राफेल विमान का सौदा लगातार विवादों में है और एक के बाद एक ऐसे खुलासे हो रहे हैं जिससे इस सौदे में भारी भ्रष्टाचार के संकेत प्रथम दृष्ट्या दिखाई पड़ रहे हैं। जहां यूपीए सरकार के दौरान राफेल के दामों की तुलना में मोदी सरकार ने बहुत महंगे दामों में राफेल सौदा फ्रांस से किया है वहीं अब 6 साल बाद इंडोनेशिया ने फ्रांस से भारत की तुलना में सस्ता राफेल खरीदा है, जिससे एक बार फिर राफेल विमान खरीद में भ्रष्टाचार सतह पर आ गया है। उत्तर प्रदेश सहित पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के बीच राफेल डील का यह खुलासा भारतीय जनता पार्टी और मोदी सरकार को भारी पड़ सकता है। इस तरह राफेल डील का जिन्न एक बार फिर बोतल से बाहर आ गया है।
दरअसल इंडोनेशिया ने फ्रांस से 42 राफेल विमान खरीदने का समझौता किया है। इसके लिए इंडोनेशिया की ओर से विमान कंपनी को 8.1 अरब डॉलर का भुगतान किया जाएगा। यही राशि विवाद का कारण बनने की वहज बन रहा है। राफेल की खरीद के लिए भारत ने 2016 में फ्रांस से 36 राफेल विमानों की डील 8.7 अरब डॉलर में की थी। वहीं अब करीब छह साल बाद इंडोनेशिया ने 8.1 अरब डॉलर में 42 राफेल का सौदा किया है यानी भारत से कम कीमत में इंडोनेशिया को राफेल मिल रहा है।
फ्रांस के रक्षा मंत्री ने 10 फरवरी, 2022 को घोषणा की कि दोनों देश में राफेल की खरीद को लेकर समझौता हो गया है। इसके लिए इंडोनेशिया ने 8.1 अरब डॉलर में 42 का सौदा किया है। इंडोनेशिया ने भी फ्रांस के साथ हुए समझौतों पर हस्ताक्षर की पुष्टि की है।
फ्रेंच विमान निर्माता कंपनी दसॉल्ट ने भारत को 36 राफेल फाइटर जेट बेचने का सौदा हासिल करने के लिए मिडिलमैन को करीब 7.5 मिलियन यूरो (लगभग 650 मिलियन या 65 करोड़ रुपये) का भुगतान किया था। लेकिन भारतीय एजेंसियां, दस्तावेज होने के बावजूद इसकी जांच करने में नाकाम रहीं। फ्रेंच पोर्टल मिडीपोर्ट ने अपनी रिपोर्ट में यह आरोप लगाया तो भारत में भी हंगामा बरपा। रिपोर्ट के मुताबिक बिचौलिये सुशेन गुप्ता को गुप्त रूप से कमीशन का भुगतान किया गया। पोर्टल कहता है कि इन दस्तावेजों की मौजूदगी के बावजूद भारतीय एजेंसी चुप रहीं। सीबीआई और ईडी के पास अक्टूबर 2018 से सबूत हैं कि दसॉल्ट ने राफेल जेट के बिक्री सौदे को हासिल करने के लिए सुशेन गुप्ता को घूस दी।
वर्ष 2019 के आम चुनाव से पहले कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने राफेल खरीद में गड़बड़ी का आरोप लगाकर पीएम मोदी पर जमकर हल्ला बोला था। राहुल ने सार्वजनिक मंचों से चौकीदार चोर है जैसे तक नारे लगवाये थे। कांग्रेस इस मामले में जेपीसी जांच की मांग करती रही लेकिन सरकार ने ध्यान नहीं दिया। मामला सुप्रीम गया। हालांकि तत्कालीन सीजेआई रंजन गोगोई की बेंच ने याचिका खारिज कर केंद्र की मोदी सरकार को क्लीन चिट दे दी थी।
भारत को 36 राफेल लड़ाकू विमान में से 26 की आपूर्ति हो चुकी है। शेष 10 विमानों की आपूर्ति पर फ्रांस की कंपनी दसॉल्ट एविएशन ने इस वर्ष के अंत तक विमान आपूर्ति की बात कही है। पांच राफेल विमानों का पहला जत्था 29 जुलाई 2020 को भारत पहुंचा था।
इस लड़ाकू विमान में हवा से जमीन में मार करने वाले स्कैल्प और हैमर मिसाइल के साथ-साथ मेटेअर मिसाइलों को पहले ही शामिल किया जा चुका है। ये मिसाइलें रडार को चकमा देकर बच निकलने में सक्षम हैं। ये विमान अंतिम समय पर टारगेट को भेदने में भी माहिर हैं।
(वरिष्ठ पत्रकार जेपी सिंह की रिपोर्ट।)
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