शिवपुरी (मप्र)। कोरोना वायरस संक्रमण के डर से जहां लोग आज अपनों से भी दूरी बरत रहे हैं, वहीं एक मुस्लिम नौजवान ने हिंदू-मुस्लिम दोस्ती की एक अनूठी मिसाल कायम करते हुए, अपने हिन्दू दोस्त की जान बचाने के लिए, आखिरी दम तक उसका साथ नहीं छोड़ा। यह बात अलग है कि अपनी तमाम कोशिशों के बाद भी वह उसे बचा नहीं सका। यह दुख भरी दास्तां प्रवासी मजदूरों की है, जो गुजरात की औद्योगिक नगरी सूरत से पलायन कर अपने घर बस्ती (उत्तर प्रदेश) जा रहे थे। इन लोगों के परिवहन का साधन एक ट्रक था। ट्रक जिले के पड़ोरा गांव से गुजर रहा था कि इन मजदूरों में शामिल अमृत कुमार की हालत अचानक इतनी बिगड़ गई कि ट्रक ड्राईवर ने उसे वहीं उतारना मुनासिब समझा, ताकि उसे कहीं पास में चिकित्सीय सुविधा मिल जाए। अब मुश्किल ये आन पड़ी कि अमृत कुमार के इलाज के लिए उसके साथ कौन उतरे? यह दुविधा देखकर
अमृत कुमार के साथ उसका दोस्त मोहम्मद कय्यूम उतर गया। मोहम्मद कय्यूम अपने दोस्त को लेकर सड़क किनारे बैठ गया कि कोई साधन आए, तो वह उसे लेकर अस्पताल पहुंचे। इत्तेफाक से उस रोड से बीजेपी नेता सुरेन्द्र शर्मा का गुजरना हुआ, जब उन्होंने इन नौजवानों को इस गंभीर हालत में देखा, तो उन्होंने तुरंत एम्बुलेंस की व्यवस्था कर इन्हें अस्पताल भेजा। अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच झूलते हुए, अमृत कुमार की देर रात मौत हो गई। जिला अस्पताल में सिविल सर्जन डॉ. पीके खरे का इस बारे में कहना है कि ”अस्पताल प्रशासन ने इस नौजवान को बचाने की अपनी तरफ से पूरी कोशिश की। जो भी आपातकालीन चिकित्सा सुविधाएं मरीज को दी जा सकती थीं, दी गईं लेकिन हम उसे बचा नहीं सके।’’
अमृत कुमार की मौत पर सोशल मीडिया में यह आशंका व्यक्त की जा रही है कि ”हो सकता है, उस व्यक्ति की मौत कोरोना संक्रमण से हुई हो ?” डॉ. खरे इस बात से ना तो इत्तेफाक रखते हैं और ना ही इंकार करते हैं। उनका कहना है कि ”जिस तरह का अभी गर्म मौसम चल रहा है, तो यह मामला लू या हीट स्ट्रोक का हो सकता है। बाकी मृतक का सेम्पल भेजा गया है, रिपोर्ट आने पर ही यह साफ होगा कि वह कोरोना पॉजिटिव था या नहीं ! जहां तक उसके दोस्त मोहम्मद कय्यूम की बात है, तो उसका सेम्पल लेकर उसे आइसोलेट कर दिया है।’’ हालांकि बाद में दोनों की रिपोर्ट आयी तो पता चला कि दोनों को निगेटिव पाया गया है। अमृत की मौत हीट स्ट्रोक के चलते हुई है इस बात की भी पुष्टि हो गयी है।
बीजेपी प्रदेश कार्यकारिणी के सदस्य सुरेन्द्र शर्मा, जिन्होंने इन दोस्तों की मदद कर इन्हें अस्पताल पहुंचाया, उनका कहना है कि पन्द्रह मई की दोपहर चार बजे की यह घटना है। मानवता के नाते जो काम मुझसे हो सकता था, मैंने किया। इन लोगों को अस्पताल पहुंचाया। ट्रक ड्राईवर ने जो किया, वह एकदम गलत था। यदि उस मजदूर की हालत खराब हो गई थी, तो उसे अस्पताल तक छोड़ना था। ट्रक का नंबर मालूम चलने पर, मैं उस ट्रक ड्राईवर के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज कराऊंगा।”
घटना के एक और चश्मदीद आदिल शिवानी भी हैं, जो अपने दोस्तों के साथ हाईवे पर प्रवासी मजदूरों के लिए बिस्किट और चप्पलें बांट रहे थे। जब उनसे इस घटना के बारे में पूछा, तो उनका कहना था, ”जो नौजवान बीमार साथी को अपनी गोद में लिटाए बैठा था, उसका कहना था कि वह उसका चचेरा भाई है। तबीयत खराब होने की वजह से उन्हें यहां उतरना पड़ा। वह नौजवान बड़ी फिक्र से बीमार की देखभाल कर रहा था। आपसे ही मुझे यह मालूम चल रहा है कि वह मुस्लिम शख्स था। वरना, मुझे इस बात का कहीं से भी एहसास नहीं हुआ कि यह दोनों अलग-अलग मजहब के थे।’’
(शिवपुरी से वरिष्ठ पत्रकार ज़ाहिद खान की रिपोर्ट।)