Saturday, April 27, 2024

पतन के नये दौर में पहुंची मोदी सरकार, किसान आंदोलन से निपटने के लिए लगाया एनआईए को मोर्चे पर

केंद्र सरकार ने किसान आंदोलन से जुड़े लोगों के खिलाफ़ राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) को लगा दिया है, और एनआईए काम पर लग भी गई है। जाहिर है सरकार का मकसद एक तरफ किसान आंदोलन को बदनाम करके जनसमुदाय का आंदोलन को मिल रहा समर्थन खत्म करना है और दूसरी ओर किसान यूनियन के नेता, पत्रकार और कलाकारों को परेशान करके आंदोलन को कमजोर करना है।

इस बाबत पंजाब के कैबिनेट मंत्री सुखजिंदर सिंह रंधावा ने केंद्र सरकार को आड़े हाथों लेते हुए कहा, “एनआईए द्वारा नोटिस दिल्ली की सीमाओं पर किसानों के आंदोलन को कमजोर करने के लिए भाजपा सरकार द्वारा एक कुटिल चाल का हिस्सा है।” रंधावा ने कहा कि जो किसान पूरे देश को अपने खून, पसीने से सींचता है, उसे ऐसे धमकी से झुकाया नहीं जा सकता। यह नई दिल्ली में सत्तारूढ़ सरकार के लिए बहुत महंगा साबित होगा।

उन्होंने कहा, “एनडीए सरकार के पिछले साढ़े छह साल के कार्यकाल में यह पहली बार नहीं है कि राजनीतिक उद्देश्यों के लिए उनकी एजेंसियों का दुरुपयोग किया गया है। संवैधानिक संस्थानों और स्वतंत्र सरकारी एजेंसियों का संकीर्ण राजनीतिक लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है। भाजपा अपने विरोधियों को डराने के लिए हथकंडे अपनाती है और अब यह नया शैतानी कदम उनके लिए एक आपदा साबित होगा।”

बता दें कि राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने आतंकी फंडिंग से जुड़े मामले में किसान संगठन के नेता बलदेव सिंह सिरसा को भी पूछताछ के लिए बुलाया है। लोक भलाई इंसाफ वेलफेयर सोसायटी (एलबीआईडब्ल्यूएस) के अध्यक्ष सिरसा का संगठन उन किसान संगठनों में शामिल है, जो केंद्र के साथ बातचीत में शामिल है। सिरसा ने अपने सोशल मीडिया पर नोटिस को शेयर करते हुए लिखा है कि उनको 17 जनवरी को पूछताछ के लिए एजेंसी के सामने पेश होना है।

बलदेव सिंह सिरसा के अलावा सुरेंद्र सिंह, पलविंदर सिंह, प्रदीप सिंह, नोबेलजीत सिंह और करनैल सिंह को भी 17 और 18 जनवरी को एजेंसी के सामने पेश होने को कहा गया है। बता दें कि एनआईए ने 15 दिसंबर 2020 को आईपीसी की कई धाराओं सहित गैरकानूनी गतिविधियां (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) के तहत एक मामला दर्ज किया था।

एनआईए ने किसान आंदोलन से जुड़े लगभग 40 लोगों को नोटिस भेज कर पूछताछ के लिए बुलाया है। पंजाबी एक्टर दीप सिद्धू को रविवार को एनआईए ने इस मामले में पूछताछ के सिलसिले में नई दिल्ली स्थित अपने मुख्यालय में 17 जनवरी को पेश होने के लिए कहा है।

पुलिस इंस्पेक्टर धीरज कुमार ने एक पत्र में कहा है, “यह प्रतीत होता है कि आप (दीप सिद्धू) नीचे दिए गए मामले के तथ्यों और परिस्थितियों से परिचित हैं, जिसकी मैं जांच कर रहा हूं। आपको मामले से संबंधित कुछ सवालों के जवाब देने के लिए 17 जनवरी को सुबह 10:00 बजे राष्ट्रीय जांच एजेंसी, सीजीओ कॉम्प्लेक्स, लोधी रोड, नई दिल्ली में पेश होना होगा।”

पंजाब के 12 पत्रकार भी एनआईए के निशाने पर
किसान मोर्चे की विज्ञप्ति के अनुसार, किसान आंदोलन को कवर कर रहे पंजाब के 12 पत्रकारों को भी राष्ट्रीय जांच एजेंसी ने नोटिस भेजा है। नोटिस में उन सबसे पूछताछ करने के लिए दिल्ली बुलाया गया है।इनमें पत्रकार बलतेज पन्नू (पटियाला), जसवीर सिंह (श्री मुक्तसर साहिब), मनदीप सिंह सिद्धू (दीप सिद्धू के भाई), परमजीत सिंह अकाली (अमृतसर), नोबलजीत सिंह (होशियारपुर), जंग सिंह (लुधियाना), प्रदीप सिंह (लुधियाना), सुरिंदर सिंह ठिक्रीवाला (बरनाला), पलविंदर सिंह (अमरकोट), न्यायाधीश इंद्रपाल सिंह (लुधियाना), रणजीत सिंह दमदमी मिंट (अमृतसर) और करनैल सिंह दसूहा (होशियारपुर) का नाम शामिल है।

गौरतलब है कि कॉरपोरेट मीडिया जहां किसान आंदोलन की छवि खराब करके कृषि कानूनों के समर्थन में सरकार के पक्ष में माहौल बनाने में लगी हुई है, वहीं कमतर संसाधन और पूंजी के अभाव वाले डिजिटल मीडिया लगातार किसान आंदोलन की सफलता और संघर्ष की कहानियां और ख़बरें आम जन तक पहुंचा रहे हैं। जाहिर है सरकार अपने मंसूबों को नाकामयाब करने वाले डिजिटल मीडिया और लघु पत्र-पत्रिकाओं के पत्रकारों को सबक सिखाने के लिए एनआईए को इनके पीछे छोड़ दिया है।

(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)

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