैनाती कर दी थी। अचानक ओडिशा पुलिस ने फायरिंग शुरू कर दी जिसमें हजारों आदिवासी शहीद हो गये थे। उन्हीं की याद में उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए 1 जनवरी को काला दिवस के रूप में मनाया जाता है।

(झारखंड से वरिष्ठ पत्रकार विशद कुमार की रिपोर्ट।)

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