Saturday, April 27, 2024

बीजेपी को महाराष्ट्र से बाहर का रास्ता दिखाएं: उद्धव ठाकरे 

2024 के लोकसभा, नगर निगम के चुनावों और भावी विधान सभा चुनावों को ध्यान में रखकर शिवसेना, एनसीपी और कांग्रेस गठबंधन (महाविकास अघाड़ी) ने रैलियों का सिलसिला शुरू कर दिया है। इस सिलसिले की पहली रैली 2 अप्रैल को छत्रपति संभाजी नगर में हुई। इस रैली में तीनों पार्टियों के महत्वपूर्ण नेता शामिल हुए। इस रैली में उद्धव ठाकरे ने भाजपा और नरेन्द्र मोदी पर चौतरफा हमला किया। उन्होंने अपने संबोधन में कहा कि “भाजपा लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर कर रही है और न्यायपालिका को अपने नियंत्रण में लेने की कोशिश कर रही है।”

न्यायपालिका पर नियंत्रण के संदर्भ में उन्होंने नरेंद्र मोदी की तुलना इजरायल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू से करते हुए कहा कि, “ भाजपा न्यायपालिका को नियंत्रित करने की कोशिश कर रही है। अपने ( नरेन्द्र मोदी) मित्र ( बेंजामिन नेतन्याहू) की तरह वे न्यायपालिका को नियंत्रित करना चाहते हैं। लेकिन इजरायल के लोग सड़कों पर उतर आए। इसमें पुलिस, सरकारी कर्मचारी और पूर्व राजदूत तक शामिल हुए। यह लोकतंत्र है,जहां मतदाताओं ने प्रधानमंत्री पर भी अंकुश लगा दिया।”

ठाकरे ने नरेंद्र मोदी पर हमला बोलते हुए कहा कि वे ‘हिंदू जनाक्रोश मोर्चा’ के माध्यम से प्रदेश में मुसलमानों को टारगेट कर रहे हैं। धार्मिक ध्रुवीकरण के माध्यम से चुनाव जीतना चाहते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि हिंदू जनाक्रोश मोर्चा की रैलियों में जो वक्ता होते हैं, वे अल्पसंख्यकों को निशाना बनाते हैं। वे ‘लव जिहाद’ और ‘लैंड जिहाद’ की बात करने के साथ अल्पसंख्यकों (मुसलमानों) के आर्थिक बहिष्कार की बात करते हैं। उन्होंने कहा कि हिंदू जनाक्रोश रैली के पीछे भाजपा के बड़े नेता हैं।

ठाकरे ने प्रधानमंत्री की डिग्री पर भी सवाल उठाया। उन्होंने पूछा कि किस तरह की डिग्री प्रधानमंत्री के पास है। आखिर वे दिखाते क्यों नहीं हैं। उलटे जो कोई उनकी डिग्री मांगता है, उसे दंडित किया जाता है।

उद्धव ठाकरे ने राहुल गांधी की सदस्यता खत्म करने के मुद्दे पर मोदी पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कहा कि राहुल गांधी की सदस्यता इसलिए खत्म की गई, क्योंकि उन्होंने हिंडनबर्ग रिपोर्ट के संदर्भ में सवाल पूछा। 

ठाकरे ने भाजपा को महाराष्ट्र्र से बाहर करने का आह्वान करते हुए कहा कि “हालांकि शिवसेना ने भाजपा को महाराष्ट्र में बढ़ने में मदद की, लेकिन उन्होंने हमसे हमारी पार्टी का नाम, चुनाव चिह्न और यहां तक कि मेरे पिता तक को छीन लिया।” समय आ गया है कि भाजपा को महाराष्ट्र से बाहर का रास्ता दिखाया जाए। उन्होंने भाजपा को चुनौती दिया कि वह महाराष्ट्र में आकर नरेंद्र मोदी के नाम पर चुनाव लड़े और देखे की कौन जीतता है।

इस रैली को एनसीपी के अजीत पवार और जयंत पाटिल, कांग्रेस के बालासाहेब थोराट और अशोक चौहान ने भी संबोधित किया। तीनों पार्टियों के नेताओं ने एक साथ मिलकर चुनाव लड़ने का संकल्प व्यक्त किया।

सावरकर के सवाल पर कांग्रेस और शिवसेना के बीच उभरे तीखे मतभेद के बाद महाविकास अघाड़ी की यह पहली बड़ी रैली थी। जिस तरह से तीनों पार्टियां एकजुट होकर इस रैली में हिस्सेदारी कीं उससे लग रहा था कि सारे मतभेद सुलझ गए हैं। एनसीपी नेता शरद पवार ने हस्तक्षेप करके इस मामले को सुलझाया था। उन्होंने कांग्रेस पार्टी, विशेषकर राहुल गांधी से सावरकर को हमले का निशाना बनाने से बचने की सलाह दी थी। सूत्रों के अनुसार कांग्रेस पार्टी इससे सहमत भी हो गई थी।

महराष्ट्र, बिहार और पश्चिम बंगाल की तरह उन प्रदेशों में शामिल है, जहां 2024 में भाजपा को लोकसभा चुनावों में कड़ी चुनौती मिलती दिखाई दे रही है। उत्तर प्रदेश (80) के बाद महराष्ट्र से सबसे अधिक (48) लोकसभा के सदस्य चुनकर आते हैं। 2019 के लोकसभा चुनावों में यहां से भाजपा-शिवसेना गठबंधन को 41 सीटें मिली थीं। भाजपा को 23 सीटें और उसके सहयोगी शिवसेना को 18 सीटें मिली थीं। इस बार स्थिति पूरी तरह बदल चुकी है। शिवसेना भाजपा से अलग हो चुकी है। ऐसे में भाजपा के लिए अपनी 23 सीटें भी बचा पाना मुश्किल लग रहा है। 

महाविकास अघाड़ी की संयुक्त रैली इस बात का स्पष्ट संकेत दे दी है कि गठबंधन मजबूती से एक साथ है। सावरकर का मुद्दा सुलझ चुका है। तीनों पार्टियां भाजपा को कड़ी चुनौती देने के लिए तैयार दिख रही हैं।

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Rajkumar Sharma
Rajkumar Sharma
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1 year ago

उद्धव ठाकरे ने ये कह कर के भाजपा ने उससे उसकी पार्टी, चुनाव चिन्ह और यहाँ तक की उसका बाप तक छीन लिया ये साबित कर दिया की वो किसी लायक नहीं है की उसने अपना बाप तक खो दिया l उद्धव में अपने जैसा कोई भी गुण नहीं है इसलिए उसे सब कुछ खोना पड़ा है, राजनीति में हार जीत होती रहती है पर जो दल अपने सिद्धांत तक छोड़ दे, अपने दोस्त और दुश्मन न पहचाने उसका बेडा पार कौन लगाए, इस बार के चुनाव में बालासाहेब की सहानुभूति के कारण कुछ सीटें मिल भी गयी तो उन्हे वो संभाल नहीं पायेगा l

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