Sunday, April 28, 2024

राष्ट्रीय मतदाता दिवस: लोकतंत्र को भाता, जागरूक मतदाता

25 जनवरी यानी राष्ट्रीय मतदाता दिवस को भारत के मतदाताओं को लोकतंत्र में विश्वास रखते हुए यह प्रण अवश्य  करना चाहिए कि वे देश में स्वतंत्र, निष्पक्ष और शांतिपूर्ण चुनाव कराने और लोकतंत्र तथा लोकतांत्रिक मूल्यों को बचाने के लिए जागरूक बनेंगे और अपने वोट का इस्तेमाल बहुत सोच-समझ कर करेंगे।

युवा मतदाताओं को राजनीतिक प्रक्रिया में भाग लेने हेतु प्रोत्साहित करने के लिए भारत सरकार ने हर साल 25 जनवरी को ”राष्ट्रीय मतदाता दिवस”  के रूप में मनाने का निर्णय लिया है। बता दें कि भारत निर्वाचन आयोग के स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में 25 जनवरी 2011 से इसकी शुरूआत की गई।

इस दिन भारत के प्रत्येक नागरिक को अपने राष्ट्र के प्रत्येक चुनाव में भागीदारी की शपथ लेनी चाहिए। भारत के प्रत्येक नागरिक का वोट ही देश के भविष्य की नींव रखता है। हर व्यक्ति का वोट राष्ट्र  के निर्माण में भागीदार बनता है। इसलिए धर्म, नस्ल्, जाति, समुदाय, संप्रदाय, भाषा, क्षेत्र आदि से प्रभावित हुए बिना निष्पक्ष और निर्भीक रूप से अपना मतदान करना चाहिए।

क्या है राष्ट्रीय मतदाता दिवस 2024 की थीम?

इस वर्ष की थीम है ‘हर वोट को गिनना कोई भी पीछे छूटे न’। यह विषय समावेशी और सुलभ चुनावों के महत्व पर जोर देता है। यह सुनिश्चित करता है कि प्रत्येक मतदाता को अपने मताधिकार का उपयोग करने का अवसर अवश्य मिले। यह मतादाताओं और चुनावी प्रक्रिया के बीच अंतर को पाटने, देश के हर कोने तक भारतीय निर्वाचन आयोग को पहुंचने की प्रतिबद्धता को रेखांकित करता है।

क्या है राष्ट्रीय मतदाता दिवस के उद्देश्य?

इसका प्रमुख उद्देश्य देश के मतदाताओं को जागरूक करना है। खास तौर से उन युवाओं के लिए जो पहली बार मतदान करने वाले हैं उन्हें बताना कि किस तरह मतदान किया जाता है, मतदाताओं का पंजीकरण की प्रक्रियाओं की जानकारी देना। मतदान के महत्व‍ को बताना। मतदाता सूची में अपना नाम चेक करना, मतदान केंद्र पर जाकर मतदान करना आदि के बारे में जागरूक करना है। इसके लिए निर्वाचन आयोग टीवी, रेडियो, समाचापत्रों और सोशल मीडिया के माध्यम से जागरूकता फैलाता है।

इसका उद्देश्य समावेशी राजनीति को भी बढ़ावा देना है। यह जाति, धर्म, लिंग, भाषा, क्षेत्र, आर्थिक स्थिति की परवाह किये बिना सभी को वोट डालने का समान अधिकार है। इसके लिए मतदाताओं को प्रोत्साहित करता है। लोकतंत्र में मतदान एक पर्व की तरह है और इस भारत पर्व को मतदाताओं को बहुत ही सूझ-बूझ और हर्षोल्लास से मनाना चाहिए।

इस दिन का उद्देश्य लोकतांत्रिक मूल्‍यों को प्रोत्साहित करना भी है। देश के सभी पात्र नागरिक अपना वोट देकर अपनी सरकार चुनते हैं। इसलिए बिना किसी भी प्रकार के भेदभाव के देश के हर नागरिक के वोट का मूल्य समान होता है। लोकतांत्रिक मूल्यों को बचाने के लिए मतदान अवश्य करना चाहिए। देश के हर पात्र नागरिक को मतदान करने की शपथ लेनी चाहिए।

भारत निर्वाचन आयोग मतदाताओं को जागरूक करने के लिए जागरूकता अभियान चलाए जिससे हर मतदाता मतदान के महत्व को समझे और सर्वोत्तम उम्मीदवार के लिए अपना वोट करे।

चुनाव आयोग का यह भी कर्तव्य है कि वह सभी नागरिकों को जो मतदान के योग्य हैं उनको मतदान केंद्र तक लाने का प्रबंध करे। ऐसे में विक्लांग मतदाताओं को मतदान केंद्र तक लाने के विशेष प्रबंध किये जाने चाहिए।

जो युवा पहली बार वोट डालने के योग्य हुए हैं उन्हें मतदान के लिए प्रोत्साहित करने की पहल चुनाव आयोग को करनी चाहिए।

आजकल सोशल मीडिया का जमाना है तो मतदाताओं को जागरूक और प्रोत्सा्हित करने के लिए सोशल मीडिया मंच का उपयोग किया जाना चाहिए।

हालांकि चुनाव आयोग ने कुछ अच्छी  थीम भी रखी हैं पर इनका प्रचार-प्रसार देश के कोने-कोने तक नहीं हो पाता और इस तरह आयोग का उद्देश्‍य पूरा नहीं हो पाता। थीम सुनने में अच्छी लगती हैं जैसे ‘युवा और भविष्यों के मतदाताओं को सशक्त बनाना’, ‘कोई भी मतदाता पीछे न छूटे’, ‘मजबूत लोकतंत्र के लिए चुनावी साक्षरता’, ‘चुनावों को समावेशी, सुलभ और सहभागी बनाना’ और ‘नथिंग लाईक वोटिंग, आई वोट फॉर श्योर’ आदि।

मतदाताओं को प्रलोभन से बचना जरूरी

आज की राजनीति मर्यादाओं की सारी सीमाएं लांघ चुकी है। इसलिए लोग इसे ‘डर्टी पोलिटिक्स’ भी कहने लगे हैं। आज राजनीति तिजारत हो गई है। इसलिए अधिकांश लोग जनहित के लिए नहीं बल्कि स्वहित के लिए राजनेता बनते हैं। इसमें ‘इन्वेसस्ट’ करते हैं और फिर करोड़ों का लाभ कमाने की चाह रखते हैं। अत: ऐसे लोगों का लक्ष्य ऐन-केन-प्रकारेण सत्ता हथियाना रह गया है। इसके लिए ये मतदाताओं को तरह-तरह के प्रलोभन देते हैं। मुफ्त की रेवडि़यां बांटते हैं। मतदाताओं के जागरूक न होने के कारण उनका वोट ‘दारू की बोतल और मुर्गा’ देकर भी खरीद लेते हैं। जो लोग अपना धन खर्च करके आपका वोट खरीदते हैं उनके सत्ता में आने पर आप उनसे जनकल्याण जनहित की उम्मीद कैसे कर सकते हैं।

राजनीति का बिजनेस करने वाले नेता मतदाताओं को लुभाने में माहिर होते हैं। वे लोक लुभावन वादे करते हैं। तरह-तरह के जुमले उछालते हैं। वे अभिनय में भी एक्सपर्ट होते हैं। अपनी बातों और अभिनय से मतदाताओं को इस तरह प्रभावित कर देते हैं कि मतदाताओं को उनमें जननायक की छवि दिखने लगती है। और मतदाता अपना कीमती वोट उनकी झोली में डाल देते हैं।

सत्ता हथियाने के लिए स्वहितकारी नेता साम-दाम-दंड-भेद सारे हथकंडे अपनाते हैं। वे जाति और संप्रदाय के नाम पर वोट मांगते हैं। धर्म, लिंग, भाषा और क्षेत्रीयता के नाम पर वोट मांगते हैं। अपने प्रतिद्विंदी नेता या राजनीतिक दल की कमियां बता कर उन पर तरह-तरह के आरोप लगाकर वोट मांगते हैं। वे लोगों की धार्मिक आस्था को भी भुनाने में माहिर होते हैं। वे भगवान, देवी-देवताओं, राम और मंदिर के नाम पर वोट मांगते हैं। वे मतदाताओं को पांच किलो मुफ्त अनाज देकर भी उनका वोट हथिया लेते हैं। वे हिंदू-मुसलमानों के प्रति नफरत फैला कर जन भावनाओं के आहत होने के नाम पर मतदाताओं को भावुक कर वोट मांगते हैं। इसके लिए हिंदू-मुस्लिम दंगा तक करवा देते हैं। और मतदाताओं की भावनाओं को भड़का कर अपना उल्लूं सीधा करते हैं।

लोकतंत्र को भाता जागरूक मतदाता

एक बार यदि इनके हाथ में सत्ता आ जाए तो फिर ये खुद को राजा समझने लगते हैं और जनता को दासी। फिर ये अपनी मनमानी करने लगते हैं। अपनी सोच और भावनाओं को जनता पर थोपने लगते हैं। करते अपने मन की हैं और इसे ‘जनता चाहती है’ बता देते हैं।

जनता यानी मतदाता अपना वोट ऐसे राजनीतिक चुनने के लिए करता है जो उसके कल्याण के लिए काम करे। उसकी बुनियादी समस्याओं को हल करने का काम करे। महंगाई को नियंत्रित करे। बेरोजगारी को ख़त्म करे। सस्ती और अच्छी शिक्षा का प्रावधान करे। जन-स्वास्थ्य के लिए सस्ते और अच्छे अस्पताल, स्वास्थ्य  केंद्र मुहैया कराए।

पर नेता इन बुनियादी मुद्दों के लिए काम न करके मतदाताओं का ध्यान भटकाने के लिए आतंकवाद, मंदिर-मस्जिद को मुद्दा बना देते हैं। सिटिजन एमेंडमेंट एक्टर (सीएए), नेशनल रेजिस्टर ऑफ सिटिजन (एनआरसी) और यूनीफॉर्म सिविल कोड (यूसीसी) को मुद्दा बना देते हैं।

यहां मतदाता को अपने विवेक से काम लेने की जरूरत होती है। उसे यह पहचान करनी होती है कि कौन नेता या रानजीतिक दल उनके बुनियादी मुद्दे उठा रहा है और कौन केवल उनका वोट लेने के लिए लोक लुभावन भाषण दे रहा है। यही क्षीर-नीर विवेक मतदाता में होना चाहिए। उसे बहुत सोच-समझकर निर्णय लेना चाहिए। इसके लिए जरूरी है कि उसे अपने मताधिकार का सही उपयोग करने के लिए जागरूक होना चाहिए। यही हमारा लोकतंत्र हम से उम्मीद करता है। क्योंकि जागरूक मतदाता ही लोकतंत्र को सशक्त करते हैं। इसी वर्ष यानी 2024 में आम चुनाव हैं। इसलिए निष्पक्ष रहिए, सतर्क रहिए और समझदारी से अपने मत का इस्तेमाल कीजिए। यही राष्ट्रीय मतदाता दिवस की सार्थकता है।

(राज वाल्मीकि स्वतंत्र पत्रकार एवं सामाजिक कार्यकर्ता हैं।)

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