Saturday, April 20, 2024

गुलामी का दस्तावेज हैं नए लेबर कोड

(सरकार श्रम सुधारों के नाम पर मजदूरों के सारे अधिकारों को खत्म कर देना चाहती है। उसी सिलसिले में उसने नया लेबर कोड बनाया है। हालांकि लोगों के दबाव के चलते उसने तात्कालिक तौर पर इसे लागू करने से पीछे हट गयी है। लेकिन सरकार कारपोरेट के हितों को पूरा करने के लिए सब कुछ बलिदान कर देने के जिस रास्ते पर चल रही है उसमें आने वाले दिनों में इसका लागू होना तय है। शायद इन्हीं स्थितियों को देखते हुए मजदूर भी चौकस हैं और इसके खिलाफ उन्होंने अपने अभियान को तेज कर दिया है। इसी सिलसिले में वर्कर्स फ्रंट समेत तमाम संगठनों ने एक अपील जारी की है। पेश है उनकी पूरी अपील-संपादक)

कारपोरेट हितों के लिए मजदूरों का गला घोट रही मोदी सरकार
‘भाजपा हटाओ-देश बचाओ-जिदंगी बचाओ’ अभियान
मित्रों,
       आप जानते हैं कि मोदी सरकार ने देशी विदेशी कारपोरेट घरानों के हितों में लम्बे संघर्षों से हासिल 29 लेबर कानूनों को खत्म कर चार लेबर कोड बनाने का काम किया है। जिन कानूनों को खत्म किया है उनमें से कई बाबा साहब अम्बेडकर ने मजदूरों के हितों में बनाए थे। इन लेबर कोडों के बनने से हमारे मजदूरों की जिदंगी में क्या होंगे बदलाव आइए देखें-
1. अपने खून से अपने झण्डे को लाल करके हासिल काम के घंटे 8 को खत्म कर सरकार ने 12 कर दिए हैं। कई कामों जैसे अनवरत चलने वाले कामों में तो 12 घंटे से भी ज्यादा काम लिया जा सकता है। इससे 33 प्रतिशत मजदूरों की छंटनी तय होगी।
2. हर मजदूर व कर्मचारी की टेक होम सैलरी यानी घर ले जाने वाला वेतन कम होगा।
3. लेबर कोड में फिक्स टर्म इम्पलाइमेंट लाया गया है मतलब अब कुछ समय के लिए मालिक आपको रखेंगे और जब चाहे बिना छंटनी लाभ दिए काम से निकाल देंगे।
4. 50 से कम मजदूर रखने वाले ठेकेदार को अब लेबर आफिस में पंजीकरण कराने से छूट दे दी गई यानि उसे लेबर कानूनों को लागू करने से पूरी मुक्ति मिल गई।
5. 50 से कम मजदूर वाले उद्योग बिना एक माह का नोटिस दिए आपको काम से निकाल बाहर करेंगे।
6. 300 से कम मजदूरों वाली कम्पनी को छंटनी करने से पहले सरकार की अनुमति नहीं लेनी होगी।
7. घरों में काम करने वाले मजदूर औद्योगिक विवाद में दावा नहीं कर सकेंगे उन्हें इससे बाहर कर दिया।
8. ग्रेच्युटी जरूर एक साल में देने की बात है लेकिन अब कोई ठेकेदार आपको एक साल से ज्यादा काम पर नहीं रखेगा। जैसे अनपरा में होता है ठेकेदार बदलते हैं मजदूरों को पूरी जिदंगी काम करने के बाद भी ग्रेच्युटी नहीं मिलती है।
9. लेबर कोड में ठेकेदार को भी मालिक बनाया गया है परिणामस्वरूप आपके जीवन, सामाजिक व आर्थिक सुरक्षा से मुख्य मालिक को बरी कर दिया गया है।
10. ईपीएफ का अंशदान 12.5 प्रतिशत से कम कर 10 प्रतिशत किया गया है जो आपकी बचत में कटौती है। इस बचत को भी सरकार शेयर बाजार में लगा सकती है। इतना ही नहीं महामारी में भी ईपीएफ व ईएसआई बंद करने का सरकार को अधिकार मिल गया है।
11. इंटरनेट पर काम करने वाले गिग व प्लेटफार्म मजदूरों को कोई सुविधा नहीं दी गई है। इसी प्रकार आंगनबाड़ी, आशा, मिड डे मील रसोईया, पंचायत मित्र, शिक्षा मित्र जैसे स्कीम वर्कर्स को मजदूर नहीं माना उन्हें न्यूनतम मजदूरी से भी बाहर कर दिया।
12. वेतन की परिभाषा से बोनस हटा दिया गया है यानी अब बोनस न देने पर आप मुकदमा भी नहीं कर पायेंगे और कम्पनी के लाभ के लिए बैलेंस शीट देखने का अधिकार छीन लिया है।
13. ठेका मजदूरों के परमानेंट होने की जो थोड़ी बहुत सम्भावना पुराने कानून में थी उसे भी खत्म कर दिया गया है।
14. ट्रेड यूनियन के गठन को बेहद कठिन बना दिया है। श्रमिकों की मदद करने वाले वकील या सामाजिक कार्यकर्ता अब ट्रेड यूनियनों के सदस्य नहीं रहेंगे।
15. हड़ताल करना असम्भव कर दिया अब हड़ताल करने के लिए दो माह पूर्व नोटिस देनी होगी। यही नहीं हड़ताल के लिए कहना या अपील करना गुनाह हो गया। इस पर जेल और जुर्माना दोनों होगा।
16. लाकडाउन से बर्बादी की हालत में पहुच गए प्रवासी मजदूरों पर गहरा हमला किया गया है। अब 180 दिन काम करने पर ही उन्हें मालिक द्वारा आने जाने का किराया मिलेगा।
यही नहीं अबकी बार के बजट में तो मोदी सरकार ने बिजली, रेल, तेल, हवाई जहाज, स्टेडियम, बंदरगाह, स्टील सब कुछ बेच देने का फैसला किया है। देश की सार्वजनिक सम्पत्ति व प्राकृतिक सम्पदा को बेचने और गुलामी की कोशिशों को आइए परास्त करें जहां हैं वहीं से धरना, प्रदर्शन, ट्विटर, वाट्सअप, फेसबुक से इन लेबर कोड का विरोध करें।

निवेदक
दिनकर कपूर, अध्यक्ष, वर्कर्स फ्रंट, कृपा शंकर पनिका, अध्यक्ष, ठेका मजदूर यूनियन, तेजधारी गुप्ता, मंत्री, ठेका मजदूर यूनियन, नौशाद, पूर्व सभासद, विशिष्ट सदस्य ठेका मजदूर यूनियन, मोहन प्रसाद, संयुक्त मंत्री, ठेका मजदूर यूनियन, सोनभद्र, तीरथ राज यादव, उपाध्यक्ष, गोविंद प्रजापति, मसीदुल्लाह अंसारी, विनोद यादव, अशोक भारती, अजय मिश्रा एवं समस्त मजदूर गण की तरफ दिनांक 6 अप्रैल, 2021 को जारी।

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