Saturday, April 20, 2024

डीयू में अवैध तरीके से लगायी गयी सावरकर की बुत पर एनएसयूआई के कार्यकर्ता ने पोती कालिख

नई दिल्ली। आरएसएस जिस तरह देश में सत्ता और संस्थानों पर काबिज है, उसके लिए दिल्ली यूनिवर्सिटी में सावरकर का बुत दिन दहाड़े समारोहपूर्वक लगाना भी मुश्किल काम नहीं था। संसद में सावरकर का बुत समारोह के साथ ही लगाया गया था और वाम के लोग भी उसमें शामिल थे।
लेकिन, सावरकर का और आरएसएस का जैसा इतिहास है, शायद उसे दोहराने के लिए आरएसएस की विद्यार्थी विंग एबीवीपी ने रात के अंधेरे में गुपचुप ढंग से सावरकर का बुत खड़ा कर दिया। एक खम्भे पर भगत सिंह और सुभाष चंद्र बोस के सहारे। भगत सिंह के बोस से जिस क़दर राजनीतिक मतभेद थे, उन्होंने लिखकर ही व्यक्त किए थे। लेकिन सावरकर और सावरकर की विचारधारा के लोगों से दोनों के ही रास्ते ठीक उलट थे। दोनों के लेखन और दोनों की राजनीति में यह स्पष्ट है। रात के अंधेरे में इस तरह सावरकर के बुत को लगा दिए जाने की आलोचना करने वाले इसी तरह रात में बाबरी मस्जिद में मूर्तियां रख दिए जाने को भी याद कर रहे थे।
कल ये पूरा मसला सोशल मीडिया पर चलता रहा। आज सोशल मीडिया से ही पता चला कि एनएसयूआई के एक कार्यकर्ता ने भगत और बोस के बुतों पर फूलों का हार पहनाने के बाद सावरकर के बुत पर जूते की माला डाल दी और उस पर काला पेन घिस दिया। इस दौरान एक युवक जो शायद एबीवीपी का हो, उसने और गार्ड्स ने इस युवक को रोकने की कोशिश भी की। जो वीडियो वायरल हो रहा है, उसमें इस कार्रवाई के बाद युवक भगत सिंह ज़िंदाबाद के नारे लगवाने के बाद एनएसयूआई ज़िंदाबाद के नारे भी लगाता है।

(यह टिप्पणी पत्रकार धीरेश सैनी की एफबी वाल से ली गयी है।)

जनचौक से जुड़े

0 0 votes
Article Rating
Subscribe
Notify of
guest
0 Comments
Inline Feedbacks
View all comments

Latest Updates

Latest

जौनपुर में आचार संहिता का मजाक उड़ाता ‘महामानव’ का होर्डिंग

भारत में लोकसभा चुनाव के ऐलान के बाद विवाद उठ रहा है कि क्या देश में दोहरे मानदंड अपनाये जा रहे हैं, खासकर जौनपुर के एक होर्डिंग को लेकर, जिसमें पीएम मोदी की तस्वीर है। सोशल मीडिया और स्थानीय पत्रकारों ने इसे चुनाव आयोग और सरकार को चुनौती के रूप में उठाया है।

AIPF (रेडिकल) ने जारी किया एजेण्डा लोकसभा चुनाव 2024 घोषणा पत्र

लखनऊ में आइपीएफ द्वारा जारी घोषणा पत्र के अनुसार, भाजपा सरकार के राज में भारत की विविधता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला हुआ है और कोर्पोरेट घरानों का मुनाफा बढ़ा है। घोषणा पत्र में भाजपा के विकल्प के रूप में विभिन्न जन मुद्दों और सामाजिक, आर्थिक नीतियों पर बल दिया गया है और लोकसभा चुनाव में इसे पराजित करने पर जोर दिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने 100% ईवीएम-वीवीपीएटी सत्यापन की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

सुप्रीम कोर्ट ने EVM और VVPAT डेटा के 100% सत्यापन की मांग वाली याचिकाओं पर निर्णय सुरक्षित रखा। याचिका में सभी VVPAT पर्चियों के सत्यापन और मतदान की पवित्रता सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया। मतदान की विश्वसनीयता और गोपनीयता पर भी चर्चा हुई।

Related Articles

जौनपुर में आचार संहिता का मजाक उड़ाता ‘महामानव’ का होर्डिंग

भारत में लोकसभा चुनाव के ऐलान के बाद विवाद उठ रहा है कि क्या देश में दोहरे मानदंड अपनाये जा रहे हैं, खासकर जौनपुर के एक होर्डिंग को लेकर, जिसमें पीएम मोदी की तस्वीर है। सोशल मीडिया और स्थानीय पत्रकारों ने इसे चुनाव आयोग और सरकार को चुनौती के रूप में उठाया है।

AIPF (रेडिकल) ने जारी किया एजेण्डा लोकसभा चुनाव 2024 घोषणा पत्र

लखनऊ में आइपीएफ द्वारा जारी घोषणा पत्र के अनुसार, भाजपा सरकार के राज में भारत की विविधता और लोकतांत्रिक मूल्यों पर हमला हुआ है और कोर्पोरेट घरानों का मुनाफा बढ़ा है। घोषणा पत्र में भाजपा के विकल्प के रूप में विभिन्न जन मुद्दों और सामाजिक, आर्थिक नीतियों पर बल दिया गया है और लोकसभा चुनाव में इसे पराजित करने पर जोर दिया गया है।

सुप्रीम कोर्ट ने 100% ईवीएम-वीवीपीएटी सत्यापन की याचिका पर फैसला सुरक्षित रखा

सुप्रीम कोर्ट ने EVM और VVPAT डेटा के 100% सत्यापन की मांग वाली याचिकाओं पर निर्णय सुरक्षित रखा। याचिका में सभी VVPAT पर्चियों के सत्यापन और मतदान की पवित्रता सुनिश्चित करने का आग्रह किया गया। मतदान की विश्वसनीयता और गोपनीयता पर भी चर्चा हुई।