पिछले 10 साल में भारतीय लोकतंत्र टूट गया था अब वह फिर से खड़ा हो रहा है: राहुल गांधी

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नई दिल्ली। अमेरिका के दौरे पर गये लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी ने कहा है कि पिछले 10 साल में भारत में लोकतंत्र टूट गया था, लेकिन अब वह फिर से खड़ा हो रहा है। गांधी नेशनल प्रेस क्लब में आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में रिपोर्टरों से बात कर रहे थे।

गांधी ने कहा कि मैं आप को बता सकता हूं कि भारतीय लोकतंत्र पिछले दस सालों में टूट गया था। अब वह फिर से खड़ा हो रहा है। लेकिन यह तोड़ दिया गया था।

उन्होंने कहा कि मैंने देखा कि महाराष्ट्र की सरकार हम लोगों से छीन ली गयी। इसको हमने अपनी आंखों से देखा। मैंने देखा कि हमारे विधायकों को लाया गया और फंसा दिया गया और फिर एकाएक वे बीजेपी के विधायक बन गए। इसलिए भारतीय लोकतंत्र पर हमले हो रहे हैं। यह बहुत बुरी तरह से कमजोर हो गया है। लेकिन अब फिर से खड़ा हो रहा है। और मुझे पूरा भरोसा है कि यह खड़ा हो जाएगा।

यह पूछे जाने पर कि अगर आप चुनाव नतीजों को देखते हैं तो क्या भारत में यह लोकतंत्र के लिहाज से आपकी उम्मीद को जगाता हैं? उन्होंने कहा कि बिल्कुल, मेरा मतलब है ऐसा होने जा रहा है। लेकिन यह कहना पर्याप्त नहीं है कि भारतीय मतदाता लचीला और जानकार है। क्योंकि भारतीय मतदाताओं को सूचना एक पूरे ढांचे के सेट के साथ मिलती है। इसलिए अगर हमारे पास एक लेवल प्लेइंग फील्ड नहीं है  तो वोटर बिल्कुल लचीला और जानकार हो सकता है। लेकिन वास्तव में उसका कोई मतलब फिर नहीं होता।

उन्होंने कहा कि हम एक चुनाव अपने फ्रीज बैंक एकाउंट के साथ लड़े। मैं कोई ऐसा लोकतंत्र नहीं जानता जहां ऐसा हुआ हो। ऐसा हो सकता है कि इस तरह की चीजें सीरिया में हुई हों या फिर इराक में होता रहा हो। लेकिन हम चुनाव के दौरान बिल्कुल बैठ गए थे और अपने कोषाध्यक्ष से बात की और उन्होंने बताया कि सही बात है हमारे पास कोई पैसा नहीं है। अब आप के पास एक लचीला वोटर हो सकता है। आपको अपना अभियान चलाने के लिए फिर भी पैसा चाहिए। आपको अभी भी लोगों से बातचीत करने की जरूरत होगी। आपको उसके बाद भी सभाएं करने की जरूरत होगी।

गांधी ने कहा कि मेरे खिलाफ 20 से ज्यादा मुकदमे हैं। भारतीय इतिहास में मैं अकेला शख्स हूं जिसने मानहानि के लिए सजा पायी। हमारे यहां एक मुख्यमंत्री हैं जो इस समय जेल में हैं। एक तरह से ज़रूर कह सकते हैं कि भारतीय मतदाता बहुत चालाक है। और वह एक चट्टान की तरह खड़ा होता है। निश्चित तौर पर वह करता है। लेकिन भारतीय मतदाता को काम करने के लिए एक ढांचा चाहिए जो वहां नहीं है।

इस दौरान राहुल गांधी ने पीएम मोदी के खिलाफ अपने हमलों को जारी रखा। उन्होंने कहा कि यहां एक आधुनिक देश के एक प्रधानमंत्री हैं जो 21वीं सदी में लोगों को बता रहे हैं कि मैं भगवान से बात करता हूं। मैं दूसरों से अलग हूं। आप लोग बायोलॉजिकल लोग हैं। मैं एक गैर बायोलाजिकल शख्स हूं। मेरा ईश्वर से सीधा रिश्ता है। और हम लोगों के लिए खेल खत्म हो गया था। (चुनाव के दौरान प्रधानमंत्री के लिए)। हम जान गए कि हमने प्रधानमंत्री को हरा दिया।

गांधी ने आगे कहा कि उसके बाद उन्होंने पहली जो खूबसूरत चीज की जब उन्होंने लोकसभा में प्रवेश किया और उन्हें शपथ दिलायी जा रही थी तो उन्होंने भारत के संविधान को अपने हाथ में लिया और उसे अपने माथे से लगा लिया।

गांधी ने कहा कि यह एक अजीब किस्म का विरोधाभास था। एक तरफ वो संविधान को ध्वस्त कर रहे हैं। वह लोकतांत्रिक ढांचों पर हमला कर रहे हैं। उसके बाद भारत के लोग उन्हें उसे अपने माथे पर लगाने के लिए मजबूर कर रहे हैं।   

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