झारखंड। सरायकेला खरसावां जिला के राजनगर थाना क्षेत्र के ऊपरशिला गांव निवासी सीआरपीएफ (CRPF) जवान बादल मुर्मू विगत 6 जनवरी से चाईबासा कैंप से ड्यूटी से लापता हैं। करीब दो महीने बाद भी उनका कोई सुराग नहीं मिल पाया है। बादल मुर्मू सीआरपीएफ की 197 बटालियन में तैनात हैं।
खबरों के मुताबिक डिपार्टमेंट ने लापता जवान को भगोड़ा घोषित करते हुए मुफ्फसिल थाना में गुमशुदगी का मामला दर्ज करा दिया है। साथ ही जवान को ढूंढने की जिम्मेदारी पुलिस पर थोप कर अपना पल्ला झाड़ लिया है। जवान के परिजन चाईबासा एसपी, डीआईजी, आईजी और डीजी तक को बादल मुर्मू के लापता होने की लिखित जानकारी देकर उसको ढूंढ निकालने की गुहार लगा चुके हैं।
परिवार के लोगों का कहना है कि करीब दो महीने होने को है, लेकिन पुलिस बादल मुर्मू का पता नहीं लगा पाई है। यही कारण है कि लापता बादल मुर्मू के परिजन पश्चिम सिंहभूम चाईबासा एसपी कार्यालय के समीप सांकेतिक धरना पर बैठ गए हैं।
परिजन मांग कर रहे हैं कि जल्द से जल्द सीआरपीएफ जवान को खोज निकाला जाए। उच्च अधिकारियों द्वारा सीआरपीएफ जवान के परिजनों को परेशान करना बंद किया जाए और इस मामले की सीबीआई जांच हो।
लापता सीआरपीएफ जवान बादल मुर्मू की पत्नी झानो मुर्मू का रो-रो कर बुरा हाल हो गया है। पिता की आंखे अभी भी अपने छोटे बेटे की वापसी की आस लगाए हैं। बड़ा भाई जो बीएसएफ का जवान है और गुजरात में तैनात है, वो भी अपने छोटे भाई की गुमशुदगी की खबर सुनकर घर लौट आया है।
लापता जवान का बड़ा भाई करीब दो महीने से कभी सीआरपीएफ कैम्प तो कभी एसपी ऑफिस तो कभी कोल्हान डीआईजी के ऑफिस के चक्कर काट रहा है। लेकिन कोई भी इस मामले में स्पष्ट जवाब नहीं दे रहा है।
यहां तक कि इस मामले की जानकारी मुख्यमंत्री तक को पत्र के माध्यम से दी गई है। लेकिन अब तक ना तो सरकार, ना विभाग, इस मामले में गंभीर दिख रहा है। परिजनों ने बताया कि अधिकारियों द्वारा परिवार के सदस्यों को गुमराह भी किया जा रहा है।
बादल मुर्मू को कभी लापता बताया जा रहा है। कभी उसे भगोड़ा कहा जा रहा है। यहां तक कि छह महीने में पेंशन भी जारी करने का पत्र भी भेजा गया है। जो परिजनों की समझ से परे है कि आखिर अधिकारियों के द्वारा ऐसा क्यों किया जा रहा है?
सीआरपीएफ जवान बादल मुर्मू कहां है? क्या कहीं फिर किसी गोपनीय मिशन पर भेजा गया है, या नक्सलियों द्वारा उसे बंधक बनाया गया है? कुछ भी साफ साफ नहीं बताया जा रहा है। इसलिए परिजनों ने पूरे मामले की सीबीआई जांच की मांग की है, ताकि उन्हें साफ जवाब और न्याय मिल सके।
परिजनों ने बताया कि सीआरपीएफ जवान बादल मुर्मू 2011 से देश को सेवा दे रहे हैं। कई बार नक्सलियों के साथ मुठभेड़ भी हुई है। 2016 में जब छत्तीसगढ़ में पोस्टिंग थी उस वक्त नक्सलियों के साथ मुठभेड़ में जख्मी भी हुए थे और इस बहादुरी के लिए राष्ट्रपति से सम्मानित भी किये जा चुके हैं।
इसके बाद चाईबासा सीआरपीएफ कैम्प में गोपनीय बल के रूप में सेवा दे रहे थे। लेकिन 6 जनवरी 2023 को मकर पर्व के लिए छुट्टी लेकर घर आने वाले थे। लेकिन किसी सीक्रेट मिशन के कारण नहीं लौटे और आज तक उनका कोई पता नहीं चल पाया।
ऐसे में सवाल यह भी उठाता है कि –
- केंद्र या राज्य सरकार देश की जवानों के प्रति गंभीर क्यों नही है? और यदि है तो अब तक सीआरपीएफ जवान को जिंदा या मुर्दा खोज निकालने में असमर्थ क्यों है?
- सीआरपीएफ कमांडेंट सीआरपीएफ जवान बादल मुर्मू को भगोड़ा घोषित करने में क्यों तुले हैं?
- यदि बादल मुर्मू नक्सलियों के हाथों ढेर हो गए हैं, तो क्या बादल मुर्मू को शहीद का दर्जा नहीं मिलना चाहिए? आखिर पुलिसिया तंत्र खामोश क्यों है?
- अधिकारी 6 महीने में पेंशन जारी करने का पत्र भेज कर परिजनों को गुमराह करने का प्रयास क्यों कर रहे हैं?
बताया जाता है कि बादल मुर्मू अपने साथ यामाहा एफजेड बाइक (जेएच 06 जे 4115) और मोबाइल भी लेकर गया है।
(झारखंड से वरिष्ठ पत्रकार विशद कुमार की रिपोर्ट)