लखनऊ में किसान आंदोलन के समर्थन में अनशन पर बैठे नेता गिरफ्तार

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लखनऊ। भाकपा (माले) की केंद्रीय समिति सदस्य व अखिल भारतीय किसान महासभा के राष्ट्रीय सचिव ईश्वरी प्रसाद कुशवाहा के नेतृत्व में लगभग सवा दर्जन किसान नेता लखनऊ में हजरतगंज चौराहा स्थित अंबेडकर प्रतिमा स्थल से आज सुबह गिरफ्तार कर लिये गए।

दिल्ली सीमा पर पिछले 27 दिनों से आंदोलनरत किसान संगठनों सहित एआईकेएससीसी के देशव्यापी आह्वान पर किसान महासभा ने बुधवार को एक दिवसीय अनशन करने की घोषणा की थी। लखनऊ में अंबेडकर प्रतिमा स्थल पर अनशन पर जैसे ही किसान नेता बैठे, पुलिस ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया। बैनर की छीना-झपटी को लेकर पुलिस से संघर्ष हुआ। बाद में, पुलिस सभी को गाड़ी में बैठा कर लखनऊ के ईको गार्डेन ले गई, जहां नेताओं ने उपवास जारी रखा।

इस मौके पर कामरेड इश्वरी प्रसाद ने कहा कि यूपी में योगी राज सुपर जंगल राज में तब्दील हो गया है। उन्होंने कहा कि किसान भ्रम और किसी बहकावे में नहीं हैं। यह किसानों और गरीबों के अस्तित्व की लड़ाई है। उन्होंने कहा कि इस कानून से किसान तो तबाह होंगे ही, अनाज मंडियों (एपीएमसी) से अनाज की सरकारी खरीद धीरे-धीरे बंद हो जाने पर जन वितरण प्रणाली से सस्ती दरों पर गरीबों को राशन मिलना भी बंद हो जाएगा।

लखनऊ में कामरेड इश्वरी प्रसाद के साथ गिरफ्तार अन्य नेताओं में किसान महासभा के राष्ट्रीय कार्यकारिणी सदस्य अफरोज आलम, लखनऊ माले जिला प्रभारी रमेश सेंगर, रायबरेली जिलाध्यक्ष फूल चन्द्र मौर्य, हरदोई के किसान नेता ओमप्रकाश, मो0 कामिल खान एडवोकेट, मधुसूदन मगन, रामबाबू सिंह, सतीश राव, राम जीवन राना, राम धनी पासी, राम नरेश चौधरी, रामगोपाल, रामनरेश पासी के अलावा रायबरेली व लखनऊ के कार्यकर्ता शामिल हैं।

इलाहाबाद में किसान आंदोलन के समर्थन में बालसन चौराहे के निकट गांधी प्रतिमा पर किसान एकजुटता मंच के बैनर तले उपवास पर बैठे नेताओं को भी पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया। वहां गिरफ्तार किये गये व्यक्तियों में माले राज्य समिति सदस्य व इंकलाबी नौजवान सभा (इंनौस) के प्रदेश सचिव सुनील मौर्य, वाम दलों के नेता अखिल विकल्प, नसीम अंसारी, आंनद मालवीय, आइसा के विवेक व अन्य शामिल हैं।

मिर्जापुर में किसान-विरोधी कानूनों के खिलाफ व फसलों के न्यूनतम समर्थन मूल्य पर सरकारी खरीद की गारंटी की मांग को लेकर अखिल भारतीय किसान महासभा और भाकपा (माले) के कार्यकर्ताओं ने एक दिन का भोजन त्याग कर सुबह 10 बजे से कैलहट बाजार में धरना दिया। धरने में जिलाध्यक्ष ओमप्रकाश पटेल, जिला सचिव भक्त प्रकाश श्रीवास्तव, वरिष्ठ किसान नेता भानू प्रताप सिंह, अमरेश पटेल, शमशेर सिंह, चंद्रशेखर सिंह, अखिलेश्वर सिंह, राजकुमार पटेल, मो. रियाज, विजय भारती, कृपा सिंह, मो. हामिद, मीना देवी, पुष्पा देवी आदि ने भाग लिया।

इसके अलावा, आजमगढ़, गोरखपुर, गाजीपुर, वाराणसी, बलिया, चंदौली, सोनभद्र, जौनपुर, गोंडा, मथुरा, सीतापुर आदि जिलों में भी धरना-उपवास के कार्यक्रम हुए।

राजधानी लखनऊ में ही एक अन्य कार्यक्रम में साहित्यकारों व रंगकर्मियों ने कैसरबाग स्थित इप्टा कार्यालय प्रांगण में किसान आंदोलन के समर्थन में दो घंटे का सामूहिक उपवास किया। इसमें समकालीन जनमत के संपादक व माले के पोलित ब्यूरो सदस्य रामजी राय, लखनऊ विवि की पूर्व कुलपति डा. रूपरेखा वर्मा, इप्टा के राकेश, जन संस्कृति मंच के कौशल किशोर व विमल किशोर, जलेस से कवि नलिन रंजन सहित अन्य कई लेखक, कवि व विचारक शामिल थे।

किसान विरोधी कानूनों की वापसी, एमएसपी पर कानून बनाने, विद्युत संशोधन विधेयक रद्द करने की मांगों पर जारी किसानों के आंदोलन के द्वारा राष्ट्रव्यापी उपवास की अपील पर आज आल इंडिया पीपुल्स फ्रंट और मजदूर किसान मंच के कार्यकर्ताओं ने अन्न त्याग किया। यह जानकारी एआईपीएफ के राष्ट्रीय प्रवक्ता एस. आर. दारापुरी व मजदूर किसान मंच के महासचिव डा. बृज बिहारी ने अपनी प्रेस विज्ञप्ति में दी। आज के कार्यक्रमों में लिए संकल्प प्रस्ताव में कहा गया कि अम्बानी-अडानी की सेवा में लगी मोदी सरकार और आरएसएस देश हित में उठाई जा रही किसानों की मांगों को स्वीकार करने की जगह जनता को गुमराह कर रहे है।

सच तो ये है कि प्रधानमंत्री मोदी और उनके मंत्री व नेता यदि न्यूनतम समर्थन मूल्य देने के प्रति ईमानदार है तो वे क्यों नहीं इसके लिए कानून बनाने की पहल करते, जो किसानों की प्रमुख मांग है। ये भी सच है कि सरकार खुद किसानों से वार्ता न करने का राजहठ ठानी हुई है और किसानों पर वार्ता न करने का आरोप लगा रही है। दरअसल सरकार की मंशा किसान आंदोलन के दमन की है। लेकिन उसे यह याद रखना होगा कि शांतिपूर्ण लोकतांत्रिक ढ़ग से चल रहा किसान आंदोलन अब देश का जनांदोलन बन गया है और इसके दमन के किसी भी दुस्साहसिक कदम से उसको भारी नुकसान उठाना पड़ेगा।

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