Sunday, April 28, 2024

ग्राउंड रिपोर्ट: मिर्जापुर में ‘हर घर नल जल’ योजना के पाइप ही गांव तक पहुंचे, नहीं मिल रहा पानी

मिर्ज़ापुर। जल जीवन मिशन के तहत आज से कोई दो वर्ष पहले जब ग्रामीण इलाकों में ‘हर घर नल जल योजना’ की पाइप लाइन बिछाने का कार्य प्रारंभ किया गया था तो ग्रामीणों में उम्मीद जगी थी कि जल्द ही उनके घरों में पाइप लाइन की टोंटी से पानी आयेगा। ग्रामीण फूले नहीं समा रहे थे। उनकी खुशियों का कोई ठिकाना नहीं था। लेकिन अब उन्हीं ग्रामीणों की आस निराश होने लगी है।

‘हर घर नल जल योजना’ की पाइप गांवों तक पहुंच तो गई, लेकिन पानी अभी भी लोगों की पहुंच से दूर बना हुआ है। यह हाल सिर्फ ग्रामीण इलाकों का ही नहीं है, बल्कि कमोवेश नगरीय इलाकों में भी ऐसे ही हालात हैं। हालत यह है कि पिछले दो वर्षों से ‘अमृत जल’ की चाहत में मिर्ज़ापुर नगरवासी विविध समस्याओं का सामना करने को मजबूर हैं।

जब अमृत जल योजना के अंतर्गत नगरवासियों को अमृत जल पिलाने की महत्वाकांक्षी योजना की शुरुआत हुई तो लोगों में उम्मीद जगी थी कि चलो अब उन्हें शुद्ध जल पीने को मिलेगा। शुद्ध एवं प्यूरीफायर जल के लिए लोगों ने इस योजना में प्रस्तावित शुल्क के भुगतान का मन भी बना लिया था, लेकिन देखते देखते करीब दो वर्ष बीत गए और अब यह योजना लोगों को ‘विष वितरण योजना’ लगने लगी है।

अमृत योजना ने बढ़ाई लोगों की मुश्किलें

पिछले दो वर्षों में इस योजना ने पूरे शहर की सड़कों, गलियों का सत्यानाश कर दिया है। कब कौन सी सड़क और गली खोद दी जाए, लोगों को पता नहीं। इस योजना की कार्य की गति को देख यह कह पाना कठिन है कि यह कब पूर्ण होगी।

नगर निवासी शिव कुमार शुक्ल कहते हैं, “अमृत जल योजना के नाम पर पूरे नगर की सड़कों को खोद कर खोखला कर दिया गया है। इससे लोगों को भारी मुसीबत झेलनी पड़ रही है। लोगों को धूल और सड़क में बने गड्ढों की वज़ह से जोखिम उठाना पड़ रहा है।”

नगर के अमूमन सभी रास्तों का गड्ढों के रूप में बदल जाना, राहगीरों का धूल फांकना, घरों एवं दुकानों का धूल से सराबोर हो जाना, दुर्घटनाएं होना- अमृत योजना का हिस्सा रहा है। इस योजना के अंतर्गत जहां सड़कें बनाई भी जा रही हैं, वो कामचलाऊ ही लग रही हैं। बनने के बाद नगर की अधिकांश सड़कें एक बरसात झेलने की स्थिति में नहीं रही हैं। सड़क कहीं बैठ जा रही है तो कहीं उखड़ जा रही है और कहीं तो बनने के बाद फिर से खोद दी जा रही है। धूल से लोगों की सेहत पर बुरा असर पड़ रहा है। बीमारियां फैल रही हैं और गड्ढों से दुर्घटनाएं हो रही हैं।

गड्ढेदार रास्तों पर तो लोग गिरते-पड़ते, धूल फांकते किसी तरह निकल भी जाते हैं पर कई जगह पर चेम्बर्स और सीवर बनाने के नाम पर लम्बी अवधि के लिए रास्ते भी बंद कर दिए जा रहे हैं। नगर के मिशन कम्पाउन्ड को ही उदाहरण स्वरूप लेते हैं। पहले मिशन कम्पाउन्ड से रमईपट्टी जाने वाले मार्ग को लगभग दो-ढाई महीने बंद किया गया था। यह मार्ग किसी तरह चालू हुआ नहीं कि अब मिशन कम्पाउन्ड-कलेक्ट्रेट मार्ग पिछले दो महीनों से बंद कर दिया गया है।

मौके पर जाकर वहां देखा गया तो रास्ते के साथ काम भी बन्द था। दो तीन मजदूर (जो बाहरी प्रतीक हो रहे थे) वहां पर बैठे, सोते पाए गए। ठेकेदार का नाम पूछने पर उन्होंने सूरज सिंह का नाम लिया, लेकिन मोबाइल नंबर वो नहीं दे सके। वहां की स्थिति को देखते हुए योजना के देर होने के कारणों का अंदाजा लगाना कठिन नहीं था।

इस सम्बन्ध में जब अमृत जल योजना के प्रोजेक्ट मैनेजर, एक्सीएन से फोन पर जानकारी लेनी चाही तो वो भी पूरी तरह स्पष्ट नहीं थे। उन्होंने कहा कि कार्य में लगे लोगों से बात करके ही पूरी जानकारी दे पायेंगे।

पानी की आस में पथराने लगीं आंखें

मिर्ज़ापुर के सिटी विकास खंड के कई गांवों में ‘हर घर नल जल योजना’ की धज्जियां उड़ती हुई नज़र आ रही हैं। योजना के नाम पर पाइप लाइन बिछाने के बाद टोटी लगाना जहां संबंधित कार्यदाई संस्था के लोग भूल गए हैं वहीं दूसरी ओर पानी की टंकी का ढांचा ढाल कर महीनों से काम ठप पड़ा हुआ है।

घमहापुर ग्राम सभा में घरों के बाहर महीनों से पाइप लाइन बिछने के बाद ग्रामवासी पानी के इंतजार में टोटी विहीन पाइप को देखकर अपने आप को ठगा महसूस कर रहे हैं। ग्रामीणों का कहना है कि कच्छप गति से चल रहे कार्य को देख कर कह पाना मुश्किल है कि यह कब तक पूरा हो जाएगा।

ग्रामीणों का कहना है कि पाइप लाइन बिछने के बाद उम्मीद थी कि जल्द ही अब उनके घरों में शुद्ध पानी टोटी के जरिए आना प्रारंभ होगा, लेकिन अब यह भी सपना सरीखा प्रतीत होने लगा है।

गांव तक पाइप ही पहुंचे, पानी नहीं

युवा पत्रकार विजय कुमार जायसवाल कहते हैं कि, “हर घर नल जल योजना के तहत महीनों पहले विन्ध्याचल के घमहापुर ग्राम सभा में लोगों के घरों के बाहर पानी की पाइपें तो डाल दी गईं लेकिन अभी तक पानी आना प्रारंभ नहीं हो पाया है। जबकि यहां पानी की समस्या गंभीर बनी हुई है। ‘हर घर नल जल योजना’ से ग्रामीणों के अंदर पानी की समस्या दूर होने को लेकर एक नई आशा जगी थी, लेकिन अब गांव वालों की आशा निराशा में बदलती हुई नजर आ रही है।”

महीनों से योजना का काम बंद

हर घर नल जल योजना के तहत घमहापुर ग्राम सभा में पानी की टंकी का ढांचा खड़ा कर संबंधित अधिकारी और ठेकेदार उसे पूरा करना भूल गए हैं। ग्रामवासी महीनों से पानी के इंतजार में कभी टोटी विहीन पाइप लाइन को निहारते हैं तो कभी पानी टंकी के ढ़ांचे को देख अपने को कोसते हैं।

जबकि सरकार का लक्ष्य 2004 तक हर घर तक नल से जल पहुंचाने का था। जिसे पूर्ण होने में महज दो महीने शेष बचे हैं। ऐसे में 2024 में कैसे हर घर तक नल के जरिए शुद्ध जल की आपूर्ति सुनिश्चित हो पायेगी यह बता पाना मुश्किल है।

पानी टंकी की सुरक्षा में लगे कर्मियों को वेतन के लाले

नमामि गंगे योजना के तहत ‘हर घर नल जल योजना’ के लिए पानी की टंकियों की देखभाल के लिए तैनात सुरक्षा कर्मियों को पिछले चार महीने से वेतन के लाले पड़े हुए हैं। वेतन न मिलने पर पिछले दिनों सुरक्षा कर्मियों ने हलिया विकास खंड क्षेत्र के बरहुला स्थित नमामि गंगे के वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के सामने कार्य बंद कर कई घंटे तक प्रदर्शन किया था।

सुरक्षा कर्मियों ने बताया कि ’25 सुरक्षा कर्मियों को पानी की टंकी की देखभाल करने के लिए तैनात किया गया है। जो 2021 से अब तक निरंतर कार्यरत रहते हुए सुरक्षा में तैनात हैं। जिनका जनवरी 2022 के बाद से 3 महीने के बाद एक महीने का भुगतान खाते में किया जा रहा है, 2 महीने का भुगतान रोक दिया जा रहा है। वहीं जुलाई से अब तक 4 महीने का भुगतान नहीं किया गया है।

सुरक्षा कर्मियों की माने तो संचालक द्वारा आज कल भुगतान कर देने की बात कही जा रही है। सुरक्षा कर्मियों का कहना है कि “भुगतान नहीं मिलने से उन्हें भुखमरी, बीमारी व बच्चों की शिक्षा आदि की समस्या से जुझना पड़ता है। कंपनी मानदेय देने में लापरवाही बरत रही है।”

वेतन भुगतान को लेकर प्रदर्शन वाले सुरक्षा कर्मियों- हर्षवर्धन दुबे, सत्यमूर्ति चौबे, दिनेश प्रजापति, संतलाल तिवारी, मार्तंड, अवधेश कुमार, कन्हैयालाल, सनद मिश्रा, राजेश कुमार, केवला प्रसाद, विजय नारायण, रमाशंकर, जयप्रकाश तिवारी, बलिस्टर, श्याम जी, चरण पटेल, लालचंद, अखिलेश कुमार, क्षितेश्वर शर्मा, सुरेंद्र और गणेश कहना है कि वेतन भुगतान के नाम पर टालमटोल किया जाता है। जिसका सीधा असर उनके जीविकोपार्जन पर पड़ता है।

पंप ऑपरेटरों की भी है अपनी पीड़ा

पानी टंकी की सुरक्षा के अलावा जिन 18 पंप ऑपरेटरों की नियुक्ति हुई है उनकी भी यही समस्या बनी हुई है। पंप ऑपरेटरों का कहना है कि “1 दिसंबर 2022 से वह सभी कार्य करते हुए आ रहे हैं, लेकिन अगस्त माह से उन्हें भी भुगतान नहीं किया गया है। जिससे यह भी आंदोलन करने के मूड में हैं।

पंप ऑपरेटर सुरेंद्र कुमार, किशन, विवेक शर्मा, राहुल शर्मा, राजबहादुर, पंकज, चंद्रशेखर, पीयूष शुक्ला भी वेतन के अभाव में होने वाली परेशानियों का ज़िक्र करते हुए व्यवस्था को कोसते हुए अपनी बदहाली बताते हैं। वो कहते हैं, “यहां न तो काम का कोई निर्धारित समय है और ना ही वेतन भुगतान का। ऐसे में हमारा बुरा हाल है।”

(मिर्ज़ापुर से संतोष देव गिरी की रिपोर्ट)

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