आदिम दौर के तमाम नियम आज भी बदस्तूर जारी हैं। जगह-जगह लोगों को बंधुआ मजदूर या गुलाम बनाकर रखा जा रहा है और उनसे जबरन काम के साथ ही अमानवीय व्यवहार भी किया जा रहा है। ताजा मामला मध्य प्रदेश के गुना का है। यहां एक युगल ने मजबूरी में 20 हजार रुपये कर्ज क्या लिया कि बदले में उन्हें गुलाम बना लिया गया। 15 महीने की गुलामी के बाद कर्ज घटने के बजाये बढ़कर 50 हजार हो गया। किसी तरह से युगल एक एनजीओ से संपर्क साधने में कामयाब रहा और उन्हें आजादी नसीब हुई। अब उनके सामने पुनर्वास एक बड़ी चुनौती है।
मध्य प्रदेश के गुना जिले में कृषि क्षेत्र में बंधुआ मजदूर के रूप में कार्यरत एक युगल को बंधुआ मजदूरी से मुक्त करवाकर 7 अक्टूबर, 2020 को एसडीएम गुना के समक्ष पेश किया गया था। एसडीएम गुना ने युगल मजदूरों के बयान दर्ज किए।
एसडीएम गुना के सामने दर्ज बयान के मुताबिक युगल पिछले 15 माह से कश्मीरा सरदार के घर पर बंधुआ मजदूरी कर रहा था। कश्मीरा सरदार इस युगल जोड़ी से जबरदस्ती खेती और पशुओं का रखरखाव आदि काम करवाता था।
कश्मीरा सरदार ने युगल को 15 माह पूर्व 20 हजार रुपये का कर्ज दिया था। इस कर्ज को पाटने के लिए युगल दिन रात कश्मीरा सरदार की गुलामी करते थे, किंतु 15 माह बीत जाने के बाद युगल का कर्ज 20 हजार से बढ़कर पचास हजार हो गया और आगे भी उन्हें काम करने के लिए मजबूर किया जा रहा था। इस परिस्थिति में युगल ने बंधुआ मुक्ति मोर्चा संगठन का दरवाजा खटखटाया। बंधुआ मुक्ति मोर्चा के जिला संयोजक नरेंद्र भदौरिया ने युगल को एसडीएम गुना के समक्ष पेश किया और शिकायत पत्र प्रस्तुत किया।
एसडीएम ने युगल का बयान बंधुआ मजदूरी प्रथा उन्मूलन अधिनियम 1976 के तहत दर्ज कर लिया और मजदूरों को अस्थाई रूप से आश्रय प्रदान किया गया है।
9 अक्टूबर 2020 को एसडीएम प्रशासन की ओर से युगल को मुक्ति प्रमाण पत्र जारी किया गया और मुक्त बंधुआ मजदूरों को उनके पैतृक गांव में पहुंचाने के लिए प्रशासन की टीम सक्रिय रूप से कार्यरत है। साथ ही एक्शन एड की ओर से मुक्त बंधुआ मजदूरों को लगभग दो माह का राशन उपलब्ध करवाया गया है। मुक्त मजदूरों के पास किसी प्रकार का कोई भी दस्तावेज न होने के कारण उनका खाता गुना के किसी भी बैंक में नहीं खुल रहा है।
बंधुआ मुक्ति मोर्चा ने गुना प्रशासन से निवेदन किया है कि मुक्त बंधुआ मजदूरों का बैंक में खाता खुलवाकर उन्हें तत्काल सहायता राशि प्रदान की जाए। साथ ही संगठन ने बताया कि बंधुआ मजदूरी प्रथा उन्मूलन अधिनियम 1976 की धारा 16,17 के तहत मालिक के खिलाफ मुकदमा दर्ज होना चाहिए और बंधुआ मजदूरों के पुनर्वास की योजना 2016 के तहत मुक्त प्रति बंधुआ मजदूरों को 20 हजार रुपये की राशि तत्काल सहायता के रूप में उक्त दोनों बंधुआ मजदूरों को कुल 40 हजार रुपये प्रशासन की तरफ से दिए जाने चाहिए।
इसी क्रम में आर्थिक पुनर्वास के रूप में मुक्त महिला बंधुआ मजदूर को 20 हजार और मुक्त पुरुष बंधुआ मजदूर दस हजार पुनर्वास की राशि के हकदार हैं। साथ ही इन दोनों मजदूरों को खेती करने के लिए लगभग पांच एकड़ जमीन, राशन कार्ड, मनरेगा के तहत जॉब कार्ड और स्वास्थ्य की सुविधा तत्काल मुवैया करवानी चाहिए।
यदि प्रशासन की ओर से समय पर इन मुक्त बंधुआ मजदूरों को पुनर्वास की सुविधा मुहैया नहीं करवाई गई तो आने वाले कुछ दिनों में यह मुक्त बंधुआ मजदूर किसी अन्य खेत में या किसी निर्माण क्षेत्र में पुनः से दोहरे बंधुआ मजदूर के रूप में काम करते हुए पाए जाएंगे।
आजादी की जंग जीतने के बाद मजदूरों के सामने पुनर्वास एक चुनौती है। यदि प्रशासन ने पुनर्वास के लिए पहल शुरू की तो बंधुआ मजदूरों के जीवन में परिवर्तन आएगा और वह समाज की मुख्यधारा से जुड़ पाएंगे।
(जनचौक के विशेष संवाददाता सुशील मानव की रिपोर्ट।)