विजयन कैबिनेट का जंतर-मंतर पर मोदी सरकार के खिलाफ विरोध प्रदर्शन

नई दिल्ली। कर्नाटक के मुख्यमंत्री और कांग्रेस नेता सिद्धरमैया ने बुधवार 7 फरवरी को अपने पूरे मंत्रिमंडल के साथ दिल्ली के जंतर-मंतर पर विरोध-प्रदर्शन किया। सिद्धरमैया का आरोप है कि भाजपा शासित केंद्र सरकार करों के हस्तांतरण और धन जारी करने में राज्य के साथ कथित अन्याय कर रही है। जिसके एक दिन बाद गुरुवार को केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन और उनकी सीपीएम- एलडीएफ मंत्रिमंडल जंतर-मंतर पर इसी मुद्दे पर इसी तरह का विरोध प्रदर्शन करेगा।

विजयन सरकार के विरोध को डीएमके सांसदों का समर्थन मिलेगा। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री और डीएमके सुप्रीमो एम. के. स्टालिन पहले ही विजयन के दिल्ली विरोध प्रदर्शन को अपना समर्थन दे चुके हैं।

बुधवार को विजयन ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि “केंद्र सरकार के असंवैधानिक दृष्टिकोण द्वारा बनाई गई वित्तीय बाधाओं के कारण राज्य में सामाजिक कल्याण और विकास व्यय बाधित हो गया है। इस आंदोलन का उद्देश्य केवल केरल ही नहीं, बल्कि सभी राज्यों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करना है।”

विजयन ने स्पष्ट किया कि गैर-भाजपा दलों या तथाकथित दक्षिणी गठबंधन के एक साथ आने को उत्तर-दक्षिण विभाजन के रूप में नहीं देखा जाना चाहिए। “यह राज्यों को उनके अधिकार प्राप्त करने और उनके लिए क्या देय है, इसके बारे में है। यह पूरे देश से जुड़ा मुद्दा है।”

दक्षिणी भारत के कई राज्यों ने हाल के वर्षों में कर हस्तांतरण नीतियों और कर राजस्व खोने को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार की आलोचना की है। जैसे ही वे विरोध में दिल्ली की सड़कों पर उतरे केंद्र द्वारा हस्तांतरित करों में अपना “सही हिस्सा” मांगने और केंद्रीय धन के आवंटन में कथित असमानताओं के विरोध में दक्षिणी राज्यों के गठबंधन बनाने की भी चर्चा है।  

इस मुद्दे पर पहले से ही, कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु एक साथ आ चुके हैं वहीं आंध्रप्रदेश के सीएम वाईएस जगन मोहन रेड्डी ने भी बुधवार को राज्य विधानसभा में “केंद्रीय निधि के हस्तांतरण में कमी और कर राजस्व में कमी” के बारे में बात की।

सीएम सिद्धारमैया के आर्थिक सलाहकार बसवराज रायरेड्डी ने दक्षिणी राज्यों से एक गठबंधन बनाने की बात कही थी जो एक मंच के रूप में काम करेगा जहां से वे 16वें वित्त आयोग के समक्ष अपनी स्थिति स्पष्ट कर सकेंगे।

हालांकि संसद में केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को कहा कि करों का हस्तांतरण वित्त आयोग की सिफारिशों पर आधारित था और उनके पास कोई विवेकाधीन शक्तियां नहीं थीं। सीतारमण ने कहा कि राज्य जीएसटी का 100% स्वचालित रूप से राज्यों को हस्तांतरित कर दिया गया था और एकीकृत जीएसटी का लगभग 50% राज्यों के साथ साझा किया गया था और समय-समय पर वास्तविक के अनुसार समायोजित किया गया था।

जहां कर्नाटक 15वें वित्त आयोग के तहत राज्य को हुए कथित घाटे के लिए केंद्र से 1.87 लाख करोड़ रुपये की मांग कर रहा है, वहीं केरल का दावा है कि उसे 2016 से 2023 के बीच 1.08 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है।

(‘द इंडियन एक्सप्रेस’ में प्रकाशित खबर पर आधारित।)

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