Thursday, April 18, 2024

राजस्थान: मानवाधिकारों की रक्षा के संकल्प के साथ पीयूसीएल का प्रदेश सम्मेलन संपन्न, भंवर मेघवंशी बने अध्यक्ष

भीलवाड़ा। सुप्रसिद्ध मानव अधिकार संगठन पीपुल्स यूनियन फ़ॉर सिविल लिबर्टीज का राजस्थान के दो दिवसीय राज्य सम्मेलन के समापन अवसर पर आज विभिन्न प्रस्ताव पारित कर मानवाधिकार, लोकतंत्र व धर्म निरपेक्षता की रक्षा की मांग की गई। सम्मेलन में मानव अधिकार कार्यकर्ताओं की सुरक्षा, अभिव्यक्ति की आज़ादी को अक्षुण्ण बनाए रखने, सशक्त जवाबदेही क़ानून लागू करने, डॉक्टरों से हड़ताल ख़त्म करने तथा स्वास्थ्य का अधिकार क़ानून लागू करने जैसे प्रस्ताव पारित हुए।

राज्य सम्मेलन में राजस्थान की प्रदेश कार्यकारिणी का चुनाव किया गया। जिसमें भीलवाड़ा की माण्डल तहसील के सिरड़ियास गांव के निवासी सामाजिक कार्यकर्ता भंवर मेघवंशी को प्रदेश अध्यक्ष तथा तारा अहलूवालिया को उपाध्यक्ष, डॉक्टर अनंत भटनागर को प्रदेश महासचिव और डॉक्टर मीता सिंह को कोषाध्यक्ष चुना गया।

पीयूसीएल के प्रदेश सम्मेलन को जस्टिस गोविंद माथुर, श्रीमती अरुणा रॉय, पीयूसीएल की राष्ट्रीय अध्यक्ष कविता श्रीवास्तव, राष्ट्रीय सचिव रोहित प्रजापति, मूकनायक की मीना कोटवाल तथा लखनऊ से आये वरिष्ठ पत्रकार नसीरूद्दीन ने सम्बोधित किया।

सम्मेलन के संयोजक राकेश शर्मा ने बताया कि सम्मेलन का दूसरा दिन संगठनात्मक गतिविधियों, रणनीतियों और कार्ययोजनाओं को समर्पित रहा, प्रदेश महासचिव भटनागर ने प्रदेश का प्रतिवेदन प्रस्तुत किया, उसके बाद ज़िला इकाइयों ने अपना प्रतिवेदन प्रस्तुत किया, सम्मेलन के अंत में निम्नलिखित प्रस्ताव सर्व सम्मति से पारित हुए।

1. न्यायिक प्रणाली में न्यायपालिका की सर्वोच्चता कायम रखी जाए। सरकारी दखल तथा अवांछित टिप्पणियां बंद हों। न्यायिक शुचिता बनाए रखने के लिए सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की सेवानिवृत्ति के पश्चात राजनैतिक व अन्य लाभ के पदों पर नियुक्ति पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए।

2.स्वयंसेवी संगठनों तथा सामाजिक कार्यकर्ताओं के कार्यों में बाधा पहुंचाने, अनावश्यक सरकारी जांच, झूठे मुकदमों तथा प्रताड़ना का वातावरण समाप्त किया जाए।

3. अभिव्यक्ति और संघ (संगठनात्मक जुड़ाव) की स्वतंत्रता रोकने के सरकारी व गैर सरकारी प्रयासों को रोका जाए। साहित्यकारों, कलाकारों, बुद्धिजीवियों को स्वतंत्र अभिव्यक्ति पर मुकदमों में फंसाने तथा भयभीत करने पर रोक लगाई जाए।

4.राजस्थान में सशक्त जवाबदेही कानून लाने की मुख्यमंत्री की घोषणा लागू की जाए। कानून शीघ्र बने और लागू हो।

5. पीयूसीएल राज्य सरकार द्वारा लाए गए स्वास्थ्य के अधिकार कानून का स्वागत करती है, साथ ही राजस्थान में निजी चिकित्सकों तथा हॉस्पिटल्स की तालाबंदी समाप्त करवाने के लिए मुख्यमंत्री से अविलंब हस्तक्षेप की मांग करते हुए जनसामान्य के हितों को सुरक्षित रखने वाले मुद्दों पर कायम रहने का आवाहन सरकार से करती है।

6. शिक्षण संस्थाओं में अकादमिक स्वतंत्रता कायम हो तथा शिक्षा का सांप्रदायिकीकरण समाप्त हो।

7. सरकार पर्यावरण कानूनों की पालना करते हुए खनन माफियाओं पर शिकंजा कसने में कोताही ना बरते और साथ ही इस मामले में खनन माफियाओं को चुनौती देने वाले और अरावली को बचाने के लिए संघर्ष करने सामाजिक कार्यकर्ताओं को सुरक्षा प्रदान की जाए।

8. राजस्थान में दलितों और आदिवासियों पर अत्याचारों की बढ़ती संख्या चिंताजनक है और इसकी रोकथाम के लिए हर संभव प्रयास किया जाना चाहिए। पुलिस तथा न्यायाधीशों को संवेदनशील रवैय्या अपनाने के लिए आवश्यक प्रशिक्षण दिए जाने चाहिए। 2 अप्रैल 2018 के संदर्भ में एससी/ एसटी अत्याचार निरोधक कानून को कमजोर बनाने वाले कानूनी प्रस्तावों के खिलाफ हुए भारत बंद के दौरान कार्यकर्ताओं और अन्य नागरिकों के खिलाफ हुए आपराधिक मामलों और झूठे मुकदमों को अविलंब वापिस लिए जाए।

9. राज्य महिला आयोग द्वारा हिंसा के केसेज दर्ज करने वाली महिलाओं का अपराधीकरण की पीयूसीएल निंदा करती है। राज्य सरकार भी महिला विरोधी हिंसा के संदर्भ में गैर जिम्मेदाराना वक्तव्य दे रही है, जो किसी भी सरकार के लिए बहुत शर्मनाक है। सरकार को यह समझना चाहिए कि किसी भी महिला को अपने ऊपर होने वाली हिंसा को सार्वजनिक करते हुए कितने खतरे मोल लेने होते हैं और सीमित कानूनी पहुँच के कारण अपने मामलों की पैरवी करते वक्त कितनी सीमाओं का सामना उन्हें करना पड़ता है, ऐसे में उन्हें झूठ कहना सरकार के लिए अशोभनीय है। पीयूसीएल सरकार और सरकारी यंत्रणा से महिला विरोधी हिंसा के खिलाफ अधिक संवेदनशील रवैया अपनाने का आवाहन करती है।

10. बालिगों के बीच मर्जी से होने वाले संबंध संविधान की धारा 19 के दायरे में देखा जाना जरूरी है। इस संदर्भ में किसी भी प्रकार नैतिकता के आधार पर नियंत्रित करने की कोशिशों का विरोध करते हुए यह मांग करते हैं कि सरकार ‘कपल शेल्टर होम’ जिला स्तर पर शुरू करे। 

10- राज्य में एनआईए द्वारा यूएपीए और अन्य क़ानूनों की आड़ में अल्पसंख्यक युवाओं के उत्पीड़न की बढ़ती घटनाओं पर चिंता जताते हुए हम स्पष्ट करना चाहते हैं कि यह राज्य प्रायोजित दमन स्वीकार नहीं किया जायेगा, पीयूसीएल हर परिस्थिति के लोगों के मानव अधिकारों की रक्षा के लिए कृत संकल्प है।

11- राजस्थान सहित देश भर में गाय के नाम पर की जा रही हत्यायें मानवता के नाम पर कलंक हैं, हाल ही में भरतपुर जिले के घाटमिका गाँव के मुसलमान नौजवान जुनैद और नासिर का अपहरण करके उनकी नृशंस हत्या और गाड़ी सहित जला देने जैसे भयानक मामले हमारे समाज के लिए बहुत चिंता का विषय है, इससे देश के नागरिकों में विधि के शासन के प्रति विश्वास कम हुआ है जो कि हमारे संवैधानिक लोकतंत्र के लिए ख़तरे की निशानी है, हम माँग करते हैं कि भीड़ के द्वारा की जा रही इस प्रकार की अमानवीय हत्याओं पर रोक लगे और जुनैद तथा नासिर के तमाम हत्यारों की अविलम्ब ग़िरफ्तारियां हो।

(प्रेस विज्ञप्ति पर आधारित।)

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